झारखण्ड का 1932 खतियान| History of 1932 Bill : journalismology
Home » झारखण्ड का 1932 खतियान| History of 1932 Bill

झारखण्ड का 1932 खतियान| History of 1932 Bill

by रवि पाल
0 comment

जिस तरह से हिंदुस्तान का वर्तमान समझने से पहले उसके इतिहास को समझना अति आवश्यक है क्यों कि जव भी वर्तमान की धारणा आती है तो उनको समझना उतना ही मुश्किल हो जाता है जितना कि एक मनुष्य को एक शहर से दूसरे शहर में जाना| इसी प्रकार से झारखण्ड को समझने से पहले इसके इतिहास में जाना बहुत जरुरी है , झारखण्ड कैसे बना? झारखण्ड बनने से पहले यह किस प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था इसी प्रकार से झारखण्ड का 1932 खतियान| History of 1932 Bill के बारे में चर्चा करेंगे |

1932 खतियान से झारखण्ड का इतिहास जानना जरुरी:-

15 नवम्बर 2000, बिहार के 46% भूभाग से हटकर झारखण्ड राज्य का गठन किया गया उस समय केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार थी और अटल बिहारी बाजपेयी प्रधानमंत्री थे |कहते है जब अटल बिहारी बाजपेयी सदन में बैठे थे उस समय बिहार से झारखण्ड को अलग करने का बिल प्रस्तुत किया गया बिना किसी देरी के राष्ट्रपति ने इस बिल को पास भी कर दिया था|

झारखण्ड राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को बनाया जो कि भारतीय जनता पार्टी से ताल्लुक रहते थे नवम्बर महीने (1 नवंबर 2000) में ही मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया और इसीदिन उत्तर प्रदेश से उत्तरांचल का गठन हुआ जिसको हम उत्तराखंड के नाम से जानते है |

झारखण्डी किसे कहा जाये :-

संयुक्त बिहार 1932 के इतिहास के बारे में चर्चा :-

जब संयुक्त बिहार हुआ करता था उस समय किसी भी सरकारी नौकरी की भर्तियाँ आती थी उस समय उत्तर विहार( वर्तमान बिहार ) के लोगों को ज्यादा मान्यता दी जाती थी जैसे – यहाँ के ज्यादा लोग पढ़े- लिखे  है/ ज्यादा पिछड़े लोग है / अल्प्संखयक है | इस तरह की बयानबाजी हुआ करती थी यस एक कारण  है  झारखण्ड राज्य के अलग होने का |

झारखण्ड के अधिकतम भू-भाग का का सर्वेक्षण लेकिन कुछ जिले /क्षेत्र बाकि

खतियान- जो जमीन आपके पूर्वजों से अधिकारित है इसको ऐसे भी समझते है 1932 से पहले जो जमीन खरीदी गयी उसको खतियान कहा गया |

1932 खतियान विधेयक-( वर्तमान में झारखण्ड विधानसभा से पास)

हाल ही में झारखण्ड सरकार ने कहा कि यह विधेयक अपने राज्य में लागू होगा|

STATE GOVERNMENT 1932 खतियान विधेयक पर मुहर लगी :-

सरकार के अनुसार यह बिल विधान सभा में लाया जायेगा तथा पास भी होगा (महागठबंधन की सरकार) |

राज्यपाल :– प्रोपर्टी से सम्बंधित मामले जिसको संविधान की 9वीं अनुसूची में रखा गया है |

राज्य सरकार:-केन्द्र सरकार से सिफारिस से 9 वीं अनुसूची में सामिल किया गया |

झारखण्ड के लोगों के सवाल: –

 क्या 1932 खतियान को कोर्ट इसे रद्द कर देगा ?

यह खतियान कोर्ट तक पहुचने से पहले केंद्र सरकार और राष्टपति के पास से गुजरना पड़ेगा लेकिन जिस तरह से झारखण्ड में राजनीति का माहौल है ( एक तरफ महागठबंधन और दूसरी तरफ केंन्द्र की सरकार ) तो यह कहना मुश्किल होगा कि 1932 खतियान कोर्ट तक जायेगा या नहीं |

झारखण्ड डोमिसाइल सर्टिफिकेट मिलने से क्या फायदे होंगे ?

राज्य सरकार के तृतीय – चतुर्थ वर्ग की नौकरी में आरक्षण |

नियुक्ति की नीति में डोमिसाइल की शर्ते लागु हो सकती है |

सरकारी योजनाओं में ठेकेदारी व अन्य सहूलियतों के लिए सरकार डोमिसाइल  सर्टिफिकेट की शर्त लगा सकती है |

1932 खतियान आधारित स्थानीयता का क्या मतलब है ?

जिसके पास 1932 का खतियान होगा या फिर जिनके वंशजों का नाम इस खतियान में होगा, वही झारखण्ड का स्थायी निवासी होगा |

1932 खतियान नहीं है, पर पीढ़ियों से है तो क्या होगा ?

ऐसे लोगों के पास एक विकल्प है कि ग्रामसभा उन्हें स्थानीय निवासी के रूप में सत्यापित कर सकती है | ग्रामसभा की सिफारिस पर डोमिसाइल  सर्टिफिकेट मिलेगा |

झारखण्ड क्षेत्र में 1932 के बाद बसने वालों का क्या होगा?

इन्हें झारखण्डी नहीं माना जायेगा इनकी संतानों जिनका जन्म 1932 के बाद  झारखंड में हुआ, पढ़ाई हुई, जमीन खरीद घर बनाये फिर भी उन्हें झारखंडी नहीं माना जायेगा और डोमिसाइल सर्टिफिकेट नहीं बनेगा |

जहाँ 1932 के बाद की जमीन सर्वे हुए, उनका क्या होगा ?

कोल्हान इलाके में सर्वे सेटेलमेंट 1964 – 1965 और 1970 में हुआ था यहाँ के लगभग 40 लाख से ज्यादा लोग इस निर्णय से प्रभावित हो सकते है | इसके साथ राँची, धनबाद व संताल में भी लाखों लोगों को झारखण्ड में पहचान का संकट (आइडेंटिटी क्राइसिस) होगा |

क्या इस निर्णय को कोर्ट में चिनौती दी जा सकती है ?

झारखण्ड राज्य सरकार इस फैसले को पारित कर संबिधान की नौवी अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र को भेजने वाली है| जो विषय नौवी अनुसूची में चला जाता है उसे अदालत में चिनौती नहीं दे सकते तब  केंद्र तय करेगा कि उसे  नौवी अनुसूची में रखना है या नहीं | हालाकिं 2003 में झारखण्ड हाईकोर्ट की संवैधानिक पीठ 1932 खतियान आधारित स्थानीय निवासी तय करने की परिभाषा को असंवैधानिक करार दे चुकी है |

इसे भी पढ़े:-

ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोरसी कौन है? मोदी सरकार VS जैक डोरसी

झारखण्ड के प्रमुख मंदिर MCQ [हिंदी ] JSSC PGT,JTET

मई महीने के महत्वपूर्ण दिवस MCQ [ हिंदी ] PDF Download

पत्रकारिता और जन संचार के महत्वपूर्ण MCQ [हिंदी ]

जंगल सत्याग्रह में टीकमगढ़ के लालाराम बाजपेयी की भूमिका

You may also like

About Us

Lorem ipsum dolor sit amet, consect etur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis..

Feature Posts

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!