क्या आप जानते हैं वर्तमान में सांसदों संख्या कितनी है, उदाहरण के लिए किसी प्रदेश की जनसंख्या में उतने सांसदों से भाग (÷) दे देंगे। इससे पता चल जायेगा किस जिले में कितने सांसद होने चाहिए। इसलिए प्रत्येक लोकसभा चुनाव से पहले परिसीमन होना चाहिए ताकि पता चल सके कितने मतदाताओं पर कितने सांसद आ रहे हैं।
इसलिए भारतीय संविधान में लिखा है प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) का गठन करना चाहिए। इसका गठन 1951 में हुआ था।
परिसीमन आयोग (Delimitation Commission) के कार्य :-
राज्य में विधानसभा और लोक सभा चुनावों के लिए निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं को निर्धारित करना परिसीमन कहलाता है। इस आयोग को सीमा आयोग (Boundary Commission) के नाम से भी जाना जाता है। भारत देश की संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद -82 के तहत परिसीमन अधिनियम लागू किया गया था।
परिसीमन आयोग की संरचना :-
- अध्यक्ष – उच्चतम न्यायलय के एक अवकाश प्राप्त जज(न्यायधीश) ही इसका अध्यक्ष बन सकता है।
- अन्य सदस्य – chief election commissioner (CEC) या CEC द्वारा नमित कोई निर्वाचन आयुक्त। या संबंधित राज्यों के निर्वाचन आयुक्त।
- सहयोगी सदस्य – 5 लोकसभा के तथा 5 राज्यसभा(जिस राज्य का परिसीमन होने जा रहा है) के। (राजनैतिक दलों के सहयोगी सदस्य)
- नोट – उस समय का वर्तमान स्पीकर किसी भी 5 निर्वाचित व्यक्तियों को भेज सकता है।

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परिसीमन आयोग के कार्य :-
- संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों परिसीमन- लोकसभा और राज्यसभा की सीटों का निर्धारित करना।
- विधानसभा के क्षेत्रों का परिसीमन-विधानसभा के क्षेत्रों तथा सीमा निर्धारित करना।
- SC/ST के लिए सीटों का आरक्षण – Scheduled Castes तथा Scheduled Tribes को सीटों का आवंटन करना।
परिसीमन आयोग का इतिहास :-
1-पहली बार अधिनियम, 1952 में बनाया गया था।
2-दूसरी बार अधिनियम, 1962 के तहत बनाया गया था लेकिन 1963 में लागू हुआ।
3-तीसरी बार अधिनियम, 1972 में बनाया गया और 1973 में ही लागू किया गया।
4- चौथी बार अधिनियम, 2002 में बनाया गया और उसी वर्ष 2002 में लागू किया गया।
FAQ
1-1952 में पहली बार
2-1962 में दूसरी बार
3-1972 में तीसरी बार
4-2002 में चौथी बार
25 वर्ष के लिए, 2001 में 84वें संविधान संसोधन के अनुसार इसे 25 वर्षों के लिये बना दिया गया था।
2027 में
Delimitation Commission
इसे Boundary Commission के नाम से भी जाना है यह कमीशन विधानसभा और लोकसभा के दौरान चुनाव क्षेत्र की सीमा को निर्धारित करता है।
अनुच्छेद -82 के तहत इस अधिनियम को लागू किया गया था।
वर्ष 2025 तक इसका चार (4) बार गठन किया जा चुका है। जोकि निम्लिखित है।
1952 में पहली बार, 1962 में दूसरी बार,1972 में तीसरी बार,2002 में चौथी बार। वर्ष 2026-27 में पाँचवी (5वीं) बार गठन किया जायेगा।
इसका अध्यक्ष उच्चतम न्यायलय का जज (न्यायधीश) ही बन सकता है। उसके अलावा
अन्य सदस्य – chief election commissioner (CEC) या CEC द्वारा नमित कोई निर्वाचन आयुक्त। या संबंधित राज्यों के निर्वाचन आयुक्त।
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