भारत के इतिहास में जिस तरह से आदिवासियों, मुस्लिमों, हिंसा तथा अहिंसात्मक क्रांतिकारियों ने आजादी की लड़ाई ने लिए आंदोलन किये, जिसमें जल, जंगल और जमीन का अलग आन्दोलन था, कुछ क्रांतिकारी हिंसात्मक तरीके से आजादी हासिल करना चाहते थे तो कुछ अहिंसात्मक तरीके से आजादी के लिए लड़ रहे थे उसी तरह इस देश में अंग्रेजों और मराठों के बीच भी इस देश में आंदोलन/( लड़ाइयों) का इतिहास रहा है जिसको प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध तथा द्वतीय आंग्ल मराठा युद्ध में दर्शाया गया है इसके साथ- साथ इन युद्धों के दौरान कुछ संधियाँ भी हुयी, जैसे पुरंदर की संधि 1776, बडगांव की संधि 1779 और सालबाई की संधि 1782 आदि, इस लेख में इन संधियों को जानेगे
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पुरंदर की संधि 1776 :-
- कंपनी राघोबा उर्फ़ रघुनाथ राव को समर्थन नहीं करेगी |
- सलसेट तथा थाना कंपनीके अधीन ही रहेगा |
इससे दोनों पक्षों के मध्य शांति स्थापित हुयी हो गयी थी, परन्तु लंदन स्थित बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स ने सूरत की संधि को स्वीकार किया जो इनके लिए अधिक लाभदायक थी इसी समय पश्चिम में अमेरिका स्वतंत्रता युद्ध चल रहा था जिसमें अंग्रेज और फ्रांसीसी एक- दूसरे के आमने सामने थे | एक फ्रांसीसी सेना पूना पहुंची तथा पेशवा ने पश्चिममें एक पतन ने निर्माण की अनुमति दे दी जो सूरत की सन्धि का उल्लंघन था |
उसी दौरान वारेन हेस्टिंग ने एक सेना बंबई की सहायता हेतु भेजा यह सेना बडगांव में पेशवा की सेना बुरी तरह हारी तत्पश्चात दोनों पक्षों में मध्य बडगांव की संधि 1779 में हुयी|
बडगांव की संधि 1779:-
- अंग्रेजों ने 1773 के पश्चात् जो भी प्रदेश जीते थे ये सारे मराठों को लौटा दिए | यह संधि अंग्रेजो के लिए बहुत अपमानजनक सिद्ध हुयी थी क्यों कि इसमें अंग्रेजों को बुरी तरह झुकना पड़ा था |
लेकिन वारेन हेस्टिंग्सने युद्ध जरी रखा तथा ब्रिटिश सेना ने अहमदाबाद और ग्वालियर पर अधिकार कर लिया | उधर गुजरात के गायकवाड जो अभी तक तटस्थ था जिसको अंग्रेज अपनी ओर नहीं मिला लेते है |
सालबाई की संधि 1782:-
- एक दूसरे के वीजीत प्रदेश लौटा दिए गये |
- इस संधि में दौरान अंग्रेजो ने राघोबा का साथ छोड़ दिया |
- राघोबा को पेशवा ने पेंशन दिया |
- अंग्रेजों ने माधवराव नारायणराव को पेशवा मान लिया |
- सालसेट और एलिफेंटा द्वीप अंग्रेजों के पास रहने दिया गया |
इस संधि ने युद्ध से पहले की स्थितिस्थापित कर दी यधपि कंपनी की प्रतिष्ठा बाख गई किन्तु उसे अपास वित्तित क्षति पहुंची , इस संधि के दौरान अंग्रेजों ने मराठों से जितने भी प्रदेश जीते थे वो सब के सब मराठों को लौटा दिए गये | इससे केवल कंपनी को मैसूर के मामले में पूर्ण स्वतंत्रता मिल गयी , अंग्रजों को मराठों की वास्तविक शक्ति का ज्ञान हो गया इसके बाद अगले 20 वर्षों तक दोनों पक्षों में शन्ति बनी रही |
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FAQ
सालबाई की संधि 1782 में सिंधिया के मध्यस्थता में हुयी थी |
मध्य बडगांव की संधि 1779 में हुयी|
नारायण राव, पेशवा माधवराव के छोटे भाई थे जिनको नारायण राव की मृत्यु के बाद पेशवा बनाया गया था|
1772 ई. में, पेशवा माधवराव की मृत्यु का कारण क्षय रोग था जिसको देशी भाषा में टीवी का रोग बोलते है |
नारायण राव की हत्या,उनके चाचा चाचा रघुनाथ राव उर्फ़ राघोबा ने करवाई थी क्योंकि यह खुद पेशवा बनना चाहता था |