जब संसद की लोक सभा में उपसभापति/उपाध्यक्ष और सभापति/अध्यक्ष का चुनाव होता है तो किन-किन आर्टिकल तथा नियमों के बारे में जानकरी दी गयी है यह परीक्षा की द्रष्टि से बहुत महत्वपूर्ण सवाल है जो किसी न किसी सिविल परीक्षा में पूछा जाता है |
क्या संविधान के तहत अपाध्यक्ष/ उपसभापति का होना अनिवार्य है?
संविधान में ऐसा कहा गया है कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों को “जितनी जल्दी हो सके” नियुक्ति मिल जाना चाहिए तथा अनुच्छेद 93 में भी कहा गया है कि “लोक सभा, यथाशीध्र, सदन के दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष/ सभापति और उपाध्यक्ष/ उपसभापति के रूप में चुनेगी | अनुच्छेद 178 में राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों और उपाध्यक्षों के लिए भारतीय संविधान में समतुल्य प्रावधान है |
उपसभापति/उपाध्यक्ष के चुनाव के क्या नियम हैं?
अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव लोक सभा के सदस्यों में से उपस्थित मतदान (वोट) करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत द्वारा किया जाता है, सामान्यतः लोक सभा और राज्यविधानसभाओं में नये सदन के प्रथम सत्र में अध्यक्ष का चुनाव होता है- आमतौर पर तीसरे दिन, जब पहले दो दिनों में सपथ ग्रहण और प्रतिज्ञान हो चुका है इसको ऐसे समझते है जब भी अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होता है तो उसे लोक सभा के सदस्य ही करते है उसमें से सत्ता पक्ष और विपक्ष की भूमिका होती है |
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उपसभापति का चुनाव आमतौर पर लोक सभा के किस सत्र में होता है?
उपाध्यक्ष का चुनाव आमतौर पर दुसरे सत्र में होता है हालाँकि लोकसभा या विधानसभा के पहले सत्र में इस चुनाव को कराने पर कोई रोक नहीं है लेकिन उपाध्यक्ष का चुनाव आमतौर पर दूसरे सत्र से आगे नहीं जाता है जब तक कि कुछ वास्तविक और अपरिहार्य घटनाएँ/बाधाएँ न हों|
लोक सभा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 कैसे कार्य करता है?
संचालन नियमों के नियम 8 के तहत होता है यहाँ नियम 8 को ऐसे समझते है, नियम 8 के अनुसार चुनाव “अध्यक्ष द्वारा तय की गयी तिथि पर होगा” | तथा उपाध्यक्ष तब होता है जब उसके नाम का प्रस्तावपारित हो जाता है, एक बार निर्वाचित होने के बाद, उपाध्यक्ष आमतौर पर सदन के भंग होने पर बने रहता है |
अनुच्छेद 94 (और राज्य विधानसभाओं के लिए अनुच्छेद 179) के तहत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष “ यदि लोक सभा का सदस्य नहीं रह जाता है तो यह अपना पद छोड़ देगा” | वे दूसरे को स्तीफा भी दे सकते हैं, या “ सदन के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत में पारित लोक सभा के प्रस्ताव द्वारा पद से हटाये जा सकते है”|
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 93 तथा अनुच्छेद 178 में लिखा हुआ है |