सी राजागोपालाचारी फार्मूला जुलाई 1944 में प्रस्तुत किया गया था इससे पहले जब ब्रटेन के प्रधानमंत्री जोर्ज चर्चिल ने भारत के वायसराय लार्ड वेवेल को अपने पास बुलाया और भारत देश में संवैधानिक प्रिक्रिया की शुरूआत करने की बात की जा रही थी इसीलिए 1945 में शिमला सम्मेलन हुआ था लेकिन आज का विषय सी आर फॉर्मूला 1944 [ C R formula 1944] के विषय में है तथा यहाँ चक्रवर्ती राजागोपालाचारी के बारे में भी जानेंगे |
सी आर फॉर्मूला जानने से पहले इनके बारे में जानना बहुत महत्वपूर्ण है इनका पूरा नाम सी राजागोपालाचारी था यहाँ सी का मतलब चक्रवर्ती है तो यह कह सकते है चक्रवर्ती राजागोपालाचारी, इनका कार्यकाल 1948 से लेकर 1950 रहा तथा यह प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल भी रहे |
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चक्रवर्ती राजागोपालाचारी का जन्म:-
इनका जन्म 10 दिसंबर 1878 को तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले में थोरापल्ली अग्रहारम नामक गाँव में हुआ था इनके माता-पिता इनको राजा जी के नाम से बुलाया करते थे|
इस फोर्मला के विषय में चर्चा के बिंदु निम्नलिखित है जिनके बारे में विस्तार से लेख लिखा जायेगा :-
सी आर फॉर्मूला 1944 को प्रस्तुत करने के पीछे कौन- कौन से कारण थे ?
सी आर फॉर्मूला के प्रमुख बिंदुओं को सामिल किया गया था ?
सी आर फॉर्मूला का राष्ट्रीय आन्दोलन पर क्या प्रभाव छोड़ा?
यह 1939 की घटना है जब दुनियां में द्वतीय विश्व युद्ध चल रहा था उसी दौरान भारत देश में कांग्रेस द्वारा भारत छोडो आन्दोलन चल रहा था एक तरह जर्मनी और दूसरी तरफ मिश्रदेश इस युद्ध को अपने- अपने स्तर से लड़ रहे थे परन्तु कांग्रेस के इस आन्दोलन में मुस्लिम लीग ने सहयोग नहीं किया था
जहाँ कांग्रेस पूर्ण स्वतंत्रा चाहती थी वहीँ मुस्लिम लीग अपना एक अलग राष्ट्र बनाने की मांग की तथा मुस्लिम लीग हिंदुस्तान के उदय के साथ पाकिस्तान का भी उदय देखा करती थी यही वहज थी कि कांग्रेस और मुस्लिम लीग में मतभेद था सच यह भी है कि कांग्रेस में कुछ नेता ऐसे भी थे कि यदि कांग्रेस को पूर्ण स्वतंत्रा पाना है तो मुस्लिम लीग का सहयोग लेना आवश्यक है और इन नेताओं में प्रमुख नेता सी राजागोपाली थे|
सी राजागोपालाचारी हमेसा से चाहते थे कि कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग में सुलह कराई जाये ताकि उस दौर के भारत के लिए कुछ नया हासिल हो सके इसी सुलह को करने के लिए महत्वपूर्ण कदम भी उठाये|
कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग के बीच गतिरोध को तोड़ने के लिए सी राजागोपालाचारी द्वारा एक फॉर्मूला जुलाई 1944 ई. में प्रस्तुत किया गया था| जिसमें दो बिदु सबसे महत्वपूर्ण थे|
राष्ट्रीय आन्दोलन में दोनों दल( कांग्रेस और मुस्लिम लीग) एक-दूसरे का सहयोग करेंगे ताकि राष्ट्रीयआन्दोलन मजबूत हो|
युद्ध के पश्चात् मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में जनमत संग्रह कराया जायेगा और यह जाना जायेगा कि वे भारत के साथ आना चाहते है पाकिस्तान के साथ रहना चाहते है|
कांग्रेस ने इस फॉर्मूले को सहमति दी अर्थात विभाजन को मूक सहमति दे दी थी| इस फॉर्मूला को लेकर महात्मा गाँधी और सी राजागोपालाचारी मुस्लिम लीग के संस्थापकों में से एक जिन्ना से मिले थे |
जब यह फॉर्मूला जिन्ना के सामने रखा गया तो उसने इसे लूला लंगड़ा पाकिस्तान कहकर अस्वीकार किया|
इसी दौरान गाँधी जी ने जिन्ना को कायद–ए-आलम कहाऔर जिन्ना ने अबुल कलाम आजाद को धर्म निरपेक्षता का मुखौटा कहा |
सिक्खों के द्वारा भी इस फॉर्मूले का विरोफ्ह किया गया था क्योकि सिक्ख आवादी का एक बड़ा हिस्सा थे लेकिन किसी भी जिले में उनका बहुमत नहीं था
किताबी रिसर्च बताते है कि वी डी सावरकर , श्यामा प्रसाद मुखर्जी व श्री निवास शास्त्री (National Liberal Federation) द्वारा इस फॉर्मूले का विरोध किया गया था तथा इन्होने कहा था कि सी आर फॉर्मूला तथा भारत किसी एक की जागीर नहीं है:-
सी आर फॉर्मूले का राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रभाव :-
कांग्रेस के द्वारा द्विराष्ट्र का सिद्धांत अस्पस्ट रूप से अस्वीकार कर दिया गया जिससे साम्प्रदायिकता को मजबूती मिली |
संविधान सभा:-
संविधान सभा के लिए जुलाई-अगस्त 1946 इश्वी में 296 सीटों पर चुनाव हुए जिसमें कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 एवं अन्य को 15 सीटें प्राप्त हुयी थी परन्तु उसी समय पाकिस्तान के अलग हो जाने से सीटों की संख्या 296 से कम होकर 235 हो गयी और देशी रियासतों की संख्या 93 से कम होकर 89 रह गयी| इस प्रकार संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 389 से कम होकर 324 रह गयी थी|
9 दिसंबर 1946 ईस्वी को संविधान सभा की प्रथम बैठक हुयी और इस बैठक में डाक्टर सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थाई अध्यक्ष चुना गया परन्तु मुस्लिम लीग ने इसका बहिष्कार किया था
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FAQ
इनका जन्म स्थान तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में थोरापल्ली अग्रहारम नामक गाँव में हुआ था |
इनका उपनाम राजा जी था
यह स्वतत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल थे |
21 जून 1948 से लेकर 26 जनवरी 1950 के मध्य में था|