जब झारखंड के इतिहास की बात करते है दुनियां में ऐसे बहुत कम देश है जहाँ जल, जंगल और जमीनों के लिए आन्दोलन हुए हो लेकिन यह प्रदेश अपने आप में महान है, क्योंकि इस प्रदेश ने भगवान् बिरसा मुंड, बुधु भगत, जयपाल सिंग उर्फ़ मरांग गोमके जैसे हजारों क्रांतिकारियों को जन्म दिया है इसलिए वर्तमान में जितनी भी सरकारी परीक्षाएं होती है उनमें यहाँ से कुछ न कुछ जरुर प्रश्न पूछे जाते है इसलिए यह लेख परीक्षाओं की द्रष्टि से लिखा गया है |
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
मरांग गोमके का जन्म :-
इनका जन्म 3 जनवरी 1903 को खूंटी जिले (झारखंड) टकरा गाँव के मुंडा परिवार में हुआ था इनका बचपन का नाम वेनन्द पाहन था, या इनका मूल नाम भी वेनन्द पाहन कह सकते है इन्होने ही बिहार से अलग राज्य झारखंड बनाने की मांग की थी |
मरांग गोमके की शिक्षा :-
- उस दौरान इनको सेंट पॉल हाईस्कूल के हेडमास्टर केनन कोसग्रेव वर्ष 1919 में इंग्लैंड ले गये |
- जयपाल सिंह ने M.A की परीक्षा ऑक्सफ़ोर्ड से 1922 ई. में पास की थी|
- पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूंद में अव्वल होने के कारण 1928 ई. में एम्सटंडम (नीदरलैंड) में 9th ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम के लिए कप्तानी की और हॉकी में स्वर्ण पदक जीता (भारत के इतिहास में यह पहला हॉकी ओलम्पिक स्वर्ण पदक था)|
- वर्ष 1931 में तारा मजुमदार (कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष W.C. वनार्जी की पुत्री) से विवाह किया उसके बाद यह बीकानेर रियासत के मंत्री बने |
कैरियर तथा राजनैतिक सफ़र :-
- 1939 ई. में आदिवासी महासभा के अध्यक्ष बने |
- 1950 ई. में पृथक झारखंड के लिए “झारखंड पार्टी” का गठन किया |
- 1954 ई. में जहाँआरा से द्वितीय विवाह किया |
- अपने जीवन के अंतिम वर्षों में चिंताओं से ग्रस्त होकर 20 मार्च 1970 को नई दिल्ली में ब्रेनहेमरेज से निधन हो गया था |
- भगवान बिरसा मुंडा का अवतार जयपाल सिंह को माना जाता है |
- जयपाल सिंह 1952 ई. से 1962 ई. तक खूंटी के सांसद रहे तथा जनता ने उन्हें “मरांग गोमके” ( बड़े गुरूजी) उपाधि दी |
महत्वपूर्ण बिंदु :-
- इनके जन्म के कुछ वर्षों के बाद इन्होने इसाई धर्म अपना लिया था तथा इसाई बनने के बाद इनका नाम ईश्वर दास हो गया था|
- खूंटी के एक पुरोहित ने जिनका नाम जयपाल मिश्र था उन्होंने ईश्वर दास का नाम बदलकर जयपाल सिंह रख दिया था |
- जयपाल मिश्र के गुरु का नाम सुकरा पाहन था |
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
- Career Guidance
- Country
- Education
- india history
- Literature
- MCQ QUIZ
- NCERT का इतिहास
- Politics
- SSC CGL 2023-2024
- इतिहास के पन्ने
- झारखण्ड का इतिहास
- देश दुनियां
- प्राचीन भारत का इतिहास
- बुंदेलखंड का इतिहास
- भारतीय इतिहास
- भारतीय राजनीति इतिहास
- भारतीय राजनेता
- सामाजिक अध्यन
FAQ
इनका जन्म 3 जनवरी 1903 को खूंटी जिले (झारखंड) के टकरा गाँव में हुआ था |
खूंटी जिले (झारखंड) के टकरा गाँव में हुआ था |
यह गाँव खूंटी जिले (झारखंड) में आता है इसी गाँव में जयपाल सिंह उर्फ़ मरांग का जन्म हुआ था |
इनको मुंडा राजा नाम की उपाधि दी गयी थी |
खूंटी के एक पुरोहित ने (जयपाल मिश्र) ने इनका नाम जयपाल रखा था |
इनका जन्म 3 जनवरी 1903 को खूंटी जिले (झारखंड) टकरा गाँव के मुंडा परिवार में हुआ था |
जयपाल मिश्र के गुरु का नाम सुकरा पाहन था |