इस लेख में बाबा भीमराव अंबेडकर के बारे में चर्चा करेंगे ताकि परीक्षा में पूछे गये प्रश्नों को अच्छे से हल किया जा सके , इन्होने 1937 ई. में कौन सी किताब प्रकाशित की थी? तथा किस राजनैतिक पार्टी का गठन किया था? इनके बचपन का क्या नाम था ? इनके पिता क्या कार्य करते थे ? और यह भाई –बहिनों में कौन से नम्बर के थे?
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बाबा भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय:-
- इनका जन्म 14 अप्रैल 1891 ई. को मध्य प्रदेश के महू में एक गरीब अस्पृश्य परिवार में हुआ था, माता पिता का नाम रामजी मालोजी सकपण और भीमाबाई था | डॉ. अंबेडकर अपने भाई- बहिनों में 14वीं संतान थे |
- उनका परिवार मराठी था जो महाराष्ट के रत्नागिरी जिले में स्थित अम्बावडे नगर से संबंधित था तथा बचपन का नाम रामजी सकपाल था और हिंदू महार जाति के थे जिनको उस दौर में अछूत माना जाता था|
- उनकी जाति के साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव किया जाता था, एक अस्पृश्य परिवार में जन्म लेने के कारण उनको अपना बचपन बहुत कष्टों में बिताना पड़ा |
- कहते है कि संघर्ष एवं कष्टों की आग में तपकर उन्होंने न केवल स्वयं का विकास किया बल्कि भारत के समग्र विकास का वातावरण निर्मित किया |
- डॉ. अंबेडकर के पिता भारतीय सेना की महू छावनी में सूबेदार के पद पर रहे थे और उन्होंने अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ाने और कड़ी मेहनत करने के लिए हमेसा प्रोत्साहित किया |
बाबा भीमराव अंबेडकर की शिक्षा :-
अपने भाइयों और बहिनों में केवल अंबेडकर ही स्कूल की परीक्षा में सफल हुए इसके बाद बड़े स्कूल में जाने में सफल हुए, जब यह पढ़ने जाया करते थे उस समय एक ब्राह्मण शिक्षक महादेव जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे तथा उनके कहने पर इन्होने अपने नाम से सकपाल हटाकर अम्बेडकर जोड़ लिया था |
बडौदा को महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ ने भीमराव अंबेडकर को मेधावी छात्र ने नाते छात्रवृत्ति देकर 1913 ई. में विदेश में उच्च शिक्षा के लिए भेज दिया था इसके बाद अंबेडकर अमेरिका में कोलंबिया विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञानं, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान तथा दर्शन और अर्थनीति का गहन अध्यन किया |
डॉ. अंबेडकर ने अमेरिका के एक सेमिनार में “भारतीय जाति विभाजन” पर अपना महशूर शोधपत्र पढ़ा, जिसमें उनके व्यक्तित्व की सर्वत्र प्रशंसा हुयी |
वह विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न छात्र थे तथा उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डाक्टरेट की उपलब्धियां प्राप्त की तथा विधि, अर्थशास्त्र, और राजनीति विज्ञान के शोष कार्य भी किये थे तथा अपनी आर्थिक जरूरतों के लिए जीवन के आरंभिक भाग में वे अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भी रहे तथा वकालत भी की |
बाबा भीमराव अंबेडकर के विचार तथा कैरियर :-
- डॉ. अंबेडकर धार्मिक विचारों वाले व्यक्ति थे नास्तिक नहीं, इसीलिए उन्होंने हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म को अपनाया था, ऐसा कहा जाता है कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता और जन समर्थन के चलते 1930-31 में, लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मलेन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था यह यह एकमात्र ऐसे भारतीय नेता था जिन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलनों में भाग लिया था |
- 1936 ई. में, उन्होंने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की जोकि 1937 में केन्द्रीय विधानसभा चुनावों में 15 सीटें जीतने में सफल रही थी |
- बाबा भीमराव अंबेडकर ने अपनी पुस्तक “जाति के विनाश” भी 1937 में प्रकाशित की जो उनके न्यूयार्क में लिखे एक शोधपत्र पर आधारित थी |
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FAQ
इन्होने अंबेडकर ने अपनी पुस्तक “जाति के विनाश” भी 1937 में प्रकाशित की थी, यह किताब न्यूयार्क में लिखे एक शोधपत्र पर आधारित थी |
1936 ई. में, उन्होंने स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की जोकि 1937 ई. में केन्द्रीय विधानसभा चुनावों में 15 सीटें जीतने में सफल रही थी तथा इन्होने इस चुनाव में अपना अच्छा- खासा असर डाला था |
इनके बचपन का नाम रामजी सकपाल था और यह हिंदू महार जाति के थे |
डॉ. अंबेडकर अपने भाई- बहिनों में 14वीं संतान थे |
डॉ. अंबेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपण ने भारतीय सेना की महू छावनी में सूबेदार के पद पर कार्य किया था |