इस लेख में कोइरी जाति का इतिहास तथा, इसके भगवान, उपनाम, और कुलदेवी के बारे में वर्णन करेंगे ताकि कोइरी जाति का इतिहास समझा जा सके |
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- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
कोइरी जाति का इतिहास:-
यह जाति भारत की सबसे पुरानी जातियों में से एक है कोइरी भारत की एक प्रमुख जाति है, जिसका इतिहास,संस्कृति और पुरानी परम्पराएँ हमारे समाज के महत्वपूर्ण हिस्से में से एक हैं, यह एक भारतीय गैर कुलीन जाति है तथा ज्यादार इस जाति के लोग बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड और मध्यप्रदेश में रहते हैं, इनको के नामों से भी जाना जाता है |
कोइरी जाति के उपनाम :-
- इस जाति के लोग मौर्य, शाक्य और कुशवाहा उपनाम का स्तेमाल करते हैं |
- भारत सरकार और विभिन्न राज्यों की सूची में इस जाति को अन्य- पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में रखा गया है |
- यह लोग मुख्य रूप से सब्जी की खेती करते हैं, वर्ष 1941 में, छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इस जाति की प्रसंसा की गयी है, रिपोर्ट में कहा गया कि बिहार में रहने वाले इस समाज के लोग सबसे उन्नत कृषक के रूप में होते है/ वर्णित किये गये हैं |
- बिहार में इस समुदाय की आवादी 7- 8 % है |
इस समुदाय में कई प्रसिद्ध व्यक्ति है उनके कुछ नाम इस प्रकार है :-
- महाबली सिंह, उपेद्र कुशवाह, सम्राट चौधरी, केशव प्रसाद मौर्य, संघमित्रा तथा सावनी प्रसाद मौर्य आदि |
- स्वतंत्रता के बाद, बिहार,झारखंड, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में अन्य पिछड़ावर्ग (OBC) के रूप में माने गये हैं इसके साथ- साथ यह लोग मॉरीशस और नेपाल में भी रहते हैं |
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
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FAQ
वर्ष 1991 में, भारत सरकार ने , काछी (कुशवाह) जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया था उसके बाद वर्ष 2013 में, हरियाणा सरकार ने कुशवाहा, कोइरी को पिछड़ी जातियों में सम्मिलित किया था |
पुरानी मान्यताओं के अनुसार “ इनकी उत्पत्ति, भगवान विष्णु के अवतार,अयोध्या के सूर्यवंशी राजा श्रीराम से हुयी है |इस जाति का मुख्य गोत्र कश्यप है तथा इसकी कुलदेवी जमवाय माता है |
कहरवा, सोहर, कहता, लहंगा, पहनावा, लहंगा-लुहारिया आदि
इस जाति को मध्य प्रदेश में मौर्य, शाक्य और कुशवाहा नाम से बुलाते हैं |
इस जाति के लोगों को बिहार और झारखंड में, कुशवाहा के नाम से जाना जाता है |
इस जाति के लोगों को उत्तर प्रदेश में, मौर्य, शाक्य और कुशवाहा के नाम से जाना जाता है |
इस जाति का गोत्र काशी,मोरा और कुछवाहा है |