बिहार के इतिहास में ऐसे बहुत कम नेता हुये जिन्होंने लगातार 4-5 बार चुनाव में जीत हासिल की हो, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, के कमलदेव नरायण सिन्हा जिन्हें प्यार से कमल बाबू केनाम से भी जाना है। वर्तमान इनके नाम से स्कूल, सामाजिक कार्य देखने को मिल ही जाते है यहाँ तककि हर दल के नेता सम्मान के साथ पुण्यतिथि मनाते हैं।
इन्होंने अपने राजनैतिक जीवन में किसी से भेदभाव नहीं किया और ना ही किसी एक धर्म के समर्थक रहे। वर्तमान में जिस तरह से पूर्णियां के राजनैतिक हालत हैं उससे लगता है जनता राजनेताओं के कदमों में समर्पित है।
कमलदेव नरायण सिन्हा का पहला चुनाव (1951-52)
सन 1947 की आजादी के बाद पूर्णियां को विधानसभा घोषित किया गया और पहला चुनाव 1952 में हुआ जिसमें इसकी संख्या 204 थी। मतदाताओं की संख्या 50504, जिसमें महिला, पुरुष के आंकड़े चुनाव आयोग के पास उपलब्ध नहीं है।
चुनाव के दौरान 24007 (47.53% of Total voters) मतदाताओं ने मत किया जिसमें कमलदेव नरायण सिन्हा (13004), देव नाथ राय (6090) मत मिले। इस तरह इन्होंने आजादी के बाद पहला चुनाव 6954 मतों से जीत लिया।
कमलदेव नरायण सिन्हा का दूसरा चुनाव (1957)
इस चुनाव में पूर्णियां विधानसभा की संख्या 110 थी। कुल मतदाता 77347 थे जिसमें 36767 मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग किया। कमलदेव नरायण सिन्हा (22649) ने अपने प्रतिद्वंदी IND के उम्मीदवार कमला प्रसाद महतो (6164) को 16503 मतों से हरा दिया। उस दौर की सबसे बड़ी हार में से एक थी। इसलिए तरह से कमलबाबू ने अपना दूसरा चुनाव भी जीत लिया।
तीसरा चुनाव (1962)
पूर्णियां में तीसरा चुनाव, जिसमें विधानसभा की संख्या में फिर से बदलाव हुआ संख्या नंबर 130 की गयी। कुल मतदाता 94477 थे, जिसमें चुनाव के दौरान 43473 मतदातों ने अपने मत का उपयोग किया। 1952, 1957 की तरह कमल बाबू (28889) ने 1962 का चुनाव भी जीत लिया। इस चुनाव में इन्होंने SOC के उम्मीदवार Moulana Syed Moinuddin Majahiri (7804) को 21085 मतों से हराया।
चौथा चुनाव (1967)
पूर्णियां का चौथा चुनाव, इस दौरान विधानसभा की संख्या बदलकर 132 कर दी गयी थी। जिस तरह से कमलबाबू चुनाव जीत रहे थे,ऐसा लगने लगा था कि उनको हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 1967 के चुनाव में कुल मतदाता 83969 थे। मतदान के दौरान 45865 मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग किया। कमलदेव नरायण सिन्हा (14754), ने अपने प्रतिद्वंदी IND के उम्मीदवार एम सैफुद्दीन (M. Saifuddin) को 3998 मतों से हरा दिया।
पांचवा चुनाव (1969)
कल मतदाता 87869 थे जिसमें 46596 पुरुष और 41274 महिलाएं थी। मतदान में दौरान कुल मतों का 59580 ( 56.42% of total voter) उपयोग हुआ। कमल बाबू (18360) ने PSP उम्मीदवार Badiuzzama (14609) को 3751 मतों से हरा दिया। हालांकि पूर्णियां विधानसभा का पहला चुनाव था जिसमें महिलाओं, पुरुषों के मतों को अलग -अलग गिनने के साथ 1927 मतों को अवैध घोषित (Rejected) किया गया। इस तरह कमल बाबू ने लगातर 5 चुनाव जीत कर साबित कर दिया कि वह कोई छोटे नेता नहीं हैं।
इसे भी पढ़े:-
कहलगांव विधानसभा का राजनैतिक विश्लेषण | बिहार चुनाव भागलपुर |
आखिरी चुनाव (1972)
इस चुनाव में कमल बाबू NCO के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में थे। कुल मतदाताओं की संख्या 107048 जिसमें 38960 पुरुष, 46697 महिला मतदाता थीं। मतों के दौरान 62866 मतदाताओं ने भाग लिया जिसमें 38960 पुरुष, 23906 महिला मतदाता तथा 1428 मतों को चुनाब आयोग के दारा स्वीकार नहीं किया था। कमलदेव बाबू (24881) ने अपने प्रतिद्वंदी IND के उम्मीदवार Badiuzzama (20669) को 4212 मतों से हरा दिया।
इस तरह से कमल बाबू ने लगातार 6 चुनाव जीते, आज भी पुनियाँ के लोग चाहे वह किसी भी दल के हों सब उनको इज्जत और सम्मान से देखते हैं।
- भागलपुर : नाथनगर विधानसभा (158) में किस राजनैतिक दल का दबदबा रहा है, पूरा इतिहास देखिये |
- पूर्णियां : CPM नेता अजीत सरकार ने पप्पू यादव, कमलदेव सिन्हा जैसे दिग्गज नेताओं को हराया था |
- बिहार : पूर्णियां से 6 बार के विधायक कमलदेव नरायण सिन्हा का राजनैतिक विश्लेषण है।
- बिहार चुनाव 2025 : पूर्णियां विधानसभा (62) में NDA या महागठबंधन, कौन जीतेगा |
- झारखंड : संथाल आदिवासियों के घर कैसे होते है?