यदि द्वतीय विश्व युद्ध (1939-1945) की बात करे तो आधे से ज्यादा यूरोपीय देश बर्बाद हो चुके थे उसके साथ- साथ जो देश व्रिटेन की तरफ से इस युद्ध में लड़ रहे थे उन देशो का भी बुरा हाल था, युद्ध समाप्ति होने के बाद ब्रिटेन में शिक्षा के विकास हेतु बटलर योजना ( Butler Plan) बनाई गयी थी तभी भारत में भी शिक्षा के विकास के लिए एक शिक्षा योजना को तैयास करना उचित समझा | सार्जेंट शिक्षा योजना भारत के लिए बहुत उपयोगी है|
इस सम्बन्ध में वाइसराय की प्रबंधनकारिणी परिषद् की पुननिर्माण समिति ने तात्कालिक भारतीय शिक्षा सलाहकार “सर जॉन सार्जेंट (Sir John Sargent)” को भारत में शिक्षा के विकास पर एक स्मृति-पत्र (Memorandum) तैयार करने का आदेश दिया |
सार्जेंट शिक्षा का अर्थ:-
सार्जेंट ने 1944 में अपनी रिपोर्ट “केन्द्रीय शिक्षा सलाहकर परिषद्” के समक्षं प्रस्तुत की, इस रिपोर्ट को भारत में युद्धोत्तर शिक्षा- विकास योजना अथवा केन्द्रीय शिक्षा सलाहकर परिषद् की रिपोर्ट अथवा सार्जेंट योजना के नाम से पुकारा जाता है|
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सार्जेंट रिपोर्ट को भागों में विभाजित:-
इसको 12 भागों में विभाजित किया गया है तथा इसमें पूर्व प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी थी, इस योजना के अनुसार” इसको (इस योजना, सार्जेंट रिपोर्ट) को पूर्व करने में 40 वर्ष का समय लगेगा और इस पर लगभग 313 करोड़ रूपये व्यय होंगे |
इसको 12 भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें बताया गया कि प्राथमिक शिक्षा से उच्चशिक्षा तक का प्रारूप कैसा होगा उसके साथ- साथ 40 वर्ष का समय तथा लगभग 313 करोड़ रूपये खर्च होंगे |
यह शिक्षा पर आधिरत है, द्वतीय युद्ध के बाद (लगभग समाप्ति) ब्रिटेन ने शिक्षा के विकास के लिए इस योजना को आरम्भ लिया था |
केन्द्रीय शिक्षा सलाहकर परिषद्