वेवेल योजना [ निबंध ] [WAVELL PLAN: JUNE 1945] [PDF]
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वेवेल योजना [ निबंध ] [WAVELL PLAN: JUNE 1945] [PDF]

by रवि पाल
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जब हिंदुस्तान अंग्रेजों का गुलाम था उस समय अनेक जगहों पर अपने- अपने स्तरों से आन्दोलन चल रहा था चाहे  झारखण्ड की बार करे तो वहाँ मुंडा आन्दोलन , यदि मध्य प्रान्त बुंदेलखंड की बार करे तो वहाँ जंगल सत्याग्रह और यदि बंगाल की बात करे तो स्वदेशी आन्दोलन चल रहा था लेकिन आज का विषय वेवेल योजना के सबंध में है|

इस योजना के अंतर्गत चर्चा के बिंदु योजना प्रस्तावित होने के कारण तथा योजना के प्रमुख प्रावधान क्या थे ?

वेवेल योजना की प्रष्ठभूमि :-

1943 में लार्ड वेवेल भारत के वायसराय बने / नियुक्त किये गये |

मई1945 में यूरोप में द्वतीय विश्वयुद्ध, समाप्ति की अवस्था में था किन्तु भारत पर जापान के आक्रमण का भय बना हुआ था |

1945 में ब्रिटेन चुनाव के पूर्व चर्चिल से अनुशंसा के बाद संवैधानिक समस्या के निवारण हेतु वेवेल योजना बनाई गयी |

14 जून 1945 को वेवेल योजना प्रस्तुत की गयी|

वेवेल योजना प्रस्तावित होने के कारण:-

1945 तक आते- आते देश और  दुनिया की स्थित पूरी तरह बदल गयी थी क्यों कि हाल ही के वर्षों में द्वतीय विश्व युद्ध समाप्त हुआ था और यूरोप के स्तर पर जर्मनी के घुटने टिकवा दिए थे परन्तु एशिया में जापान अभी भी टक्कर दे रहा था इस स्थित में ब्रिटेन चाहता था कि द्वतीय विश्वयुद्ध में भारत ब्रिटेन का सहयोग करे ताकि मित्रराष्ट्रों की ही विजय हो|

वेवेल योजना प्रस्तावित होने  का दूसरा कारण यह था कांग्रेस और मुस्लिम लीग की अपनी- अपनी मानगो को लेकर बडती शशक्तिता वहां तक पहुच गयी थी जहाँ कांग्रेस पूर्ण स्वतंत्रा चाहती थी वहीं मुस्लिम लीग अपना एक नया देश (पाकिस्तान) बनाने की मांग कर रही थी |

हालाकिं कांग्रेस एक अलग द्रष्टिकोण को मानने के लिए तैयार नहीं थी क्योंकि यह राष्ट्र को बनाने के लिए मुस्लिम लीग का समर्थन चाहती थी उसके माध्यम से ही पूर्ण स्वराज्य की स्थापना हो सकती थी इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस द्वारा C.R F फार्मूला भी प्रस्तुत किया गया|

जब C.R F प्रस्तुत किया गया उस समय मुस्लिम लीग की पाकिस्तान देश बनाने की पूर्ण सहमति भी मिल गयी थी परन्तु जिन्ना के द्वारा पाकिस्तान को लूला लंगड़ा पाकिस्तान कह कर निरस्त कर दिया गया था |

ब्रिटेन में होने वाले चुनाव में चर्चिल को एक कद्दावर नेता के रूप में माना जाता था यह उपनिवेशवाद को बना कर रखना चाहते थे वहीं दूसरी तरफ इटली भारत जैसे देश की स्वतंत्रा की बात करते थे चुनाव की घोषणा इन्होने भारत जैसे देश के लिए बहुत अहम बाते  भी की थी|

वायसराय वेवेल इंग्लैंड की यात्रा:-

जब वायसराय वेवेल इंग्लैंड पहुचे यहाँ उन्होंने भारत के सचिव से मुलाकत कर 14 जून 1945 को एक योजना प्रस्तुत की जिसे वेवेल योजना का नाम दिया गया इस योजना के प्रावधान निम्न लिखित है:-

वायसराय की कार्यकारिणी में जिसमें 14 सदस्य बने है उसमें वायसराय और कमांडर इन चीफ को छोड़कर अन्य सभी सदस्यों के रूप में भारतीयों की नियुक्त की जाएगी|

वायसराय की कार्यकारिणी में हिन्दुओं और मुसलमानों की संख्या बराबर रखी जाएगी इसका मतलब यह है जो 14 सदस्य होंगे उनमे से 6 हिन्दू और 6 मुस्लिमों की संख्या होगी|और 1 दलित तथा 1 सिक्ख को रखा जायेगा| वायसराय का निषेधाधिकार शक्ति को समाप्त नहीं किया जायेगा लेकिन उसका प्रयोग करना भी आवश्यक नहीं माना जायेगा

पुनर्गठन के पश्चात वायसराय की कार्यकारिणी 1935 के भारत- शासन अधिनियम के अंतर्गत एक अंतरिम सरकार के रूप में कार्य करेगी तथा इस पूरी व्यवस्था का संचारण भारत सरकार करेगी

युद्ध के पश्चात् संविधान सभा का गठन किया जायेगा और भारत के लिए एक नया संविधान बनाया जायेगा|

राजनीतिक दलों की शिमला में एक संयुक्त बैठक बुलाई जाएगी ताकि कार्यकारिणी कके सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक सर्व सम्मत सूची तैयार की जा सके|

शिमला सर्वदलीय सम्मलेन WAVELL PLAN: June 25, 1945 To July 6, 1945:-

 कुछ महीनों के बाद शिमला में एक शिमला सर्वदलीय सम्मलेन  बुलाया गया जो June 25, 1945 To July 6, 1945 तक चला था |

जब यह  समझौता शुरू हुआ वैसे ही मुस्लिम लीग के सदस्यों ने यहाँ हंगामा शुरू कर दिया क्यों कि हमेसा से इन सदस्यों को हिंदुस्तान से अलग रहने की सोच बनी रहती थी इसलिए इन्होने कहा कि

वायसराय की कार्यकारिणी में जितने भी मुस्लिम सदस्य होंगे उनका चयन केवल मुस्लिम लीग के द्वारा ही किया जाना चाहिए क्योंकि वही मुस्लिमों की एक मात्र प्रतिनिधि पार्टी है|

कांग्रेस को भी मुस्लिम सदस्यों को चुनने का अधिकार होना चाहिए क्यों कि वह अखिल भारतीय पार्टी है |

इस तरह से कांग्रेस और मुस्लिम लीग के सदस्यों का विवाद हो गया और वायसराय वॉवेल के द्वारा  शिमला सर्वदलीय सम्मलेन निरस्त करना पड़ा |

अतः लार्ड वेवेल द्वारा शिमला सम्मेलन को असफलता कह कर समाप्त घोषित कर दिया गया था इस प्रकार भारत की संवैधानिक समस्या का समाधान करने से संवंधित अंग्रेजों का एक और प्रयास असफल हो गया था|

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