झारखण्ड का इतिहास वर्षों पुराना है ऐसा कहा जाता है कि 17वीं, 18वीं सदी के दौरान मराठा शासक राघोजी भोसले और पेशवा बाला जी आते थे उसके बाद वर्ष 1745 के इतिहास तथा 1769 के इतिहास में यहाँ का इतिहास बहुत कुछ व्यान करता है कुछ वर्षों के बाद 1865 में दुमका को स्वत्रंत जिला बनाया गया और वर्तमान में यहाँ 1 अनुमंडल, 10 प्रखंड, 206 पंचायत तथा 14 पुलिस स्टेशन है |
दुमका के गाँव :-
जब भारत देश के आदिवासी क्षेत्रो की बात है तो से उनमें झारखण्ड के नाम सर्वप्रथम लिया जाता है इस प्रदेश में वैसे तो हजारों गाँव आते है लेकिन दुमका के गाँव को देखेगे किस तरह का जंगल, किस तरह के आदिवासी गाँव तथा यहाँ के लोग है, यदि इन गाँवों की बात करे, मिट्टी की दीवारे, जंगल से लायी गई लकड़ियों की छते और पेड़ों के दरबाजे देखने को मिलते है |
आदिवासी गाँव की सडकें
पानी ले जाती आदिवासी महिलाएं
आदिवासी गाँव के घरों की छत
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दुमका जिले में 4 महाविद्यालय तथा 2 विश्वविद्यालय है जिनको शहीदों के नाम से बनाया गया जिसमें से एक सिद्दो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय तथा दूसरा इग्नू विश्वविद्यालय झरमुण्डी, दुमका में है |
दुमका आदिवासियों का दुःख- दर्द :-
इन आदिवासी गाँव में पानी, चिकित्सालय और बच्चों के स्कूल की सुविधाएँ बहुत कम है यदि कोई महिला या पुरुष बीमार हो जाता है तो उसको कोसों दूर ले जाया जाता है और कभी-कभी तो ऐसा होता है आधे रस्ते में उस पुरुष या महिला की मृत्यु भी हो जाती है |इसी तरह पीने का पानी लेने के लिए नदी, झरने, तालाब, और यहाँ तक नालियों का पानी पिने पर मजबूर हो जाते है|
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Gopikandar
Jama
Jarmundi
Kathikund
Masaliya
Ramghar
Ranishwar
Saraiyahat
Sikaripada
261 गाँव तथा 22 ग्राम पचायत है |
गन्द्रकपुर, मुड़ायान, कुशपहाड़ी, बरमसिया, मोहुलपहाड़ी, ढाका, शिवतल्ला, खाडूकदमा, शिकारीपाड़ा, जामुगाड़िया, सिमानीजोर, सोनाढाब,पलासी,बांकीजोर,हीरापुर,बांसपहाड़ी,शहरपुर,चितरागाड़िया, रसडंगाल, झुनकी, पिंडरगड़िया, मलूटी