वर्तमान में जिस तरह से भारतीय राजनीति तथा राजनैतिक दल जिस तरह से नफरत की राजनीति का एजेंडा फैलाते है उसको देखकर ऐसा लगता है आने वाले कुछ वर्षों में, भारत जैसे लोकतंत्र देश में लोकतंत्र खत्म हो जायेगा लेकिन यदि पूर्व के राजनैतिक दल या नेता ऐसे नहीं थे यहाँ तक कि किसी नेता को तो किसानों का मसीहा भी कहा गया है इसलिए इस लेख में उस मसीहा प्रधानमंत्री के बारे में चर्चा करेंगे जिनका नाम चौधरी चरणसिंह है |
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चौधरी चरणसिंह का प्रारंभिक जीवन :-
इनका जन्म 23 दिसंबर 1902 को ब्रिटिस भारत में आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत के उत्तर-पश्चिमी भाग के रोहिलखड क्षेत्र में मेरठ जिले के नूरपुर गाँव में हुआ था जोकि वर्तमान में विजनौर जिला,उत्तर प्रदेश, भारत में आता है | शिक्षा के दौरान ऐसा कहा जाता है कि यह एक अच्छे विध्यार्थी रहे तथा उन्होंने वर्ष 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ़ आर्ट्स (एम्ए) की डिग्री और 1926 में कानून की शिक्षा प्राप्त की उसके बाद 1928 में गाजियाबाद में एक सिविल के रूप में अभ्यास शुरू किया |
फरवरी 1937 में वह 34 वर्ष की आयु में छपरौली (बागपत) निर्वाचन क्षेत्र से संयुक्त प्रांत की विधान सभा के लिए चुने गये थे तथा 1938 में, इन्होने विधानसभा में एक कृषिउपज बाजार विधेयक पेश किया था|
स्वत्रंत भारत के बाद चौधरी चरणसिंह का इतिहास :-
- चरण सिंह ने सोवियत शैली के आर्थिक सुधारों पर जवाहरलाल नेहरु का विरोध किया, रिसर्च बताते है इनका विचार था कि सहकारी फार्म भारत में सफल नहीं होंगे | एक किसान का बेटा होने के नाते, इनका मानना था कि कृषक बने रहने के लिए स्वामित्व का अधिकार किसानों के लिए महत्वपूर्ण है तथा वह हमेसा किसान स्वामित्व की व्यवस्था को संरक्षित और स्थिर करना चाहते थे |
- उन्होंने 1967 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और अपनी खुद की राजनैतिक पार्टी, भारतीय क्रांति दल बनाई | राज नरायण और राम मनोहर लोहिया की मदद और समर्थन से वह 1976 में और 1976 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने |
- उन्होंने मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता सरकार में उप- प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, और वित्तमंत्री के रूप में कार्य किया |
चौधरी चरणसिंह का पहला कार्यकाल मुख्यमंत्री के तौर पर (1967-68):-
चरण सिंह और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के बीच विवाद तब सार्वजनिक हो गए जब एसएसपी ने अंग्रेजी हटाओ का आंदोलन शुरू करने का फैसला किया और इस आंदोलन के दौरान इसके दो मंत्रियों ने गिरफ़्तारी दी | एसएसपी 5 जनवरी 1968 से हट गये तथा 17 फरवरी 1978 को, चरण सिंह ने राज्यपाल बेजवाड़ा गोपाल रेड्डी को स्तीफा सौफ दिया और 25 फरवरी 1968 को उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया |
चौधरी चरणसिंह का दूसरा कार्यकाल मुख्यमंत्री के तौर पर(1970):-
- 18 फरवरी 1970 को चरण सिंह इंदिरा गांधी की कांग्रेस (आर) की मदद से दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने |
- 1 अक्तूबर 1970 को, कीव के वी. वी. गिरि. जो वहां के दौरे पर थे, द्वारा उत्तर प्रदेश पर राष्ट्रपति शासन लगाया था | ठीक दो सप्ताह बाद उत्तर प्रदेश विधान सभा को वापस बुलाने के साथ, त्रिभुवन नरायण सिंह को सदन का नेता चुना गया और मुख्यमंत्री बने | कांग्रेस (ओ), भारतीय जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी और सोशलिस्ट पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने |
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FAQ
इन्होने 1967 में कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और अपनी खुद की राजनैतिक पार्टी बनाई जिसका नाम भारतीय क्रांति दल था |
राज नरायण और राम मनोहर लोहिया की मदद और समर्थन से वह 1976 में और 1976 में चरण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे |