इतिहास एक ऐसा विषय जा जो प्रत्येक नागरिक के लिए जानना अति आवश्यक है, बात चाहे झारखंड को हो या मध्यप्रांत, बंगाल प्रान्त या फिर संयुक्त प्रान्त की, इस प्रान्तों का इतिहास जानने से यह पता चल जाता है कि झारखंड बिहार से अलग हुआ तो कैसे? बुधु भगत ने झारखंड के लिए क्या- क्या योगदान दिया? इन सबको जानने के लिए झारखंड का इतिहास पढ़ना अतिआवश्यक है इस लेख में वीर सेनानी रघुनाथ महतो के बारे में चर्चा करेंगे|
झारखंड और पूरे भारत में बहुत से वीर सेनानी हुए, इनके अनेक प्रयासों से अग्नेजों को भारत छोड़ना पड़ा था. वीर सेनानी, शहीदों को नमन |
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रघुनाथ महतो का जन्म :-
इनका जन्म 1738 ई. को वर्तमान झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले के नीमडीह थाना क्षेत्र के घुटियाडीह गाँव में हुआ था, इनके पिता का नाम काशीनाथ महतो था जो 12 मौजा के जमींदार परगनैत थे | ऐसा कहा जाता है कि रघुनाथ बचपन से ही शोषण और अन्याय के खिलाफ थे क्योंकि उस समय अंग्रेजों, जमीदारों तथा शाहूकारों के द्वारा ग्रामीणों,आदिवासियों से अनाज, धन वसूला करते थे |
रघुनाथ के पिता तथा अंग्रेज तहसीलदार :-
ऐसा कहा जाता है कि एक बार एक अंग्रेज तहसीलदारइसके पिता से उलझगये थेऔर अपमानित कर रहे थे जब यह बात रघुनाथ को पता चली तो उनसे बर्दास्त नहीं हुआ तो उन्होंने उस अंग्रेज को पीटते हुए गाँव से बाहर कर दिया था |
महत्वपूर्ण बिंदु:-
- इन्होने ही सर्वप्रथम चुवार/चोआड विद्रोह का नेतृत्व किया था |
- इनकी जमीन और घर से बेदखली के कारण ये विद्रोही बन गये थे|
- चुआड विद्रोह में ही इन्होने 1769 ई. में नारा दिया था- अपना गाँव अपना राज, दूर भगाओ विदेशी राज |
5 अप्रैल 1778 ई. में सिल्ली के लोटा गाँव में विद्रोहियों के साथ बैठक के दौरान अंग्रेजों की गोलाबारी में रघुनाथ महतो शहीद हो गये |
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FAQ
इन्हें घुटियाडीह का वीर कहा जाता था |
इन्होने चुआड़ विद्रोह का नेतृत्व किया था |
“अपना गाँव अपना राज, दूर भगाओ विदेशी राज” का नारा किसने दिया था |
यह 12 मौजा के जमींदार परगनैत थे |
यह नारा झारखंड के वीर सपूत, महान क्रांतिकारी रघुनाथ महतो के द्वारा दिया गया था |