इसकी 1950 के दशक में शुरुआत हुयी लेकिन उस समय आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस AI को लोग जानते नहीं थे,(इसके बारे में सिर्फ लोगों ने जानने की कोशिस की) कुछ वर्षों के बाद 1970 के दशक में इसे थोड़ी बहुत पहचान मिली |
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसAI को बनाने वाला पहला देश जापान :-
- सबसे पहले AI को जापान की और से पहल की गयी यह वह समय जब दुनियां में शीत युद्ध चल रहा था, वर्ष 1981 में “फिक्स जनरेशन” नामक योजना की शुरुआत की थी, जिसमें सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिए 10-वर्षीय कार्यक्रम की रुपरेखा प्रस्तुत की गयी थी |
- ब्रिटेन में इसके लिए “एल्बी नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया |
- यूरोपीय संघ के देशों ने भी एक “एस्प्रिट” नाम से एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी इसके कुछ वर्षों के बाद 1983 कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर AI पर लागू होने वाली उन्नत तकनीकों जैसे-Very Large Scale Integrated सर्किट का विकास करने के लिए एक संघ “माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिकस” की बात की थी |
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आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस AI की सबसे पहले घटना:-
2010 में जब सोशल मीडिया साइट्स का प्रयोग करके आम नागरिकों के डेटा (आंकड़ों) को एकत्रित चुनाव (अमेरिका) में हेराफेरी करने के लिए उपयोग (कोशिस)में लाया गया था इसकी जानकारी 2018 में “कैम्ब्रिज एनालिटिका घोटाला” के रूप में सामने आयी |
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस(AI) का चुनावों पर प्रभाव :-
- AI दुष्प्रचार के पैमाने को हजारों गुना तक बड़ा सकता है|
- चित्रों, वीडियो या ऑडियो की अति-यथार्थवादी डीप फेक मतदाताओं (गलत तरीके से पेश) को कथित रूप से तथ्य- जाँच करने से पहले शक्तिशाली रूप से प्रभावित कर सकती है|
- इसके बाद तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण, सूक्ष्म लक्षीयकरण (Microtargeting ) द्वारा प्रभावित कर सकता है|
- हालाँकि राजनीतक दल इसे अपने प्रचार के टूल के रूप में भी प्रयोग कर रहे है|
वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस(AI) दुष्प्रभाव:-
हाल ही में एक नये अध्ययन में भविष्यवाणी की गयी है कि AI 2024 में लगभग दैनिक आधार पर सोशल मीडिया के प्लेटफार्मों पर सबसे जहरीली सामग्री फ़ैलाने में मदद करेगा और संभावित रूप सेहाल ही में होने वाले 50 से अधिक देशों के चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है | विश्व आर्थिक मंच (WFF) के वैश्विक जोखिम धारणा सर्वेषण में गलत सूचना और शीर्ष 10 जोखिमों में सामिल किया गया है |