चांग’ई मिशन क्या है इसके बारे में बताइए
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चांग’ई मिशन क्या है इसके बारे में बताइए

by Srijanee Mukherjee
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यह चीन के चंद्र मिशन को चांग’ई कहा जाता है जिसमे (चांग’ई-1, चांग’ई-2, चांग’ई-3, चांग’ई-4, चांग’ई-5, चांग’ई-6)  अभी तक 6 मिशन हुए है, जिसका नाम चीनी पौराणिक कथाओं में चंद्रमा की देवी के नाम रखा गया है|
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चांग’ई 1 :-

इसको 2007 में लांच किया गया था या चंद्रमा की सतह का नक्सा बनाया बनाया गया था |

चांग’ई 2:-

इस दौरान, आर्बिटर को बेहतर कैमरे से लैस किया गया था |

चांग’ई 3:-

इसमें लैंडर और शोवर था |

चांग’ई 4:-

यह चंद्रमा के दूर के हिस्से पर उतरने और इस अपेक्षाकृत से अधिक रहस्यमय क्षेत्र का पता लगाने के लिए लैंडर और रोवर ले गया था|

चांग’ई 5 :–

इस मिशन ने चंद्रमा के निकट के हिस्से पर एक लैंडर तैनात किया, जिसमें मिट्टी के नमूने (विशेष रूप से, आत तक के सबसे कम उम्र के ज्वालामुखी चंद्र मिट्टी के नमूने) एकत्र किये और खुद को कक्षा में लांच किया | वहां, एक आर्बिटर ने नमूने एकत्र किये, तथा उन्हें एक रिटर्नर में स्थानांतरित किया, और रिटर्नर उन्हें प्रथ्वी पर ले आया |

चांग’ई 6 :-

यह मिशन प्रतिकृति बनाने का प्रयास चांग’ई 5 प्रतिकृति बनाने का प्रयास है लेकिन चंद्रमा के सुदूरवर्ती हिस्से में  है, अब यहाँ समझने की बात है कि यह सुदूरवर्ती या सुदूर पक्ष क्या है?

सुदूरवर्ती पक्ष क्या है :-

जिस तरह से चंद्रमा ज्वारीय रूप से प्रथ्वी से घिरा हुया है तथा प्रथ्वी के सामने वाला हिस्सा चंद्र गोलार्थ हमेशा प्रथ्वी की और रहेगा तथा दूर वाला गोलार्थ हमेसा दूर की और रहेगा | इस तरह से दूर वाले हिस्से में चट्टानी भूभाग है और पास वाले हिस्से की तुलना में कम चिकने वाले मैदान है |

इस प्रकार, किसी अन्तरिक्ष यान को दूर की और उतरना कठिन होता है और इससे भी अधिक यहाँ किसी अन्तरिक्ष यान के साथ प्रथ्वी से सीधे संचार करना असंभव है: और यहाँ द्रष्टि की कोई रेखा नहीं (यहाँ कुछ दिखाई नहीं देता है) हैं |

सुदूरवर्ती पक्ष में अन्तरिक्ष यान का कार्य :-

  • एक समान्य समाधान अन्तरिक्ष में एक दूसरा अन्तरिक्ष रखना है जो पृथ्वी पर ग्राउंड स्टेशनों और सतह अन्तरिक्ष यान के बीच संकेतों को रिले करता है जिससे मिशन और अधित जटिल हो जाता है तथा पृथ्वी चंदमा के दूर वाले  हिस्से को सौर हवा से बचाता है जिससे उम्मीद आ जाती है कि दूर वाले हिस्से में ज्यादा हीलियम-3 मौजूद होगी|
  • वैज्ञानिको को यह उम्मीद हो जाती है कि आइसोटोप का इस्तेमाल उन्नत फ्यूजन रिएक्टरों में किया जा सकता है, दूर वाला हिस्सा बड़ी दूरबीन लगाने के लिए भी एक अच्छी जगह हो सकता है जिससे धरती की वजह  से ब्रह्माण्ड का नजारा बिना किसी बाधा के देखा जा सकता है|

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