राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास [pdf]
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राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास [pdf]

by Srijanee Mukherjee
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हिंदुस्तान का इतिहास विश्व के उन देशों में भी पढ़ाया जाता है जहां के लोग इस देश के बारे में बहुत ज्यादा जानकरी नहीं रखते है, चाहे यूरोप के देश ह या फी एशियाई देश, हर जगह हिंदुस्तान की गाथा दिखाई दे ही जाती है इस लेख में राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास जानेंगे तथा यह भी जानने की कोशिस करेंगे, जब भारत देश अंग्रेजों से आजाद नहीं हुआ था उस समय किस प्रकार का ध्वज हुआ करता था इसके साथ- साथ राष्ट्रीय ध्वज में क्या बदलाव हुए|

राष्ट्रीय ध्वज का महत्त्व :-

  1. किसी भी देश का राष्ट्रीय ध्वज उसके सम्मान का प्रतीक होता है|
  2. यह सम्पूर्ण राष्ट्र की गरिमा व प्रतिष्ठा का प्रतिनिधित्व करता है|
  3. राष्ट्र की एकता के सूत्र में बांधते हुए धर्म व क्षेत्रवाद के परे हमारा राष्ट्रीय तिरंगा “यूनिटी इन डाइवर्सिटी” की सबसे प्रबल अभिव्यक्ति है/करता है |

हमारे देश में अलग- अलग धर्म है, अलग- अलग समाज है उन सबको एकता में बांधने का प्रतीक है|

राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास:-

1-पहली बार कल्पना :-

  1. भारतीय इतिहास में, वर्ष 1905 से पूर्व सम्पूर्ण भारत की आखांडता दर्शाने वाला कोई राष्ट्रीय ध्वज नहीं था|
  2. वर्ष 1905 में, स्वामी विवेकानंद की शिष्या “सिस्टर निवेदिता ने सर्वप्रथम पहली वार सम्पूर्ण भारत के लिए राष्ट्रीय ध्वज की कल्पना की थी, इनके द्वारा बनाये गये राष्टीय ध्वज में कुछ 108 ज्योतियाँ थी|
  3. इसका आकर चौकोर था|
  4. इसमें दो(2) रंग थे जिसमें लाल रंग  स्वतंत्रा संग्राम व पीला रंग विजय का प्रतीक था |
  5. इस पर बांग्ला भाषा में “ वंदेमातरम् ” लिखा था व इसके पास एक बज्र व केंद्र में सफ़ेद कमल का चिन्ह था |

2-राष्ट्रीय ध्वज की दूसरी कल्पना :-

  1. पहली वार, 7 अगस्त 1996 कलकाता में ध्वज फैराया गया|
  2. जिसे कलकाता ध्वज कहा गया तथा यह प्रथम अनाधिकारिक ध्वज था इसकी अभिकल्पना शचीन्द्र प्रसाद बोस ने की थी|
  3. इस झंडे में बराबर चौड़ाई की तीनक्षैतिज पट्टियाँ थी |  शीर्ष नारंगी,केंद्र पीला व निचली पट्टी हरे रंग की थी| 
  4. नारंगी पट्टी पर ब्रिटिश भारत के आठ प्रान्तों का प्रतिनिधित्व करते हुए आठ आधे खुले कमल के फूल थे और निकली पट्टी पर बाई तरफ सूर्य व दाई तरफ एक वर्धमान चाँद की तस्वीर थी तथा केंद्र में वंदेमातरम् लिखा था | 
  5. पहली वार विदेशी धरती पर भारतीय ध्वज भिकाजी गामा द्वारा 22 अगस्त 1907 को फिराया गया था|
  6. इस ध्वज को “सप्तर्षि झंडे” ध्वज नाम से जाना जाता है जो कि 1906 वें ध्वज जैसा ही था परन्तु इसकी सबसे उपरी पट्टी केसरिया रंग की व कमल वजाय 7 तारे सप्तॠषि के प्रतीक थे|

3-राष्ट्रीय ध्वज की तीसरी कल्पना :-

  1. भारतीय धरती पर तीसरे पप्रकार का तिरंगा होमरूल लीग के दौरान फहराया गया था|
  2. होमरूल आंदोलन के दौरान कलकाता में एक कांग्रेस अधिवेशन के दौरान यह ध्वज फैराया गया था|
  3. इसमें 9 पट्टियाँ थी, जिसमें 5 लाल रंग की व 4 हरे रंग की थी|
  4. ध्वज के उपरी वाएं रंग में यूनियन जैक था शीर्ष बाएं कोने में आर्थचंद्र व सितारा था|
  5. ध्वज के बाकी हिस्सों में सप्तॠषि के स्वरूप में साथ सितारों को व्यवस्थित किया गया था|

4-राष्ट्रीय ध्वज की चौथी कल्पना :-

  1. 1921 में आंध्रप्रदेश के पिपली ने विजयवाड़ा में गांधीजी के निर्देशों के अनुसार सफ़ेद, हरे व लाल रंग से पहला “ चरखा ध्वज”  डिज़ाइन किया था|
  2. इस ध्वज को “ स्वराज झंडे” के नाम से जाना जाता था|

राष्ट्रीय ध्वज की पांचवी कल्पना:-

  1. 1931 में तिरंगे ध्वज को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने हेतु एक प्रस्ताव पारित किया गया |
  2. यह ध्वज वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है इसमें केसरिया, सफ़ेद या मध्य में गांधीजी का चलता हुआ चरखा है|

वर्तमान का राष्ट्रीय ध्वज :-

  1. स्वतंत्रता पश्चात भारत में एक तदर्थ ध्वज समिति का गठन किया गया|
  2. श्रीमती सुरैया बद-उद-दीन तैयबजी द्वारा प्रस्तुत भारत के राष्ट्रीय ध्वज के डिज़ाइन को 17 जुलाई 1947 को ध्वज समिति द्वारा अनुमोदित व स्वीकार किया गया|
  3. समिति की सिफारिस पर 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को स्वतन्त्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया |
  4. तिरंगे में 3 समान चौड़ाई की क्षैतिज पट्टियाँ है जिसमे सबसे ऊपर केसरिया रंग (देश की ताकत व साहस को दर्शाती है) , बीच में श्वेत पट्टी (धर्म चक्र के साथ शांति व सत्य का संकेत), व नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी देश के विकास व उर्वरता को दर्शाती है|   

FAQ

विदेशी धरती पर पहली बार तिरंगा झंडा कब फैराया गया था?

पहली वार विदेशी धरती पर भारतीय ध्वज भिकाजी गामा द्वारा 22 अगस्त 1907 को फिराया गया था|

भारत का पहला तिरंगा कैसा था?

इसका आकर चौकोर था इसमें दो(2) रंग थे जिसमें लाल रंग  स्वतंत्रा संग्राम व पीला रंग विजय का प्रतीक था और इस पर बांग्ला भाषा में “ बंदे मातरम” लिखा था व इसके पास एक बज्र व केंद्र में सफ़ेद कमल का चिन्ह था |

भारत में पहली वार भारतीय तिरंगे की कल्पना किसने की थी?

वर्ष 1905 में, स्वामी विवेकानंद की शिष्या “सिस्टर निवेदिता ने सर्वप्रथम पहली वार सम्पूर्ण भारत के लिए भारतीय तिरंगे की कल्पना की थी|

राष्ट्रीय ध्वज का क्या कार्य होता है?

यह सम्पूर्ण राष्ट्र की गरिमा व प्रतिष्ठा का प्रतिनिधित्व करता है तथा किसी भी देश के लिए यह सम्मान का प्रतीक होता है यह तिरंगा “यूनिटी इनडाइवर्सिटी” की सबसे प्रबल अभिव्यक्ति है|

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