शहीद शैव रजब अली, ज़िला आज़मगढ़ का क्रांतिकारी[चर्चा तथा गाथा pdf]
Home » शहीद शैव रजब अली, ज़िला आज़मगढ़ का क्रांतिकारी[चर्चा तथा गाथा pdf]

शहीद शैव रजब अली, ज़िला आज़मगढ़ का क्रांतिकारी[चर्चा तथा गाथा pdf]

by Srijanee Mukherjee
0 comment

हिन्दुस्तान में शायद ही कोई ऐसा दिल रहा होगा जिसे गुलामी का अंधेरा राम आया हो। वैसे तो प्रत्येक हिन्दुस्तानी दिल में, चाहे वह शैख का हो या ब्राह्मण का, पठान का हो या राजपूत का, हिन्द का हो या मुसलमान का सभी दिलों में आज़ादी की शर्मे रौशन थीं। देश प्रेमी दिलों में आज़ादी की रौशन ज्योति की तपिश ने गुलामी की मोटी-मोटी बेड़ियों को पिघला कर रख दिया। इस तरह भारत देश ने गुलामी की लागत से छुटकारा पाकर आज़ादी की नेमत को हासिल किया। इस लेख में महान क्रांतिकारी शैव रजब अली के भारत माता से मोहब्बत के बारे में चर्चा करेंगे|

महान एवं नामी-ग्रामी स्वतंत्रता सेनानियों के संबंध में तो लोग कुछ न कुछ जानते ही हैं, लेकिन वतन के गुमनाम शहीदों के कारनामे तो दूर की बात है, उनके नामों से भी कोई परिचित नहीं है। इस बड़ी कमी को मद्देनजर रखते हुए एक गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी शैख़ रजब अली शहीद का यहां उल्लेख किया जा रहा है|

शैव रजब अली का जन्म कब और कहाँ हुआ था :-

इनका जन्म ज़िला आज़मगढ़, मुहम्मदाबाद तहसील, ग्राम बहौर में हुआ था । देश के इतने अन्दरूनी गांवों में भी ऐसे कई जियाले सपूतों ने जन्म लिया, जिनमें देश को आज़ाद कराने की जागरूकता मौजूद थी। यहां उर्दू की यह मिसाल सही साबित होती है कि-“खूने-नाहक़ राएगां नहीं जाता” (अनुचित हत्या बेकार नहीं जाती)।

आजमगढ़ ,शैख़ मुब्बन, शेख बचई और ठाकुर परगन सिंह और शैव रजब अली की दांस्ता :-

जब फ़िरंगियों ने भारत देश पर नाजायज़ क़ब्ज़ा करके आज़ादी के इन्किलाबियों पर ज़ुल्म व सितम ढाए, उन्हें जेलों में बंद किया, उन पर गोलियां बरसाई गई, यहां तक कि उन मासूमों का बेतहाशा खून बहाया गया, उन बे-गुनाहों के बहे हुए खून के कारण पूरे देश में ऐसा माहौल बना, कि केवल शहरों में ही नहीं बल्कि दूर दराज़ के क़स्बे-क़स्बे, गांव-गांव और बस्ती-बस्ती में हज़ारों लाखों आज़ादी के मतवाले पैदा हो गए। शैख़ रजब अली भी भारत देश के एक छोटे से गांव के गुमनाम शहीदे वतन थे |

जिन्होंने भारत देश की आज़ादी की 1857 की लड़ाई में अपनी वीरता के कारनामे दिखाए। उनके साथी शैख़ मुब्बन, शेख बचई और ठाकुर परगन सिंह ने आस-पास के कई गांवों में घूम-घूम कर इन्किलाबियों को जमा किया। उनके दिलों में आज़ादी की ज्योति को रोशन किया और लोगों को देश की आज़ादी पर मर मिटने के लिए तैयार किया। इसका नतीजा यह हुआ कि उन सभी सरफ़रोशों ने अपने अपने क्षेत्र में क्रांति के आन्दोलनों में भाग लेकर अंग्रेज़ों में हड़कंप मचा दी।

फ़िरंगी यह समझने लगे कि ज़िला आज़मगढ़ में भी उन्हें दमन चक्र की नीति लागू करनी पड़ेगी। योजना के तहत अंग्रेज़ों ने विद्रोहियों पर बल का प्रयोग शुरू कर दिया। शैख़ रजब अली के बहत से साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय की गिरफ्तारियों के कारण शेख रजब अली चिन्ता में पड़ गए। हालांकि वह पहले से ही समझते थे कि ताक़तवर अंग्रेजों के खिलाफ़ विद्रोह का नतीजा तो यह होना ही था। रजब अली ने अपने अन्य साथियों की हिम्मत बंधाई। उन्होंने अगला कदम उठाने के लिए आपस में सोच- विचार किया। कुछ समय बाद स्वतंत्रता सेनानी रजब अली ने अपने साथियों शैख मुब्बन, शैख बचई, चमरू, इज़्ज़त आदि के साथ आज़मगढ़ की कोतवाली पर ज़ोरदार हमला कर दिया। उन्होंने हवालात का ताला तोड़ कर उसमें बंद विद्रोहियों को रिहा कराने का बड़ा कारनामा अंजाम दे डाला।

शैव रजब अली का 1857 की क्रांति में योगदान :-

अंग्रेज़ शासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी। ब्रिटिश अधिकारियों के गुस्से का पारा सीमाओं को पार कर गया। इस दौरान रजब अली अंग्रेज़ों के पंजों से बच कर अगली रणनीति बनाने के लिए ममरुवापुर गांव में ख़ामोशी से जाकर छुप गए। उधर ब्रिटिश सेना के अधकारियों ने क्रांतिकारी नेता शैख़ रजब अली को शीघ्र ही गिरफ़्तार किए जाने के हुक्म जारी कर दिए। चारों ओर युद्ध स्तर पर तलाश शुरू हो गई। गांव का कोई भी घर या टपरा ऐसा नहीं बचा, जिसकी अंग्रेज़ सिपाहियों ने तलाशी न ली हो। रजब अली कहीं भी नज़र नहीं आए। जैसे-जैसे समय गुज़र रहा था, ब्रिटिश अधिकारियों के गोरे चेहरे कभी गुस्से में लाल होते और कभी उनके माथों पर लकीरों की संख्या बढ़ती जाती थी। परेशान सैनिक अधिकारियों ने आस-पास के सभी इलाक़ों में सी.आई.डी. का जाल बिछा दिया।

पूरे क्षेत्र में खौफ और परेशानी का माहौल बन गया। वह गांव वाले भी जो कि शैख़ रजब अली का पता नहीं जानते थे, परेशान थे। जो जानते थे वह भी हैरान थे, कि देखो अब क्या होता है। देश प्रेमी गांव वाले यह नहीं चाहते थे कि आज़ादी का नेता फिरंगियों की पकड़ में आए। शैख़ रजब अली की तलाश में ब्रिटिश सेना के घोड़ों की टापों ने पूरे गावों की धरती को रौंद डाला। आज़ादी के मतवाले रजब अली साधनों की कमी के कारण कहीं दूर नहीं जा सके। कुछ समय बाद सी.आई.डी. ने उनके छुपने का पता लगा कर अधिकारियों को सूचना दे दी। फिर क्या था, अंग्रेज़ मजिस्ट्रेट बेनुबुल्स ने पूरी तैयारी से अपने सैनिक अमले के साथ ममरूवापुर गांव पर चढ़ाई कर दी। सैनिकों ने चारों ओर से गांव को पूरी तरह से घेर लिया।

जिन्दगी का आखिरी सफ़र :-

शैख़ रजब अली को यह मालूम हो गया कि वह चारों जानिब से अंग्रेज़ सेना के घेरे में आ चुका है। उसने तो अपने मन में ठान रखी थी कि अपने देश के लिए ही जीना है और देश के लिए ही मरना है। भारत के उस वीर सपूत ने कुछ देर सोचा फिर अपना मन पक्का करके अपनी तलवार उठाई। वह जियाला, फ़िरंगियों से डरे बग़ैर ब्रिटिश सेना के घेरे में अकेले ही कूद पड़ा। भारत का वह वीर सपूत अपनी तलवार तेज़ी से घुमाता अंग्रेज़ सैनिकों के घेरे को चीरता और तोड़ता बाहर निकल गया। सैनिक उस अकेले रजब अली की बहादुरी देख आश्चर्य चकित रह गये।

सैनिकों ने उसका पीछा किया। रजब अली आगे-आगे स्वंय को बचाता और फिरंगियों को थकाता रहा। जब उसको यह अन्दाज़ा हो गया कि अब वह सेना की पकड़ में आ सकता है तो उसने वहां बह रही टोंस नदी में बिना झिझके लम्बी छलांग लगा दी। ब्रिटिश सैनिक उस बहादुर रजब अली के करतब देख कर हैरान थे। सैनिकों ने उसे नदी में कूदता देख नदी की चारों ओर से घेरा बंदी कर ली। वह क्रांति वीर कुछ समय तक तो नदी में तैरता रहा। उसने मैका पाकर नदी से बाहर निकल कर भागने की कोशिश की।

उस समय वहां ताक में बैठे एक फ़िरंगी सैनिक की गोली का वह शिकार हो गया। स्वतंत्रता सेनानी शैख़ रजब अली की लाश हाजीपुर घाट पर तड़पने लगी। क्रूर एवं मग़रूर अंग्रेज़ों के बदले की आग इस पर भी ठंडी नहीं पड़ी। उन्होंने उस शहीदे वतन की लाश को चारों ओर से घेर लिया। जालिमों ने उस शहीद के बदन को जगह-जगह से संगीनों से छेद कर ज़ख़्मी कर डाला। उसका सर काट कर बदन से अलग कर दिया। एक शहीद की लाश के साथ अंग्रेज़ों का अमानवीय बरताव उनके ज़ुल्म व सितम और दरिन्दगी व वहशीपन की निशानी है। उनके बदले की आग इस पर भी नहीं रुकी, बल्कि उन्होंने शहीद रजब अली के गांव का घर जला कर राख कर दिया। उनकी बक़िया जायदाद ज़ब्त कर ली गई।

शहीद शैख़ रजब अली की लाश को देश प्रेम के जर्म में कायर फिरंगियों द्वारा बेदर्दी से कितनी सज़ाए दी गई उन्हें लिखने में क़लम थरौता है। गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिवीर शैख़ रजब अली शहीद की याद को ताज़ा करके प्रत्येक दिल देश प्रेम से भर जाता है।

You may also like

About Us

Lorem ipsum dolor sit amet, consect etur adipiscing elit. Ut elit tellus, luctus nec ullamcorper mattis..

Feature Posts

Newsletter

Subscribe my Newsletter for new blog posts, tips & new photos. Let's stay updated!