बिहार विधानसभा का चुनावी मौसम अपने चरम पर है जिस तरह से एक राजनैतिक दल दूसरे राजनैतिक दल को घुसखोर, चापलूस और बिहार परस्त बता रहे हैं इससे लग रहा है बिहार में चुनाव है। सबसे बड़ा सवाल है कि क्या एनडीए फिर से सरकार बनाने में सफल होगा या फिर राजद महागठबंधन की सरकार बनने के आसार हें। यह बात सच कि इस चुनाव में बहुत से राजनेताओं की रजनीति का अंत होगा और बहुत से युवा नेताओं का उदय भी। जिसमें से धोरैया विधानसभा के वर्तमान विधायक भूदेव चौधरी भी हैं।
धोरैया विधानसभा का इतिहास -:
बांका जिले में 5 विधानसभा सीटें आती हैं उनमे से यह SC सीट है एक ज़माने में यह कांग्रेस और सीपीई (CPI) का किला मानी जाती थी लेकिन जब से कामरेड नरेश दास का निधन हुआ तब से इस सीट पर राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड का कब्ज़ा है।
पहला चुनाव 1952 में हुआ उस समय के क्रन्तिकारी नेता पशुपति सिंह ने जीत हासिल की थी उसके बाद 1957, 1962, 1967 में लगातार मौलाना समीमुद्दीन और एस. मंडल ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। सन् 1972, 1977, 1980,1990 तथा 1995 लगातार 22 वर्षों तक कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (CPI) के नरेश दास जीते। यह एक ऐसे नेता थे जिनके बारे में जितना भी कहा जाये कम ही है।

वर्तमान विधायक भूदेव चौधरी का उदय-
लगातार 22 वर्षों तक विधायक रहे नरेश दास को पहली बार वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में हराया। धोरौया सीट पर 14 वर्षों (समता पार्टी+राजद) तक रहे विधायक हाल ही में यहाँ पर किये गये सर्वें में भूदेव चौधरी की हार हो सकती है।
धोरैया विधायक की ग्राउंड रिपोर्टिंग:-

जर्नीलिस्मोलोजी टीम के रिपोर्टरों ने अलग-अलग जगहों पर लोगों से बात की।
रिपोर्टर के सवाल – भूदेव चौधरी का क्या हाल है, पिछले 5 वर्षों में कितनी बार आये आपके गाँव में ?
“सर भूदेव चौधरी तो आते ही नहीं है जब से जीत हासिल की है तब से मैंने आज तक नहीं देखा कि भूदेव चौधरी यहाँ आये हों”।
फिर अपने वोट क्यों दिया था?
“सर हमने वोट तेजस्वी यादव और महागठबंधन को देखकर दिया था लेकिन मुझसे गलती हों गयी भूदेव से अच्छा तो मनीष कुमार है”
मनीष कुमार कैसे नेता हैं?
“बहुत अच्छे, भूदेव चौधरी से बेहतर हैं मनीष कुमार, हालांकि दोनों मामा- भांजे ही हैं लेकिन मनीष कुमार आज भी आते हैं यदि हमें कोई दिक्कत होती हैं तो हमारी समस्या दूर करते हैं और स्वभाव से भी बहूत अच्छे हैं यदि फिर से टिकट मिला तो जीत पक्की है।
हमें बताइये बिहार के लोग क्या सोचकर वोट देने जाते है?
“सर बिहार में सबसे ज्यादा जातियों को देखकर वोट देते है इसीलिए यहाँ विकास नहीं हों सका”
क्या अपने यहाँ शराब बंद है?
“वैसे तो शराब बंद है लेकिन गाँव-गाँव में शराब मिलती है आप अभी फोन करेंगे तो अभी आपके पास आ जायेगी”
कुछ दूरी पर एक एक इंसान बिना चप्पल के जा रहा था हमारे रिपोर्टर ने उसके पास जाकर बात की।


कहाँ जा रहे है?
सर कही नहीं अभी में गाँव से आया और बाजार जा रहा हूँ। हसते हुए बोले……
आपके पैरो में चप्पल तक नहीं है?
सर क्या करें, ग़रीबी इतनी है तो चप्पल कहाँ से पहन सकते है बस जिंदगी चल रही है और क्या बोले, पूछिए..
अच्छा हमें बताइये भूदेव चौधरी कैसे नेता है?
कौन भूदेव, मैंने तो नहीं देखा, अच्छा विधायक जी, अरे क्या बतायेगे आपको। हमारे यहाँ तो आज तक नहीं आये।
आप लोग किसकी सरकार देखना चाहते हैं?
“सर किसी भी बन जाये, आज कल के नेता हम गरीबों को बात को कहाँ सुनते हैं। जैसा चल रहा है वैसा चलता रहेगा “
अप्रैल के महीने में जब किसी के पैरो में चप्पल नहीं फिर उस प्रदेश का विकास कैसे संभव हो सकता है। यह बिहार है सरकार किसी की भी बने लेकिन आम नागरिक का विकास होना जरूरी है। इस तरह से हमारे रिपोर्टर ने जितने भी सवाल किये उससे देखने को मिकता हैं कि भूदेव चौधरी को लोगों ने नकार दिया है।
आप चाहे तो हमारे वीडियो भी देख सकते हैं जिसका लिंक यहाँ दिया गया हैं।
हमारी टीम ने भूदेव को 100 में से 10% अंक दिए है।
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FAQ
जिस तरह से धोरैया विधानसभा के लोगों ने राय दी है उससे लगता है कि यदि भूदेव चौधरी को फिर से राजद टिकट देता है और उनके सामने जदयू के मनीष कुमार को टिकट मिला तो भूदेव चौधरी की हार निश्चित हैं।
हाँ, जिस तरह से लोगों ने रुझान दिए हैं उससे लगता है कि भूदेव चौधरी अपना चुनाव हार सकते है, वर्तमान में (2020-2025) धोरैया विधानसभा से राजद के टिकट पर जीत हासिल कर चुके है। लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में मनीष कुमार का माहौल अच्छा है।