यह SSC CGL ,CPO, MD,CHSL, STATE PCS के साथ अन्य राज्य स्तर की परिषाओं को देखते हुए दिल्ली सल्तनत CGL, CPO [ हिंदी ] MCQ objectives के प्रश्नों को हल किया गया है| यहाँ जिस तरह के प्रश्नों को लिया गया है पिछले कुछ वर्षों में किसी न किसी परीक्षा में आये हुए है |
दिल्ली सल्तनत के महत्वपूर्ण प्रश्नों में से चांदी का सिक्का, मोहम्मद गोरी, तराइन की पहली लड़ाई,तराइन की दूसरी लड़ाई, खानवा की लड़ाई तथा पानीपत की पहली लड़ाई जैसे है |
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
दिल्ली सल्तनत SSC CGL, CPO [ हिंदी ] तथ्य :-
इस दिल्ली सल्तनत :- में दो सिक्के बहुत मशहूर हुए पहला “टंका” और दूसरा “जीतल”| पहला सिक्का चांदी का हुआ करता था तथा दूसरा सिक्का कोपर का था इन दोनों सिक्कों को शरू करने बाले राजा का नाम इल्तुतमिश था | सिक्के चलाने वाला यह इतिहास का पहला राजा था | दिल्ली सल्तनत का समय 1206 इश्वी से 1526 इश्वी तक था |
मोहम्मद गोरी:-
तराइन की पहली लड़ाई 1191 में हुयी इसके बाद तराइन की दूसरी लड़ाई 1192 में हुयी थी यह दोनों लड़ाईयां हरियाणा में हुयी थी क्यों कि तराइन हरियाणा (आज का हरियाणा राज्य) का हिस्सा था | यह लड़ाई मोहम्मद गोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुयी थी जिसमें 1191 में पृथ्वीराज की जीत हुयी वहीं दूसरी लड़ाई में मोहम्मद गोरी को जीत मिली थी |
इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान:-
दिल्ली सल्तनत के दौरान वही राजा अपने नाम के आगे सुल्तान लगा सकता था जोकि खलीफा से मान्यता प्राप्त करता था और उस समय खलीफा ( पवित्र कुरान का धार्मिक गुरु ) हुआ करता था | इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत का पहला सुल्तान था |
दिल्ली सल्तनत का उद्वारकर्ता:-
गयासुद्दीन बलबन दिल्ली सल्तनत का उद्वारकर्ता कहा गया है | गयासुद्दीन बलबन 1265 A.D. से 1287 A.D.तक रहा| गयासुद्दीन बलबन का असली नाम उलूग खां था खास बात तो यह थी , बलबन ने अपने राज्य में दो ईरानी प्रथाएं शुरू की जिसमें पहली सजदा और दूसरी पैगोस थी यह बहुत क्रुअल शासक था|
क़ुतुब-दीन एबक दिल्ली सल्तनत के राजा की पोलो खेलते समय मौत हुयी थी| उस समय पोलो को चौगान कहा जाता था |
क़ुतुब-दीन-ऐबक:-
लाख बख्स का मतलब लाखों का दान करने वाला वक्स्सी होता था क़ुतुब-दीन-ऐबक “लाख बख्स” को दी जाने वाली उपाधि थी, इसका समय 1206 से 1210 तक था | इस राजा को दिल्ली सल्तनत भी कहा गया है |
नासिर-उद-दीन ने ही बलबन को उलूब खां की उपाधि डी थी |
इल्तुतमिश दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक था|
नालंदा विश्वविद्यालय नष्ट करने वाला मुस्लिम शासक:-
ऐसा कहा जाता है उस समय नालंदा विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में लगभग 2 महीने तक आग लगी रही इसनी बड़ी उस समय की लाइब्रेरी हुआ करती थी और यह आग लगाने वाला मुश्लिम शासक मुहम्मद बिन भक्तियार था यह मोहम्मद गोरी का मुख्य सेनापति था|
हवा महल जयपुर में स्थित है इस महल का पुराना नाम आमेर था इसका निर्माण महाराणा प्रताप सिंह ने करवाया था |
अमीर खुजरो:-
तुगलकनामा किताब पारसी भाषा में लिखी गयी थी अमीर खुजरो ने इस किताब को लिखा था अमीर खुजरो को भारत का तोता भी कहा गया है और इसको तबला का अविष्कार भी कहा जाता है |
फिरोज शाह तुगलक:-
कुतुबमीनार का निर्माण शूरू करवाने वाला राजा कुतुबुद्दीन- ऐबक था इसने अपने गुरु की याद में बनवाया शुरू किया था इसके गुरु का नाम सूफीसंत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी था, लेकिन इसको पूरा कराने वाला इल्तुतमिश था लेकिन कुतुबमीनार की आखिरी मंजिल फिरोज शाह तुगलक ने बनवाया था | खास बात यह है कुतुबमीनार बनने में तीन राजाओं का योगदान है यह भारत में तुर्कों की पहली ईमारत थी |
दिल्ली सल्तनत की बड़ी स्थायी सेना को राज्य द्वारा सीधे भुगतान:-
अलाउद्दीन खिलजी का समय 1213 से लेकर 1316 तक था यह पहला राजाथा जिसने नगल में अपनी सेना को वेतन देना शुरू किया था और इसके पास सबसे बड़ी सेना हुआ करती थी |
मुहम्मद बिन तुगलक का समय 1324 से लेकर 1351 तक था अलाउद्दीन खिलजी इसके पिता थे रिसर्च बताते है यह बहुत क्रूर शासक हुआ था जिस तरह से इसने अपने आप को खलीफा घोषित कर दिया था |
विजय नगर काल में भारत आने वाला विदेशी यात्री:-
मेगस्थनीज मौर्य काल में भारत आया था का- हिएन चन्द्र गप्त के समय आया था इसके बाद विजय नगर काल में भारत आने वाला विदेशी यात्री निकोलो कोंटी था | विजय नगर की स्थापना 1336 में हुयी थी यह आज के कर्नाटका रीजन का हिस्सा था |इसकी राजधानी हंपी हुआ करती थी|
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