भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में बिहारी महिलाओं की भूमिका अहम रही है। प्रभावती देवी बिहार के समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की पत्नी थी। इनका जन्म तो सिवान में हुआ था लेकिन रहन-सहन दरभंगा में हुआ था। ऐसा भी कहा जाता है कि महात्मा गांधी जी और कस्तूरबा गांधी इनको अपनी बेटी मानते थे।
प्रभावती देवी का जन्म :-
इनका जन्म जून 1906 में श्रीनगर (शिवान, सारण) के एक मध्ययम वर्गीय परिवार (कायस्थ घराने) में हुआ था लेकिन लालन-पोषण दरभंगा में हुआ। पिता का नाम ब्रजकिशोर प्रसाद जोकि स्वतंत्रता सेनानी तथा प्रख्यात वकील थे। बचपम से ही यह अपमे के साथ समाजवादी /क्रांतिकारी/ सभाओं में भाग लेती थी तथा समाज की समस्या तथा चर्चा सुनती थी। इसी दौरान उनकी शिक्षा-दीक्षा भी घर पर हुई।
महात्मा गांधी और ब्रजकिशोर प्रसाद:-
- 1907 ईस्वी में गांधीजी चंपारण लाने की भूमिका प्रभावती देवी के पिता ब्रजकिशोर प्रसाद की थी और गांधीजी जब चंपारण आये तो इनके घर पर ही रुके ठहरे थे।
- प्रभा को देखते ही बोले यह मेरी बेटी है इसे मेरे साथ भेजो। ब्रजकिशोर तैयार हो गये और अपनी बेटी की गांधीजी को सौंप दिया।
- 1920 ईस्वी में इनका विवाह दिवारा के हरसू दयाल के पुत्र जयप्रकाश नारायन हुआ और ऐसा कहा जाता है विवाह के दौरान यह बिना पर्दा किये ससुराल पहुंची। ग्रामीण समाज में हलचल मच गया। लेकिन बाबू हरसू दयाल जी ने सबको समझाया।
- 1922 ईस्वी में जयप्रकाश नारायण अमेरिका चले गये उसी दौरान उनकी पत्नी सावरमती आश्रम जाना चाहती थी परन्तु 1920 के दशक में बिहार का समाज सोच भी नहीं सकता था कि कोई पुत्रबधू इस प्रकार घर छोड़कर शिक्षा पाने के लिये आश्रम चली जाये, फिर चाहे वह आश्रम महात्मा गांधी का ही क्यों न हो?
- लेकिन प्रभावती ने यही व्यथा पन्नों के माध्यम से गांधी जी तक पंहुचाती रहती थी। बाद में वह साबरमती आश्रम पहुंची। इसी दौरान उनकी जीवन साधना का अध्याय आरम्भ हुआ। वह बिहार की पहली महिला थी जिन्हें गाँधीजी के साथ लम्बे समय तक कार्य करने का मौका मिला।
महात्मा गांधी और प्रभावती देवी:-
- गांधी जी के यात्रा दल में प्रभावती भी रहती थी।1925 ईस्वी में उनके बिहार, आंध्र प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश के दौरे में भी वह गांधीजी साथ रही थी। कितबों से पता चलता है प्रायः बिहार में सभी कांग्रेसी अधिवेशन में उन्हें जाने का अवसर मिल जाता था।
- 1929 ईस्वी में जयप्रकाश नारायणअमेरिका से लौटकर आ गये, लेकिन प्रभावती उन दिनों गांधी जी के साथ इलाहबाद में थी। कमला नेहरू, विजय लक्ष्मी पंडित, कृष्णा जी तथा स्वरूपरानी, उनकी प्रिय मित्रों की गिनती में आते थे।
- 1930 ईस्वी के दौरान प्रभावती ने जयप्रकाश के साथ इलाहबाद में कुछ दिन बिताये और वह कमला नेहरू के साथ शराब की दुकानों पर धरना देती थी।
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प्रभावती देवी की पहली गिरफ़्तारी :-
फरवरी 1932 ईस्वी को पुरुषोत्तम दास टंडन के मकान में मीटिंग चल रही थी उसी दौरान पुलिस ने अन्य महिलोओं के साथ प्रभावती को गिरफ्तार कर लिया। 8 फरवरी को उनका ट्रायल हुआ और उन्हें कड़ी सजा मिली। वह जेल से छूटकर अधिकतर समय गांधीजी के साथ ही रहती थी। 1934 ईस्वी में गांधीजी के साथ उनको बिहार के दौरे पर गयीं।
1940 ईस्वी के रामगढ़ कांग्रेम में प्रभावती को स्वयंसेविका दल की प्रमुख बनाया गया। उन्होंने बहुत लगन से स्वयं सेविकाओं की भर्ती तथा प्रशिक्षण का कार्य किया। उनके इन कार्यों से बिहार की महिलाओं में जागृति आई। उनके प्रत्यनों के फलस्वरूप 26 जून, 1940 ईस्वी को पटना में “बिहार महिला चरखा क्लास” के नाम से एक संस्था की स्थापना की। 1941 ईस्वी में गाया, हजारीबाग तथा बेटिया जिले में चरखा क्लास खोले गये |
चरखा तथा नारी भूदान में भूमिका :-
- अगस्त 1942 इस्वी में चरखा क्लास द्वारा संगठित 200 महिलाओं का जुलूस प्रभावती के नेतृत्व पटना सेक्रेटेरिएट पर तिरंगा फैरने के लिये निकला। प्रभावती की गिरफ़्तारी के बाद कार्य शिथिल पड़ गया।
- 1946 में प्रभावती के नेतृत्व में चरखा क्लास की ओर से अस्पताल में भर्ती किये गये दंगा पीड़ितों की सेवा की। आजादी के बाद नारी जागरण तथा भूदान आंदोलन में लगी रही।
600 से अधिक शादियां बिना दहेज़ के :-
दहेज़ प्रथा के विरुद्ध अभियान चलाएं इससे कस्तूरबा गांधी इन्हे अपनी बेटी के रूप में स्वीकार किया।15 अप्रैल 1973 में कैसर की बीमारी से इनका निधन हो गया। आजादी की लड़ाई में महिला चरखा समिति का गठन भी किया। 20 जून 1940 को चरखा संघ की स्थापना किया और निर्देशन राजेंद्र प्रसाद रहे।
2011 के बाद 2021 में पुनः चरखा क्लास बिहार सरकार प्रारम्भ करने के विचार कर रही है। तिलक स्वराज में धन जमा करवाने में मुख्य भूमिका निभाई।
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