जिस तरह से अंग्रेजो ने चापलूसी से भारत में को अपना गुलाम बनाया उसकी गाथा के अलग- अलग पन्ने हो सकते है लेकिन इसका इतिहास बहुत पुराना है, किस तरह से अंग्रेजों ने बंगाल में अपनी स्थित को सुदिण कर लिया उसके बाद उन्होंने दक्षिण भारत में मैसूर के साथ युद्ध किया और उसके बाद अंग्रेजों का सामना मराठों के साथ होता है , यहाँ अंग्रेजो और मराठों के बीच अपनी- अपनी सर्वश्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए तीन बार लड़ाईयां होती है और अन्त में इस युद्ध का परिणाम अंग्रेजों के पक्ष में चला जाता है इसलिए इस लेख में आंग्ल मराठा प्रथम युद्ध के बारे में चर्चा करेंगे |
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आंग्ल मराठा प्रथम युद्ध का कारण:-
1772 ई. में, पेशवा माधवराव की मृत्यु के पश्चात् उनके छोटे भाई नारायण राव को पेशवा बनाया गया, परन्तु उसके पश्चात् चाचा रघुनाथ राव उर्फ़ राघोबा स्वयं पेशवा का पद प्राप्त करना चाहता था अतः उसने षड़्यंत्र रच कर 1773 में पेशवा नारायण राव की हत्या करवा दी| इसके बाद राघोबा स्वयं पेशवा वन गया, परन्तु महादजी सिंघिया और नाना फाडणवीस जैसे प्रमुख मराठा सरदारों ने राघोबा को कभी भी पेशवा के रूप में स्वीकार नहीं किया |
इसी बीच 1773 ई. में, स्वर्गीय पेशवा नारायण राव की विधवा पत्नी ने पुत्र को जन्म दिया जिसे मराठा सरदारों ने पेशवा घोषित कर दिया | यही माधवराव नारायण राव द्वितीय के नाम से जाना गया, इससे राघोबा कुपित हो गया और वह बंबई में अंग्रेजों की शरण में चला गया और अंग्रेजों से सूरत की संधि (1775) कर ली| इस समय मुंबई में अंग्रेज अधिकारी कोलकाता के अंग्रेज अधिकारियों के जैसा करना चाहते थे इसी दौरान रधुनाथ राव के रूप में मुंबई में अंग्रेजी अधिकारियों को एक कठपुतली प्राप्त हो गया जिसके जरिये वे महाराष्ट में बंगाल की जैसी पताका हासिल करना चाहते थे |
आंग्ल मराठा प्रथम युद्ध से पहले सूरत की संधि:-
- कंपनी डेढ़ लाख रूपये के मासिक खर्च पर 2500 की सीन राघोबा को देगी |
- बदले में राघोबा ने कंपनी को बंबई के निकट बसीन, सालसेट और थाना देने का वचन दिया |
- राघोबा ने कंपनी की सेना की सहायता से अर्रास नामक स्थान पर पेशवा की सेना से अनिर्नायक युद्ध लड़ा |
- 1776 ई. में पेशवा के सरक्षण दल के मुखिया नाना फडणवीस ने कैप्टन अपटन के साथ पुरंदर की संधि (1776) में की |
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FAQ
नाना फडणवीस ने कैप्टन अपटन के बीच पुरंदर की संधि हुयी थी|
1776 ई. में, पुरंदर की संधि हुयी थी|
1775 ई. में सूरत की संधि हुयी थी|
बंबई में अंग्रेजों से सूरत की संधि (1775) की थी क्योंकि यह स्वर्गीय पेशवा नारायण राव की विधवा पत्नी ने पुत्र को पेशवा बनते नहीं देखना चाहता था |
महादजी सिंघिया और नाना फाडणवीस बहुत ही प्रतिभाशाली मराठा सरदार थे|