18वीं लोकसभा के दौरान सर्व सम्मति से स्पीकर (speaker) के रूप में ओम बिरला को चुन लिया गया है लेकिन उपाध्यक्ष के मामले में विपक्ष का कहना है कि उनका (इंडिया गठबंधन) का होना चाहिए इसीलिए समझने के लिए जानते है कि लोकसभा में उपाध्यक्ष/उपसभापति की भूमिका क्या होती है इसके साथ-साथ, क्या आजादी के बाद पहली बार उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव है या फिर इससे पहले भी विपक्ष की तरह से (वर्ष 2014) उपाध्यक्ष पद का चुनाव हुआ है |
लोकसभा में उपसभापति का संवैधानिक पद:-
- यह एक संवैधानिक पद है जोकि वर्ष 2019 से 2024 तक रिक्त था लेकिन जब विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गाँधी को चुना गया तब इसको चर्चा में लाया गया और संसद में उपाध्यक्ष/उपसभापति की नियुक्ति होनी चाहिए|
- जिस तरह से लोकसभा में विपक्ष की ताकत बढ़ने के साथ ही उसके सदस्य उपसभापति का पद पाने की उम्मीद कर रहे है, 17वीं लोकसभा (2019- 2024) के पूरे कार्यकाल में कोई उपाध्यक्ष नहीं रहा | उस समय भाजपा के सहयोगी पार्टी (एआईडीएमके) के एम थाम्बी दुरई 16वीं लोकसभा (2014-2019) के उपाध्यक्ष थे |
1990 से 2014 तक लगातार उपसभापति पद पर विपक्ष का कब्ज़ा
हालाँकि 1990 से 2014 तक लगातार उपसभापति का पद विपक्ष के पास रहा था केंद्र सरकार ने स्पीकर/ सभापति पद के लिए अपने उम्मीदवार ओम बिरला के लिए विपक्ष से समर्थन मांगा है लेकिन उपसभापति पद के लिए कोई आश्वासन देने को तैयार नहीं है | पहली लोकसभा से लेकर चौथी लोक सभा के अंत तक सभापति और उपसभापति दोनों पद सत्ताधारी पार्टी के पास होते थे लेकिन 1969 में पहलीबार लोकसभा के उपसभापति को विपक्ष को देने की बात सामने आई थी तब से यह पद लगातार विपक्ष के पास ही रहा है |
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भारतीय संविधान उपसभापति के बारे में क्या कहता है?
अनुच्छेद 95 (1) के अनुसार, यह रिक्त पद है तो उपसभापति अध्यक्ष के कर्तब्यों का पालन कारता है | सदन की अध्यक्षता करते समय उपसभापति के पास अध्यक्ष के समान शक्तियां होती हैं, नियमों में “अध्यक्ष” के सभी सन्दर्भों को उपसभापति के सन्दर्भ के रूप में माना जाता है, साथ ही उस समय के लिए भी जब वह अध्यक्षता करता है |
हालाँकि यह एक सवैधानिक पद है लेकिन संसद की 17वीं लोकसभा (2019- 2024) के पूरे कार्यकाल में कोई उपसभापति नहीं रहा, यह पद खाली था |
एआईडीएमके के एम थाम्बी दुरई उपसभापति थे ,यह पार्टी भाजपा के सहयोगी दल के रूप में थी |