प्राचीन काल के इतिहास को समझने और जानने के लिए कुछ मापदंड निर्मित किये गये उनके आधार पर भारतीय इतिहास के प्राचीन भारत के बारे में जानने और समझने की कोशिस की गयी है, उस समय का भारत कैसा था? क्या- क्या अवधारणायें थी जिसके जरिये इतिहास का निर्माण किया गया|
कुछ अवशेषों के जरिये भारत का इतिहास समझने और जानने के लिए पर्याप्त समझा जा सकता है यहाँ के इतिहास को जानने और समझने के लिए पांच तरह के अवशेषों का वर्णन किया गया है जोकि हमारे प्राचीन काल को अच्छे से जानने और समझने में मदद कर सकता था उसी को अध्यन में लाकर हमारी सरकारों ने पुराने भारत को जाना और समझा |
पांच तरह के अवशेषों का उल्लेख किया है जो इस प्रकार है, भौतिक अवशेष, सिक्के के आधर पर ,अभलेख, साहित्यिक और विदेशी विवरण
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प्राचीन भारत का पहला अवशेष:-
भौतिक अवशेष – का अभिप्राय ऐसी वस्तुओं से है जिससे प्राचीन भारत के बारे में थोडा बहुत जाना समझा जा सकता है जैसे कोई पहाड़ों, टीलों या रेगिस्तान के मैदानों के नीचे दबी हुयी वस्तुओं के साथ- साथ किसी पारम्परिक, एकल संस्कृतिक या मुख्य संस्कृति के साथ- साथ बहु संस्कृतिक टीले आदि में जो अवशेष मिले|
उनसे प्राचीन भारत को जानने और समझने में सहयता मिली ऐसे अवशेषों को भौतिक अवशेष में रखा गया है जैसे- भवन, खंडहर, मूर्ती, या धातु से बनी हुयी मूर्ती मिलना जिससे पता लगाया जा सकता था कि प्राचीन भारत कैसा था |
उदहारण के लिए जैसे कोई पुराने जमाने का टीला, या खंडहर जिसको खोदने के बाद उसके नीचे बहुत सी धातुये या संस्कृतिक सामान की जो चीजें मिलती है उसके प्राचीन भारत का पता चलाया जा सकता है
भारत देश में दो तरह के टीले हुआ करते थे पहला अनुलंब टीले, दूसरा क्षैतिज उत्खनन टीले, इसको हम ऐसे समझें, एक उचें तरह का टीला और दूसरा सम्तल तरह के टीला,इन दोनों तरह के टीलों के नीचे मिले अवशेषों से भारत को जानने की कोशिस की गयी है
भौतिक अवशेष का परीक्षण करने के लिए वैज्ञानिकों के साथ – साथ C14 नामक एक पद्धति का भी इस्तेमाल किया जाता है इससे यह पता चल जाता कि यह भौतिक अवशेष कितना पुराना है इस तरह के अवशेषों को जनने के लिए सरकार ने बहुत से नियम और कानून भी बनाये है |
BP प्रोजेक्ट:-
हाल के समय में BP नाम का एक प्रोजेक्ट चला है जिसको अंग्रेजी में Before present कहते है इसका मतलब पुरातत्व को जानने और समझने का आकलन करने के लिए 1950 में पहली वार उपयोग में लाया गया था जिसका उद्देश्य भौतिक अवशेषों का परीक्षण करना इसी वर्ष से कार्बन डेटिंग का भी उपयोग होना शुरू हुआ था |
उत्ख्लन से भारत का 2500 वर्ष पुराना इतिहास जानने को मिलता है
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प्राचीन भारत दूसरा अवशेष:-
भारत देश के इतिहास को जानने और समझने के लिए अलग- अलग अवशेषों का उपयोग किया गया है जिसमें एक अवशेष सिक्के के आधार पर भी किया गया है यह भारत के अवशेषों में दूसरा अवशेष है जिसके माध्यम से प्राचीन भारत के इतिहास को जाना और समझा गया है प्राचीन भारत के लोगो के बारे में जानने औ समझने के लिए सिक्के के बारे में जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है
प्राचीन काल के समय में कागजी मुद्रा का चलन नही था जिस तरह 21वीं सदी में कागज के नोटों का चलन होता है उस तरह से प्राचीन काल में नोटों का चलन नहीं हुआ करता था
उस समय सिर्क सिक्के का चलन हुआ करता था जो कि धातुंओं के बने हुआ करते थे जब कोई मनुष्य जाति अर्थव्यवस्था के लिए कुछ आदान- प्रदान करता था तो उस समय सिक्के दिए जाते थे, इस सिक्कों में राजा महाराजा का किसी शासक का चिन्ह हुआ करता था जिससे पता चलता था कि यह सिक्का कितना पुराना है और किस राजा के समय का है |
जिस सिक्के पर राजा का प्रतीत नहीं होता था उन पर देवी देवताओं के अवशेष हुआ करते थे ज्यादातर अवशेष राजा और देवताओं के नाम उल्लिखित होता था
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FAQ
यह मेनहिर कहलाता है जोकि स्तम्भ के तौर पर उपयोग में लाया जाता,भारत के दक्षिण में बसे राज्य तेलंगाना का हिस्सा हुआ करता था इसको ऐसे समझते है, जब कोई मनुष्य मर जाता था तब इस तरह का स्तम्भ लगाया जाता था इसी को मेनहिर की संज्ञा दी जाती थीइसको रक्स स्तम्भ इसलिए भी कहा जाता है जब गर्मी का मौसम आता है तब यह स्तम्भ लाल कलर का होने लगता है इसलिए इसको इस नाम से भी बुलाया जाता है|
यह भौतिक अवशेष का एक प्रकार है जो सामान्यता तौर पर दक्षिण भारत के हिस्से का समाज और संस्कृति के बारे में पता चल जाता था, हिंदी में इसको महापाशाण भी कहा जाता है इसके माध्यम से भारत के कुछ हिस्सों को देखा और समझा गया है | दरअसल यदि किसी इन्सान की म्रत्यु हो जाती थी तो उसके शरीर के साथ-साथ जो चीजें उपयोग में लाता था उसकी जानकारी करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है |
कार्बन डेटिंग पद्धति में इस तरह के अवशेषों का परीक्षण किया जाता है
प्राणवान, जीव था वनस्पति का अध्यान किया जाता है इसको हम ऐसे समझते है जो पहले जीवित रहा हो उसका परीक्षण करने के लिए यह उपयोग में लाया जाता था |
इतिहास के कितने श्रोत होते है?
भारत के इतिहास में 5 प्रकार के श्रोतों का अध्यन किया गया है, भौतिक अवशेष, शिक्के , अभिलेख, साहित्यिक श्रोत और विदेशी विवरण