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इसका तथ्य ऐसे समझते है, हाल ही में, मध्यप्रदेश उच्च न्यायलय की इंदौर खंडपीठ के एक विवाद के निपटारे को सुलझाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को धार जिले में भोजशाला मंदिर- कमाल मौला मस्जिद परिषद् की मूल प्रकृति को स्पस्ट करने के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है|
भोजशाला मंदिर-कमाल मौला मस्जिद के अपने-अपने दावे :-
- परमाणवंश के राजा भोज ने एक स्कूल/ विद्यालय को भोजशाला नाम दे दिया था लेकिन उसी दौरान, वहां मजार स्थापित की गयी तथा उस पर एक मस्जिद बनाई गयी इसको निम्नलिखित विन्दुओं से समझते है :-
- ध्यातब्य है कि भोजशाला मंदिर-कमाल मौला मस्जिद मूलतः 11वीं शताब्दी ई. में परमार राजा भोज द्वारा निर्मित बारदेवी सरस्वती का मंदिर था |
- साक्ष्यों से पता चला है कि कमाल मौला मस्जिद का निर्माण मंदिर के अवशेषों का उपयोग करके किया गया है, इस स्मारक में संस्कृत और प्राकृत साहित्यों कृतियों के साथ अंकित कुछ स्लैब भी मौजूद है |
- विभिन्न मतों के अनुसार यह भी ज्ञात हुआ है, कला और साहित्य के महान संरक्षक के रूप में महान राजा भोज जिनको ख्यातिप्राप्त थी उन्होंने एक विद्यालय की स्थापना की थी जिसे भोजशाला के नाम से जाना जाता है |
- ASI के साथ एक समझौते के तहत इसमें यह निपटारा हुआ है कि हिंदू पक्ष के लोग, हर मंगलबार को मंदिर में उपासना कर सकते है तथा मुस्लिम पक्ष के लोग प्रत्येक शुक्रवार को नमाज पढ़ सकते हैं |
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भोजशाला मंदिर-कमाल मौला मस्जिद विवाद क्या है ?
- हिंदू समुदाय इस परिसर को मंदिर के रूप में जबकि मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला की मस्जिद मानते हैं|
- याचिकाकर्ताओं ने ASI रिपोर्ट को सामने रखते हुए दाबा किया है कि मस्जिद निर्माण के लिए भोजशाला और बाग्देवी मंदिरों को ध्वस्त किया गया था, स्थल का वास्तविक इतिहास निर्धारित करने के लिए सर्वेक्षण का भी अनुरोध याचिकाकर्ताओं द्वारा किया गया था |
- जैसे-जैसे यह मामला और गरमाया, उसी दौरान इस मामले में एक प्रतिवादी ने रेस ज्यूडिकाटा के सिद्धांत का ह्वाला देते हए मुक़दमे की चुनौती दी, यहाँ ध्यान देने की जरूरत है, इसी तरह की याचिका को वर्ष 2003 में उच्च न्यायालय की प्रधान पीठ ने ख़ारिज कर दिया था |
कमाल मौला मस्जिद के बारे में बताइए ?
यह चिश्ती संत और फरीद-अल-दीन, गंज-ए-शकर और निजाम अल-दीन औलिया के अनुयायी कमाल अल-दीन की कब्र (मजार) है उसी पर यह मस्जिद बनी हुयी है |