बिहार चुनाव का इतिहास रहा है चाहे पश्चिमी बिहार हो या पूर्वी बिहार, इस प्रदेश ने समय-समय पर बदलाव के साथ अच्छे नेताओं को राजनीति करने का मौका दिया। लेकिन सवाल है कि क्या इस विधानसभा चुनाव में बदलाव होगा? बांका जिले की सीमा झारखण्ड के गोड्डा जिले से साझा करती है इसलिये यहां चुनावी माहौल गर्म दिखाई देता है। 1951 में कटोरिया विधानसभा का गठन हुआ जिसके बाद आये दिन संख्या में बदलाव दिखाई देता रहा। 1975 में पहला चुनाव हुआ जिसमें Raghvendra Narain Singh ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस Piroo Manjhi के को हरा दिया था लेकिन ST (Scheduled Tribe), होने के नाते Raghvendra Narain Singh और Piroo Manjhi को चुनाव निर्वाचन आयोग के द्वारा जीता घोषित किया।
कटोरिया विधानसभा का चुनावी इतिहास
वर्ष 1957 के विधानसभा चुनाव में काटोरिया विधानसभा की संख्या 141 थीं हालांकि समय-समय पर इसका बदलाव हुआ है लेकिन वर्तमान में 162 है। 1961 में Munsa murmu के बाद 1962 में स्वतन्त्र पार्टी के उम्मीदवार Kampa Murmu ने जीत हासिल की।
पिछले 5 विधानसभा चुनावों के आंकड़े देखने से पता चलता है यहाँ के मतदाताओं ने एक राजनैतिक दल पर भरोसा नहीं जताया। 2005 (फरवरी, अक्टूबर) के चुनावों में RajKishor Prasad ने क्रमशः लोक जनशक्ति पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर जीत हासिल की लेकिन जनता ने इन्हें नकार दिया।

कटोरिया विधानसभा में बीजेपी का उदय
यह ऐसी विधानसभा सीट है जहां 2010 से पहले जनसंघ, जनता पार्टी, सीपीई और सीपीआईएम ने जीत हासिल नहीं की। यहाँ ज्यादातर दलित और अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं। इसलिए कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन 2010 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार सोनेलाल हेमब्रम ने चुनाव जीतकर साबित कर दिया,वह बीजेपी को ऐसे क्षेत्र में जिता सकते है जहां पर उनका नामों निशान नहीं हुआ करता था।
वर्तमान में निक्की हेमब्रम बीजेपी पार्टी की विधायका हैं क्या फिर से काटोरिया की सीट NDA खाते में जायेगी या महागठबंधन की निगाहेँ इसे जीतने की होंगी। हमारे संवाददाता ने काटोरिया के अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों से बात की।
पीपल के पेड़ के नीचे बैठे बुजुर्गो से बातचीत
नमस्ते अंकल, कैसे हैं, अच्छा मुझे बतायए यहां से बीजेपी वर्तमान में निक्की हेमब्रम है क्या आप लोग उनके कार्यों से कितने सहमत हैं?
उनका काम तो ऐसा ही रहा है हमने कभी नहीं देखा मेरे गांव में आई हों, चुनाव जीतने के बाद कोई नेता नहीं आता। वोट मिल गया, जीत गये उसके बाद बड़े लोगों का, ठेकेदारों का काम करते है, सर इसमें को नहीं बात नहीं है निक्की हेमब्रम जी नहीं आती हैं। लेकिन अब चुनाव का समय है तो नेता लोग फिर से आएंगे।
आप कह रहे हैं महिला उम्मीदवार थीं इसलिये जीत गयी ?
बीजेपी के ज्यादातर विधायक मोदी और योगी की वजह से जीतते हैं वैसे उनका कोई अस्तित्व नहीं है। चुनाव के समय मोदी जी आएंगे, बोलेगे बिहारवासियों विकास चाहिए तो मोदी को वोट दीजिये। लोग मोदी के बहकावे में आकर वोट दे देते है लेकिन उनके विधायकों का कोई कार्य नहीं है।
बिहार में किसे मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं?
नीतीश जी ही ठीक है, सड़को का विकास तो हुआ है लेकिन रोजगार अफसरसही के क्षेत्र में नीतीश जी फेल हो गये है। बदलाव होता है तो सही ही है, लेकिन नीतीश कुमार ही ठीक हैं।
तेजस्वी यादव और चिराग पासवान में अच्छा कौन है?
दोनों नेता सही ही है लेकिन तेजस्वी यादव साफ छवि वाले है, ज्यादातर लोग उन्हें ही लाने की सोच रहे है। यदि तेजस्वी जी आएंगे तो युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बनेगें। हमारे यहां के लोग तेजस्वी यादव की चर्चा ज्यादा करते है। वही चिराग पासवान का इतना अस्तित्व नहीं है कि वह मुख्यमंत्री बन सकें इसलिये तेजस्वी यादव की चर्चा ज्यादा है।
इसे भी पढ़े :-
मनिहारी विधानसभा का माहौल | कटिहार जिला | NDA या महागठबंधन
निष्कर्ष-
लोगों के मत से पता चल रहा है कि भारतीय जनता पार्टी की तरफ जुकाव खत्म होता दिख रहा है कटोरिया में 1980 से 1990 के समय में लगातार कांग्रेस के उम्मीदवार ने जीत हासिल की उसके बाद आज तक लगातर किसी भी राजनैतिक दल का अस्तित्व नहीं रहा है लेकिन कहने की बात यह होगी कि क्या फिर से बीजेपी आएगी या महागठबंधन की तरफ लोगों का झुकाव हो सकता है। लेकिन लोग बदलाव चाहते हैं।
- बांका : क्या कटोरिया विधानसभा ST/(162) के राजनैतिक समीकरण में बदलाव होगा?
- कटिहार : मनिहारी विधानसभा (67)/ST कौन जीत रहा है, NDA या महागठबंधन?
- पूर्णियां : ऑटो ड्राइवर ध्रुव कुमार ने पप्पू यादव को भगवान का दर्जा क्यों दिया।
- भागलपुर : नाथनगर विधानसभा (158) में किस राजनैतिक दल का दबदबा रहा है, पूरा इतिहास देखिये |
- पूर्णियां : CPM नेता अजीत सरकार ने पप्पू यादव, कमलदेव सिन्हा जैसे दिग्गज नेताओं को हराया था |