यह लेख परीक्षा की द्रष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है नेपोलियन के दौर को दो भागों कोंसुल (1799-1804) तथा साम्राज्य (1804-1814) में विभाजित किया जा सकता है। 1793-94 के बीच “रबस्पीयर” फ्रांस का सबसे ताकतवर आदमी बन गया। इसके दौर को “आतंक के युग” के रूप में जाना जाता है। इसके बाद 1794-1799 तक डायरेक्टरी का शासनकाल रहा। डायरेक्टरी के शासनकाल में भ्रष्टाचार तथा अस्थिरता सबसे प्रमुख विशेषताएं रही।
इसलिए डायरेक्टरी के शासनकाल को समाप्त करने के लिए कुलीनो, पादरियों, बुद्धिजीवियों के एक समूह जिन्हें “बूमेंरियन” के नाम से जाना जाता था, ने एक साजिश के तहत डायरेक्टरी का तख्ता पलट कर दिया। इस तख्ता पलट के साथ ही नेपोलियन कालीन फ्रांस की शुरुआत हुई।
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नेपोलियन की नियुक्तियां:-
उसने सत्ता में आते ही अपनी शक्ति को बढ़ाने की दिशा में कार्य किया। इसने सम्पतिशाली वर्ग के साथ संबंध स्थापित किए। नेपोलियन ने सामाजिक समूह “नोटेबल”, जो भूस्वामी थे तथा स्थानीय स्तर पर काफी शक्तिशाली थे, के साथ संबंध स्थापित किए। नेपोलियन ने एक शाही अभिजात वर्ग का गठन किया। इस वर्ग की नियुक्ति उसने उच्च पद पर की।
प्रांतों के कामकाज को चलाने के लिए नेपोलियन ने अधिकारियों की नियुक्ति श्रेणीबध तरीके से की। प्रत्येक प्रांत का प्रमुख “प्रीफेक्ट” कहलाता था। यह सरकारी आदेशों को लागू करते थे, नियुक्तियों, सार्वजनिक निर्माण कार्यों, करो के संग्रह, जैसी व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार थे। इनके कार्यों में एक विशिष्ट परिषद सहायता प्रदान करती थी।
प्रत्येक प्रांत को 5 भागों में विभाजित किया गया था। जिसका प्रशासन “उप प्रीफेक्ट” द्वारा चलाया जाता था। शहरों और कस्बों के स्तर पर “महापौर “ नियुक्त किए जाते थे।
नेपोलियन के सत्ता में आते ही दो प्रमुख लक्ष्य थे एक कानून व्यवस्था स्थापित करना तथा अपने विरोधियों का दमन करना ।
उसने अपने शासनकाल में पहली बार फ्रांसीसी राजनीतिक पुलिस का गठन हुआ। पुलिस व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए उसने संपूर्ण फ्रांसीसी साम्राज्य को चार हिस्सों में बांटा। इनका प्रमुख कर्तव्य नेपोलियन के खिलाफ हो रहे राजनीतिक विरोध को दबाना और साजिश को उजागर करना था। तथा उसने छपाई पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया। समाचार पत्रों को आदेश दिया गया कि वह सरकार की आलोचना ना करें। प्रेस ब्यूरो को आदेश दिया गया कि अखबार पर नजर रखें। ब्यूरो की अनुमति के बगैर कोई भी अखबार छापा नहीं जा सकता था।
कानून सहिंता:-
नेपोलियन की कानून सहिंता उसके सुधारों की प्रमुख विशेषता थी। “सेंट हेलना” के टापू पर नेपोलियन ने खुद कहा था मेरी बढ़ाई इसमें नहीं की मैंने 40 जंगे जीती है, क्योंकि मेरी तमाम जीतो की स्मृति ‘वाटरलू’ के जंग में हुई हार मिटा देगी, लेकिन जो बात कभी नहीं भूलाई जा सकती वह है मेरी कानून संहिता (कोड नेपोलियन)। नेपोलियन की सबसे अच्छी विरासत उसकी नागरिक संहिता थी। इस नागरिक संहिता ने कानूनी समानता, योग्यता पर आधारित कैरियर, सामंती विशेषाधिकारो का अंत, धार्मिक स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्ष कानून, व्यवसाय की स्वतंत्रता, जैसे अधिकारों की स्वीकृति दी । संपत्ति के मालिकों को अपनी इच्छा अनुसार संपत्ति बेचने और इस्तेमाल करने का अधिकार मिल गया। इस संहिता ने पारिवारिक संपत्ति को नियंत्रित किया। वारिसों के बीच संपत्ति के बंटवारे को नियंत्रित किया। इस सहिंता ने शादी को धर्मनिरपेक्ष किया तथा इसे राज्य के नियंत्रण में ला दिया।
सिविल प्रक्रिया संहिता:-
नेपोलियन ने यह सहिंता बेल्जियम, नीदरलैंड, इटली, स्वीटजरलैंड, एवं जर्मनी में भी लागू की। इसके बाद सिविल प्रक्रिया संहिता और वाणिज्यिक संहिता लागू की गई। वाणिज्यिक संहिता दिवालियापन और व्यवसायिक विवादों जैसे मुद्दों से निपटने के लिए थी। 1799 ईस्वी में राज्य का खजाना लगभग खाली हो चुका था। नेपोलियन ने वित्तीय सुधारों का आदेश दिया। कर राज्य के राजस्व का प्रमुख स्रोत थे इसलिए नेपोलियन ने क्रांति के दौरान लगाए गए करो को छोड़कर कोई दूसरा नया कर नहीं लगाया। आय का दूसरा स्रोत निजी संपत्ति पर लगाया गया कर था। इसका भुगतान शहरी निवासी अपने घरेलू नौकर, घोड़े, सवारियां एवं चिमनियों के इस्तेमाल के लिए करते थे। नेपोलियन ने धातु से बने सिक्कों का प्रयोग किया। यह धातु मुद्रा पूरे यूरोप में सबसे मजबूत हुई।
नेपोलियन के द्वारा शिक्षा सुधार:-
क्रांति से पहले शिक्षा पर चर्च का नियंत्रण था। नेपोलियन ने शिक्षा में सुधार किया। शिक्षा में सुधार के पीछे नेपोलियन के दो प्रमुख लक्ष्य थे पहला इसके जरिए युवा फ्रांसीसीयों के जेहन में देशभक्ति की भावना पैदा करना, ताकि वह उसके प्रति वफादार रहें। दूसरा शिक्षा व्यवस्था के द्वारा छात्रों को योग्य और कुशल नौकरशाही में प्रशिक्षित और तैयार करना था।
‘इंपीरियल यूनिवर्सिटी’ नाम की एक नई संस्था का गठन:-
शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नेपोलियन ने ‘इंपीरियल यूनिवर्सिटी’ नाम की एक नई संस्था का गठन किया। लेकिन नेपोलियन ने महिलाओं की शिक्षा पर कम ध्यान दिया । उसका मानना था कि लड़कियों को औपचारिक शिक्षा देने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि वह सार्वजनिक शिक्षा के काबिल नहीं होती तथा सार्वजनिक जीवन में उसकी भागीदारी कम होती है; उनके लिए शिष्टाचार ही सब कुछ है, विवाह ही उनके जीवन का समस्त उद्देश्य है।
नेपोलियन ने धर्म का इस्तेमाल सामाजिक व्यवस्था तथा राज्य की शक्ति को बढ़ाने के लिए किया। उसका मानना था समाज का अस्तित्व तभी संभव है जब कुछ लोग दूसरों के मुकाबले ज्यादा दौलतमंद हो और यह समानता बगैर धर्म के संभव नहीं है। कोई भूखा मर रहा हो और उसके पड़ोसी के घर में खाने का अंबार लगा हो तो ऐसे हालत में गरीब आदमी इस असमानता को तभी स्वीकार कर सकता है जब उसे भरोसा दिलाया जाए कि यह ‘ईश्वर की मर्जी’ है।
नेपोलियन के द्वारा गिरजाघरों को खुलवाया गया :-
ऐसा कहा जाता है कि उसने गिरजाघरों को खुलवाया जो क्रांति के दौरान बंद कर दिए गए थे तथा 1801 ईसवी में नेपोलियन ने पॉप के साथ समझौता किया। इस समझौते में कैथोलिक धर्म को फ्रांसीसी नागरिकों के धर्म के रूप में स्वीकार किया गया। नेपोलियन ने पोप की शक्ति को सीमित कर दिया। इससे सभी नागरिकों खासकर प्रोटेस्टेंट और यहूदियों को पूजा पाठ की स्वतंत्रता मिल गई। इसके साथ ही नेपोलियन को पाप द्वारा मान्यता प्राप्त हुई कि पुरोहित वर्ग उसकी नीतियों का समर्थन करेगा। इस तरह क्रांति के दौरान फ्रांसीसी चर्च का जो मतभेद था वह समाप्त हो गया ।
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
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FAQ
नेपोलियन के दौर को दो भागों कोंसुल (1799-1804) तथा साम्राज्य (1804-1814) में विभाजित किया गया है |
1794-1799 तक डायरेक्टरी का शासनकाल रहा।
नेपोलियन के शासनकाल में पहली बार फ्रांसीसी राजनीतिक पुलिस का गठन हुआ। पुलिस व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए उसने संपूर्ण फ्रांसीसी साम्राज्य को चार हिस्सों में बांटा |
1801 ईसवी में नेपोलियन ने पॉप के साथ समझौता किया।
फ़्रांस में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नेपोलियन ने ‘इंपीरियल यूनिवर्सिटी’ नाम की एक नई संस्था का गठन किया जोकि पुरुषों की शिक्षा के लिए ज्यादा महत्व रखती थी|
डायरेक्टरी के शासनकाल को समाप्त करने के लिए कुलीनो, पादरियों, बुद्धिजीवियों के एक समूह जिन्हें “बूमेंरियन” के नाम से जाना जाता था |