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इस लेख में पंडित जवाहरलाल नेहरु के राजनीतिक विचार, आर्थिक विचार, विदेश नीति, आर्थिक विचार तथा समाजवादी विचार पर चर्चा करेंगे जिससे कि पाठक या विध्यार्थी यह समझ करें कि नेहरु जी की विचारधारा क्या था? इनको किस तरह के भारत का निर्माण करना था और पहली तथा दूसरी पंचवर्षीय योजना में कर्षि तथा उद्योगों पर कार्य क्यों किया?
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
जवाहरलाल नेहरु पर प्रभाव :-
- पिता मोतीलाल नेहरु
- महात्मा गांधी
- एनी बेसेंट
- कार्ल मार्क्स
- रसेल
- लेनिन
- आइन्स्टाइन
जवाहरलाल नेहरु के राजनीतिक विचार:-
- नेहरु जी का लोकतंत्र में अटूट विश्वास था उनका मानना था कि लोकतंत्र आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विषमताओं के चलते सफल नहीं हो सकता इसलिए यह संसदीय लोकतंत्र के पूर्ण पक्षधर थे और वे संसद को सर्वोच्च मानते थे |
- पंडित जवाहरलाल नेहरु का राष्ट्रवाद, आदर्शवाद पर आधारित है उग्रवाद पर नहीं, यह किसी धर्म, जाति, संस्कृति या समुदाय पर आधारित न होकर सर्वहित पर आधारित है |
- उनका मानना था कि “हर गुलाम देश के लिए राष्ट्रवाद की भावना से ओत-प्रोत होना सर्वथा स्वाभाविक है| एक पराधीन देश के लिए शांति का कोई अर्थ नहीं क्योकि शांति तो स्वतंत्रता के बाद ही स्थापित हो सकती है इसलिए सामाज्यों को मिटा देना चाहिए उनका जमाना बीत चुका है” |
- नेहरु जी राष्ट्रवाद को एक परम्परागत शक्ति के रूप में स्वीकारते है, उसे वे भावात्मक वस्तु मानते है जो लोगो को जोड़े रखती है इसके साथ-साथ उनका मानना यदि राष्ट्रीयता का आधार धर्म है तो भारत में एक राष्ट्र नहीं बल्कि अनेकों राष्ट्र मौजूद है |
- महत्वपूर्ण बात यह है कि पंडित जवाहरलाल नेहरु घोर मानवतावादी थे, ये हिटलर और मुसोलनी के राष्ट्रवाद से पूणतः अवगत थे कि किस प्रकार इन्होने धर्म और राष्ट्रवाद के नाम लाखों लोगों को मरवा दया था इसलिए यह राष्ट्रवाद के स्थान पर अन्तराष्ट्रवाद का समर्थन करते थे |
- नेहरु जी धर्म –नीरपेक्षता और वैज्ञानिक द्रष्टिकोण के समर्थक थे |
विदेश नीति:-
इनको भारतीय विदेश नीति का पितामह माना जाता है इनकी विदेश नीति से इनके विचारों की झलक मिलती है तथा नेहरु जी की विदेश नीति में गुट निरपेक्षता, पंचशील,साम्राज्यवाद का विरोध, अंतराष्ट्रीय संगठनों द्वारा विश्व का संचालन इत्यादि प्रमुख है |
आर्थिक विचार :-
- नेहरु जी मिश्रित अर्थव्यवस्था के समर्थक थे इसलिए उन्होंने पूँजीवाद और समाजवाद के समन्वय को स्थापित किया और इसके लिए उन्होंने योजनाबृद्ध विकास के लिए पंचवर्षीय योजना का प्रारंभ किया|
- कृषि और औद्योगीकरण के विकास के लिए क्रमशः प्रथम, द्वितीय पंचवर्षीय योजना में स्थान दिया |
- ग्रामीण विकास के लिए उन्होंने सामुदायिक विकास कार्यक्रमों की शुरुआत की |
- नेहरु जी कल्याणकारी राज्य के समर्थक थे |
समाजवादी विचार:-
- पंडित जवाहरलाल नेहरु समाजंवादी विचारधारा के सशक्त समर्थक थे उनका समाजवाद एक जीवन दर्शन था तथा यह आर्थिक दर्शन समाजवाद से प्रेरित थे |
- 1958 में आवड़ी सम्मेलन में कांग्रेस में समाजवादी ढांचे को अपनाया था तथा इसी वर्ष 1958 में ही उन्होंने स्पष्ट कहा था कि “मै ऐसा उग्र प्रकार का समाजवाद नहीं चाहता जिसमें राज्य सर्व-शक्तिमान होता है और प्रायःसब कार्य-कलापों का संचालन करता है |
- राजनीतिक द्रष्टि से राज्य बहुत संपन्न होता है अतः मैं आर्थिक शक्ति के विकेंद्रीकरण की योजना के आदर्श रूप को भारतीय जन-जीवन के लिए व्यावहारिक स्वरूप प्रदान करना चाहता हूँ”|
- पंडित मार्क्स एवं लेनिन के विचारों से बहुत प्रभावित थे परंतु उन्हें पूर्ण मार्क्सवादी नहीं माना जा सकता क्योंकि वे हिंसा के समर्थन में नहीं थे |
- उन्होंने कहा कि “मार्क्सवाद ने मेरे दिमाग के अनेक कोनों को प्रकाशित कर दिया” | “भारत की खोज में उन्होंने लिखा है मार्क्स तथा लेनिन ने मेरे मन पर शक्तिशाली प्रभाव डाला और मुझे इतिहास तथा सामाजिक घटनाओं की एक नई द्रष्टि देखने में सहायता दी”|
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
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