सम्राटअशोक की प्रेम कहानी [Mistry in History] pdf download
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सम्राट अशोक की प्रेम कहानी [Mistry in History] pdf download

by Srijanee Mukherjee
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जब महान  सम्राट अशोक के बारे में रिसर्च करते है तो उनके बारे में बहुत कुछ जानने को मिलता है, एक तरफ जिस तरह से उनका व्यक्तित्व था दूसरी तरफ, महिलाओं के प्रति उनकी श्रद्धा, उसको देख कर हजारों किताबे लिही जा चुकी है और वर्तमान में भी कुछ लेखक लिखने की कोशिस कर रहे है लेकिन इसके एक दिलचस्प बात यह भी है कि सम्राट अशोक की प्रेम कहानी किसके साथ थी?  क्या यह प्रेम कहानी अशोक के साम्राज्य के पतन का कारण बनी? इसको समझने के लिए हमने जानकारी तीन साहित्यिक श्रोतों वौद्ध ग्रंथ दिव्यावदान,जैन ग्रंथ परिशिष्टपर्वन और वायु पुराण से ली है |

मौर्य सम्राट अशोक की रानियों का वर्णन :-

  1. अशोक की कई रानियाँ थी जिसमें से बौद्ध रानी जिसकी तीन संताने थी महेंद्र,संघमित्रा और उन्नेद्र, दूसरी रानी असंघमित्रा थी तथा तीसरी रानी का नाम पद्मावती था जिससे इन्हें कुणाल नाम के पुत्र की प्रप्ति हुयी थी |
  2. ताम्रपर्णी (श्रीलंका) के राजा तिश्य को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया (राजधर्म बनाया और देवनामप्रिय की उपाधि)|
  3. राजा तिश्य अपने महिषी के साथ राज बगीचे में भ्रमण कर रहे थे अचानक इसी दौरान उन्हें सांप ने डस लिया |
  4. राजा तिश्य ने प्रभावित होकर इस परिचारिका क पदोन्नति दी और तिश्यरक्षिता नाम दिया |
  5. राजा तिश्य ने महेंद्र व संघमित्रा से प्रभावित होकर उपहार स्वरूप अनेक दास, दासियाँ व बहुमूल्य उपहार तिश्यरक्षिता के नेतृत्व में पाटिलपुत्र भेजे |
  6. अशोक ने जैसे ही तिश्यरक्षिता को देखा तो मंत्रमुग्ध हो गये |

तिश्यरक्षिता,असंघमित्रा और रानी पद्यावती की गाथा  :-

  1. असंघमित्रा (पट्टमहिषी) ने इस स्थिति को भांप लिया और अशोक के पुत्र कुणाल को संचेत किया |
  2. रानी पद्यावती के पुत्र कुणाल को असंघमित्रा ने ही माँ की तरह पाला था |
  3. अशोक ने तिश्यरक्षिता से विवाह कर लिए और पट्टमहिषी का पद प्रदान किया |
  4. इसके बाद पट्टमहिषी तिश्यरक्षिता ने राजनीति हस्तक्षेप किया और अपने आदेश अशोक के माध्यम से लागू करवाए |
  5. युवराज कुणाल पर मोहित हो गयी ( संबध पुत्र) (तिश्यरक्षिता अशोक की नई रानी)
  6. लेकिन कुणाल अपनी पत्नी कांचनमाला से प्रेम करता था तथा अपने वैवाहिक जीवन  से बहुत खुश था |

सम्राट अशोक, कुणाल और तिश्यरक्षिता की गाथा :-

  1. एक तरफ अशोक राजकाज और बौद्ध धर्म के प्रचार- प्रसार में व्यस्त थे दूसरी तरफ क्रुद्ध तिश्यरक्षिता ने बोधि वृक्ष को भी कटवा दिया |
  2. तिश्यरक्षिता ने कुणाल से प्रेप प्रसंग के लिए प्रणय निवेदन किया था जिसे कुणाल ने इंकार कर दिया और साथ ही अपमानित भी किया था, इस समय कुणाल उज्जयिनी का राज्यपाल था और वह वहीँ से लौट गया |
  3. लेकिन सर्पिणी तिश्यरक्षिता कुणाल से बदला लेने के लिए आतुर थी, उसी दौरान सम्राट अशोक बीमार पड़ गये जिसकी तिश्यरक्षिता ने बहुत सेवा की ,(दंतमुद्रा पर तिश्यरक्षिता का अधिकार) |
  4. इसी दौरान तक्षशिला में विद्रोह हुआ जिसे दबाने के लिए तिश्यरक्षिता के कहने पर सम्राट अशोक ने कुणाल को वहाँ भेज दिया |

तक्षशिला के अमात्यों और कुणाल की गाथा :-

  1. इस युद्ध के दौरान, तक्षशिला के अमात्यों को दंतमुद्रा से आदेश गया कि युवराज कुणाल की आँखें निकलवा दी जाये |
  2. जैसे ही कुणाल को ये राजाज्ञाप्राप्त हुयी तो उसने वधिको को बुलाकर अपनी आँख्ने निकाल देने का आदेश दिया|
  3. परिशिष्टपर्तन में उल्लेख है कि कुणाल को स्थिति का जायजा लेने के लिए का आदेश था (अधियव शब्द), जबकि तिश्यरक्षिता ने इस शब्द को अंधियव कर दिया (अँधा करो)
  4. जब युवराज कुणाल अँधा हो गया तब सम्राट अशोक को गहरा शोक लगा तथा उसने उस स्थान अपर बौद्ध स्तूप का निर्माण करवाया |
  5. हेनशांग ने इस स्तूप का उल्लेख किया है ( द.पूर्व में 100 फिट ऊँचा)|

सम्राट अशोक और तिश्यरक्षिता की गाथा :-

  1. कुछ वर्षों के बाद तिश्यरक्षिता के षड्यंत्र की परतें अशोक के सामने खुल गयी, फलस्वरूप उसको बंदी बना लिया |
  2. तिश्यरक्षिता ने निर्भीकतापूर्वक अपने अपराध को स्वीकार कर लिया इसके बाद सम्राट अशोक ने तिश्यरक्षिता को जीवित जलाने का आदेश दिया |
  3. अशोक के पश्चात् कुणाल सत्तारुढ़ हुए जिसके शासनकाल में मौर्य साम्राज्य का विघटन आरम्भ हो गया |

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