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यदि भारतीय इतिहास और संविधान को समझने के लिये भारत देश के महान क्रन्तिकारीयों तथा पुरुषों को समझना अति आवश्यक है पिछले लेख में जिस तरह से अंबेडकर के जन्म से लेकर मृत्यु तक चर्चा हुयी उसमें से प्रतिवर्ष बहुत से प्रशों को देखा तथा समझा गया है |
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- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
डॉ. अंबेडकर के निम्नलिखित विचार :-
- वे एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था के हिमायती थे, जिसमें राज्य सभी को समान राजनीतिक अवसर दे तथा धर्म, जाति, रंग तथा लिंग आदि के आधार पर भेदभाव न किया जाए।
- उनका यह राजनीतिक दर्शन व्यक्ति और समाज के परस्पर संबंधों पर बल देता है।
- उनका यह दृढ़ विश्वास था कि जब तक आर्थिक और सामाजिक विषमता समाप्त नहीं होगी, तब तक जनतंत्र की स्थापना अपने वास्तविक स्वरूप को ग्रहण नहीं कर सकेगी।
- उनके अनुसार सामाजिक चेतना के अभाव में जनतंत्र आत्माविहीन हो जाता है। ऐसे में जब तक सामाजिक जनतंत्र स्थापित नहीं होता है, तब तक सामाजिक चेतना का विकास भी संभव नहीं हो पाता है। इस प्रकार डॉ. अम्बेडकर जनतंत्र को एक जीवन पद्धति के रूप में भी स्वीकार करते हैं।
- वे व्यक्ति की श्रेष्ठता पर बल देते हुए सत्ता के परिवर्तन का साधन मानते हैं। वे कहते थे कि कुछ संवैधानिक अधिकार देने मात्र से जनतंत्र की नींव पक्की नहीं होती।
- उनकी जनतांत्रिक व्यवस्था की कल्पना में ‘नैतिकता’ और ‘सामाजिकता’ दो प्रमुख मूल्य रहे हैं जिनकी प्रासंगिकता वर्तमान समय में बढ़ जाती है।
डॉ. अंबेडकर के आर्थिक, वित्तीय और प्रशासनिक विचार:-
अर्थव्यवस्था को लेकर डॉ. अम्बेडकर के महत्वपूर्ण विचार को निम्न बिन्दुओं के अंतर्गत देखा जा सकता है-
- The Problem of the Rupee: Origin and its Solution नामक अपनी रचना में डॉ. अम्बेडकर ने 1800 ई. से 1893 ई. के दौरान, विनिमय के माध्यम के रूप में भारतीय मुद्रा (रुपये) के विकास का परीक्षण किया और उपयुक्त मौद्रिक व्यवस्था के चयन की समस्या की भी व्याख्या की।
- अम्बेडकर ने 1918 ई. में प्रकाशित अपने लेख भारत में छोटी जोत और उनके उपचार Small Holdings in India and their Remedies में भारतीय कृषि तंत्र का स्पष्ट अवलोकन किया। उन्होंने भारतीय कृषि तंत्र का आलोचनात्मक परीक्षण करके कुछ महत्वपूर्ण परिणाम निकाले, जिनकी प्रासंगिकता आज तक बनी हुई है। उनका मानना था कि यदि कृषि को अन्य आर्थिक उद्यमों के समान माना जाए तो बड़ी और छोटी जोतों का भेद समाप्त हो जाएगा, जिससे कृषि क्षेत्र में खुशहाली आएगी।
- उनके एक अन्य शोध The Evolution of Provincial Finance in British India में देश के विकास के लिए एक सहज कर प्रणाली पर बल दिया। इसके लिए उन्होंने तत्कालीन सरकारी राजकोषीय व्यवस्था को स्वतंत्र कर देने का विचार दिया।
डॉ. अंबेडकर के अधिकारों को लेकर विचार :-
- भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्थापना डॉ. अम्बेडकर की रचना ‘रुपये की समस्या उसका उद्भव और प्रभाव’ और ‘भारतीय चलन व बैकिंग का इतिहास’ और ‘हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष उनकी साक्ष्य के आधार पर 1935 में हुई।
- उनके दूसरे शोध ‘ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास’ के आधार पर देश में वित्त आयोग की स्थापना हुई|
- साल 1945 में उन्होंने देश के लिए जल नीति और औद्योगीकरण की आर्थिक नीतियां जैसे नदी नालों को जोड़ना, हीराकुंड बांध, दामोदर घाटी बांध, सोन नदी घाटी परियोजना, राष्ट्रीय जलमार्ग, केंद्रीय जल और विद्युत प्राधिकरण बनाने के मार्ग प्रशस्त किए।
- साल 1944 में प्रस्तावित केंद्रीय जल मार्ग और सिंचाई आयोग के प्रस्ताव को 4 अप्रैल 1945 को वायसराय की ओर से अनुमोदित किया गया और बड़े बांधों वाली तकनीकों को भारत में लागू करने हेतु प्रस्तावित किया।
अधिकारों को लेकर विचार:-
- डॉ. अम्बेडकर अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों पर बल देते थे। उनका मानना था कि व्यक्ति को न सिर्फ अपने अधिकारों के संरक्षण के लिए जागरूक होना चाहिए, अपितु उसके लिए प्रयत्नशील भी होना चाहिए, लेकिन हमें इस सत्य को नहीं भूलना चाहिए कि इन अधिकारों के साथ-साथ हमारा देश के प्रति कुछ कर्तव्य भी है।
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