राजनीति विज्ञान को समझने के लिए सबसे पहले व्यवहारवाद को समझना जरुरी है क्योंकि इसमें बताया गया है किस तरह से राजनीति में अपना ग्रोथ करना है उसके बाद सम्प्रभुता को समझा जा सकता है इसलिए इस लेख में सम्प्रभुता (Sovereignty) के अर्थ तथा महत्त्व को समझेंगे|
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सम्प्रभुता (Sovereignty) का अर्थ :-
यह शब्द लैटिन भाषा से मिलता है जिसकी पहचान सुपरएनस शब्द से हुयी है, जिसका अर्थ है “ सर्वोच्चशक्ति”, इस प्रकार समाज की सर्वोच्च शक्ति को ही सम्प्रभुता कहा जाता है अर्थात यह वह सत्ता है जिसके उपर अन्य कोई सत्ता नहीं होती है|
प्रत्येक समाज विभिन्न प्रकार के वर्ग, संस्थाएं, समुदाय तथा शक्तियां होती है, इस सब में जो सर्वोच्च शक्ति रखता है उसे ही सम्प्रभुता सत्ताधारी कहा जाता है | वर्तमान समय में यह शक्ति आवश्यक रूप से राज्य के पास होती है जिसके आधार पर वह अन्य, समुदायों, संस्थाओं तथा सामान्य जनता से अपने आदेशों का पालन कराता है| राज्य की इच्छा (आदेश) कानून के रूप में व्यक्त होते है यदि कोई इसका उलंघन करता है तो राज्य उसे कठोर से कठोर दंड दे सकता है, इस सर्वोच्च सत्ता को ही सम्प्रभुता, राज्य की सर्वोच्च इच्छा, या कानून के रूप से संबोधित किया जाता है अर्थात ये तीनों शब्द एक दूसरे के पर्यायवाची है|
सम्प्रभुता (Sovereignty) की परिभाषाएं :-
इसकी प्रमुख परिभाषाएं निम्नलिखित है |
जीन बोदा के अनुसार:- सम्प्रभुता (Sovereignty) नागरिकों एवं प्रजाजनों के उपर वह सर्वोच्च शक्ति है जिस पर कानून का कोई बंधन नहीं होता है|
ग्रोशियर के अनुसार :- सम्प्रभुता (Sovereignty) उस व्यक्ति की सर्वोच्च राजनैतिक शक्ति है जिसके कार्य किसी अन्य के अधीन नहीं होते और जिसकी इच्छा का उलंघन न किया जा सके|
व्लैकस्टोन के अनुसार :- सम्प्रभुता (Sovereignty) वह सर्वोच्च अनिवार्य व अनियंत्रित सत्ता है जिसमें सर्वोच्च विधिगत शक्ति होती है|
विलोबी के अनुसार :- सम्प्रभुता (Sovereignty) राज्य की राज्य की सर्वोच्च इच्छा है|
जेलीनेक के अनुसार :- सम्प्रभुता (Sovereignty) राज्य का वह गुण है जिसके कारण वह अपनी इच्छा के अतरिक्त किसी दूसरे की इच्छा या किसी बाहिरी शक्ति के आदेशों से बाध्य नहीं है|
पोलॉक के अनुसार :- सम्प्रभुता (Sovereignty) वह शक्ति है जो न तो अस्थायी होती है और न ही किसी के द्वारा दी गई होती है, न ही ऐसे नियमों के अधीन है जिसे वह स्वयं बदल न सके और न ही यह पृथ्वी पर किसी दूसरी शक्ति के प्रति उत्तरदायी होती है|
डयूग्वी के अनुसार :- सम्प्रभुता राज्य की शासन शक्ति या आज्ञा देने की शक्ति है, वह राष्ट्र की इच्छा है जिसका संगठन राज्य के रूप में हुआ है उसे राष्ट्र की सीमा के भीतर सब शक्तियों का आदेश देने की अधिकार है|
बुडरो विल्सन के अनुसार :- सम्प्रभुता वह शक्ति है जो सदा सक्रिय रहकर कानून बनाती है और उसका पालन करवाती है |
बर्गेस के अनुसार :- सम्प्रभुता जनता तथा जनता के सभी संगठनों के उपर मौलिक, निरंकुशा और असीमित शक्ति है|
लास्की के अनुसार :- सम्प्रभुता क़ानूनी तौर पर व्यक्तियों तथा समूहों पर सर्वोच्च होती है और उसके पास सर्वोच्च बाध्यकारी शाक्ति होती है|
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