भारत की राजनीति में 30 वर्षों का योगदान देने वाले, चाहे बात आजादी से पहले की हो या आजादी के बाद की जवाहर लाल नेहरु ने देश और दुनियां को दिखाया कि एक देश को कैसे लेकर चलना है |
यदि इनके कार्यकाल की तुलना भारत देश के पहले प्रधानमंत्री और वर्तमान के प्रधानमंत्रियों से करें तो सबसे ज्यादा समय तक भारत देश के प्रधानमंत्री रहने का सौभाग्य इनको ही प्राप्त हुआ|
या हम ये कहें 17 साल तक भारत देश का नेतृत्व करने का सौभाग्य प्राप्त करने के साथ–साथ कई उपलब्धियों से भी नवाजा गया इसी के कारण इनको आधुनिक भारत का निर्माता भी कहा जाता है
जवाहर लाल नेहरु का बचपन:-
इनका जन्म मोती लाल नेहरु के घर हुआ मोती लाल नेहरु उस जमाने के एक बहुत ही बड़े वकील होने के साथ – साथ कांग्रेस के नर्म दल के नेता भी थे| इसको हम ऐसे समझे, मोती लाल नेहरु “ लाल बाल पाल “ वाले नेता नहीं थे| हालाकिं यह कश्मीरी पंडित थे लेकिन कुछ समय बाद उत्तर प्रदेश में रहने के लिए आ गये थे|
जवाहर लाल नेहरु का जन्म 14 नवंबर 1889 में हुआ और ऐसे खानदान में पैदा हुए जो बहुत ही अमीर था इसलिए इनकी ज्यादातर पड़ाई घर पर ही हुयी |
जिस तरह से आज के युग में एक टीचर घर पर बच्चों को पड़ने के लिए आता है| उसी तरह उस जमानें में उनको ज्यादातर टीचर घर पर ही शिक्षा देने के लिए आते थे |
घर की शिक्षा के बाद का जीवन:-
उसके बाद नेहरू जी को Harrow school of Landon भेज दिया गयाजहाँ इन्होने स्कूली शिक्षा पूरी की, स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद Trinity College, Cambridge से 1910 में natural science से ग्रेजुएशन किया |
कुछ वर्षों के इन्होनें Landon से ही वकालत की भी पड़ाई शुरू कर जिस college से इन्होने वकालत की पड़ाई की उसका नाम Inner temple, Landon है इस college में बड़े– बड़े आधिकारियों के बच्चे पड़ा करते थे |
वर्ष 1912 में वकालत की पड़ाई पूरी करने के बाद इनको वकालत करने की उपाधि मिल गयी और इसी वर्ष भारत लौट आये इसी वर्ष इन्होने इलाहबाद हाईकोर्ट में वकालत करने की प्रेक्टिस शुरू कर दी लेकिन इनके पिता की तरह इनकी उतनी अच्छी प्रेक्टिस नहीं थीजिस तरह होनी चाहिए थी इसका कारण यह भी था कि इसका मन वकालत में लगता नहीं था क्यों उस समय जो देश में गतिविधियाँ चल रही थी उनके बारे में ज्यादा सोचा करते थे |
पिता को ख़त लिखने की कुछ बातें:-
नेहरु जी जब भी इग्लैंड से अपने पिता जी को ख़त लिखा करते थे उसमें कहते थे पिता जी आप नरम दल के नेता क्यों है इसको छोड़ दीजिये इससे इतने जल्दी आजादी नहीं मिलेगी और आपको गरम दल से जुड़ना चाहिए क्योंकि हो सकता है उससे आजादी जल्दी मिल जाये |
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राजनैतिक शुरुआत:-
1912 में भारत आने के बाद सबसे पहले यह कांग्रेस के अधिवेशनों में जाने लगे इसी को स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने की सबसे बड़ी राजनीति कड़ी को माना गया है और रिसर्च बताते है कि इसके विचार अपने पिता जी से ही नहीं मिलते थे इनका झुकाव गोपाल कृष्ण गोखले जैसे नेताओं की तरफ था जो गरम दल को ज्यादा सपोर्ट करते थे और इनके पिता जी नरम दल के नेता थे |
नरम दल के नेताओं के बारे में:-
जवाहर लाल नेहरु ने 1910 के मध्य में होम रूल लीग (सोसलिस्ट डिफेन्स संगठन) आंदोलन का समर्थन किया और वहां पर सिक्रेटरी के तौर पर काम करने लगे| ‘सोसलिस्ट डिफेन्स संगठन’ से बहुत प्रभावित था या हम ये कहें नेहरु, एनी बेसेंट से बहुत प्रभावित थे इसलिए वो इस संगठन से जुड़ गये | लेकिन कुछ समय के बाद एनी बेसेंट को अंग्रेजो के द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और यह संगठन ख़त्म सा हो गया |
फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ झुकाव:-
एनी बेसेंट के गिरफ्तार होने के बाद नेहरु जी का झुकाव फिर से कांग्रेस की तरफ होने लगा, 1916 में पहली वार महात्मा गाँधी जी से मिले थे उसके बाद लगातार में संपर्क में रहने लेग| 4 वर्षों के बाद 1920 गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन की शुरुआत की जिसमें गाँधी जी ने यूनाइटेड प्रोविन्सस( united provinces) की कमान नेहरू जी को दी, उस समय का यूनाइटेड प्रोविन्सस( united provinces) जोकि आज का उत्तर प्रदेश कहलाता है |
चौरी चौरा कांड के बाद गांधी जी ने इस आन्दोलन को स्थगित कर दिया था क्योंकि चौरी चौरा कांड यूनाइटेड प्रोविन्सस( united provinces) में हुआ था जिसकी कमान नेहरू के हाथों में दी गयी थी कुछ समय के बाद कांग्रेस के दो हिस्से हो गये जिसमें जो स्वराजिस्त थे उन्होंने स्वराज पार्टी की स्थापना की |
लेकिन अपने पिता की पार्टी होने के बावजूद भी वह स्वराज्य पार्टी से नहीं जुड़े क्योंकि नेहरु को पिता से ज्यादा गाँधी जी की विचारधारा पसंद थी |
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महत्त्वपूर्ण तिथियाँ और समय:-
- नेहरू जी गांधीवादी दृष्टिकोण के साथ रहे और स्वराज पार्टी/गुट में शामिल नहीं हुए
- 1923 में महासचिव बने
- 1928 की नेहरू रिपोर्ट द्वारा की गई डोमिनियन स्थिति की मांग का विरोध किया
- संयुक्त प्रांत में गांधीजी द्वारा शुरू किए गए असहयोग आंदोलन की कमान संभाली
- नेहरु जी कांग्रेस में वामपंथी नेता बने
- लाहौर कांग्रेस अधिवेशन 1929 – पूर्ण स्वराज संकल्प
- 1928 – गांधीजी और कांग्रेस नेतृत्व ने नेहरू और बोस की इच्छा के विरुद्ध नेहरू रिपोर्ट को लागू करने के लिए ब्रिटिश सरकार को 1 वर्ष की समय सीमा दी।
- यदि अंग्रेज समय सीमा को पूरा करने में विफल रहे, तो कांग्रेस सभी भारतीयों से पूर्ण स्वतंत्रता के लिए लड़ने का आह्वान करेगी।
- 31 दिसंबर, 1929 – रावी नदी के तट पर आधी रात को इंकलाब जिंदाबाद के नारों के बीच आजादी का नया अपनाया हुआ तिरंगा झंडा फहराया गया।
- 26 जनवरी, 1930 को पूर्ण स्वराज्य की घोषणा सार्वजनिक रूप से जारी की गई
- सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34) के दौरान नेहरू लंबे समय तक जेल में रहे।
- 1936 और 37 में कांग्रेस अध्यक्ष
- 1937 के चुनावों में कांग्रेस की चुनावी जीत
- भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान पुनः जेल गये
- 1946 – अंतरिम कैबिनेट के नेता और देश के पहले प्रधानमंत्री
इनके पिता का नाम मोती लाल नेहरु था और माता का नाम श्री मती स्वरूप रानी था जो पहले जम्मू कश्मीर में रहते थे इनको इनको कश्मीरी पंडित भी कहा जाता था लेकिन बाद में उत्तर प्रदेश में रहने के लिए आ गये |
इनका विवाह कमला देवी के साथ वर्ष 1916 में हुआ था और अगले वर्ष 1917 में ही एक पुत्री का जन्म हुआ जिनका नाम इंद्रा प्रियदर्शनी था जिसने आगे चलकर भारत देश की राजनीति में अपना नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज कराया जिन्हें आज इंदिरा गाँधी के नाम से जानते है, जवाहर लाल नेहरु की पत्नी का नाम कमला देवी था |
इस पार्पटी को पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के पिता मोतीलाल नेहरु और सी आर दास थे, इन लोगों कांग्रेस से अलग होकर 1 जनवरी 1923 स्वराज पार्टी का निर्माण किया था
कांग्रेस से विभाजन के बाद स्वराज पार्टी का निर्माण 1 जनवरी 1923 हुआ यह निर्माण जवाहरलाल नेहरु के पिता ने मोतीलाल नेहरु और सी आर दास ने किया था क्योंकि उनकी विचारधारा गरम दल की विचार धारा से बिलकुल अलग थी |
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