यदि भारत देश के इतिहास की बात करे तो ऐसे हजारों आन्दोलन हुए जिसमे कुछ आदिवासी या कुछ धार्मिक, दोनों को आन्दोलन की तरह देखा जाता है कुछ आंदोलनों को समाज तो कुछ को संस्कृति बचाने के लिए ऐसा ही यह आन्दोलन है जो पहले तो धार्मिक था लेकिन बाद में राजनैतिक रूप ले लिया हो कूका आन्दोलन उनमे से प्रमुख है जिसका समय काल 1863 से 1872 इश्वी तक का समय माना जाता है |
इसकी शुरुआत तो 1840 इस्श्वी में हो चुकी थी जिसको भगत जवाहर मल ने शरू किया था इसके बाद में इस आन्दोलन को सेन साहब आगे ले जाते है जोकि भगत जवाहर के शिष्य हुआ करते थे| इसकी शुरुआत पश्चिमी पंजाब से मानी जाती है धीरे– धीरे यह आन्दोलन आगे बढता गया और क्रातिकारी जुड़ते गये
कूका आन्दोलन के नेता :-
इस आन्दोलन को भगत जवाहर मल ने शुरू किया उसके बाद उनके शिष्य बालक सिंह ने इस आन्दोलन को हजारा से आगे बढाया और यह वो जगह है जहाँ पर इस आन्दोलन की निति और रणनीति बनाई जाती थी|
यह प्रान्त जो उत्तरी पश्चिमी सीमांत में आता था जैसे- जैसे यह आन्दोलन आगे बड़ता गया वैसे- वैसे इस आन्दोलन ने राजनीति का रूप ले लिया, इसका प्रमुख कारण अन्रेजी कानून व्यवस्था और अंग्रेजों के द्वारा किये गये अत्याचार थे |
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
कूका आन्दोलन धार्मिक से राजनैतिक होने का कारण:-
जब यहआन्दोलन शुरू हुआ उस समय अंग्रेज अधिकारियों और कानूनों का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं हुआ करता था लेकिन जब से इस आन्दोलन में ब्रिटिश कानूनों का हस्तक्षेप होने लगा उसके बाद से इस आन्दोलन ने राजनैतिक रूप ले लिया
उस समय बालक सिंह के शिष्य राम सिंह हुआ करते थे जिन्हें हम राम सिंह कूका के नाम से जानते है कहते है राम सिंह कूका को गुरु गोविन्द सिंह का अवतार माना जाने लगा |
इनके समय में इस आन्दोलन का जगह- जगह विद्रोह तेजी होने से लगा क्यों कि राम सिंह कूका के जो भी शिष्य थे उनमें से ज्यादातर अंग्रेजों से लड़ने का प्रशिक्षण लेते थे | ये शिष्य धार्मिक रूप से मजबूत तो होने ही लगे थे उसके साथ साथ युद्ध का प्रशिक्षण भी लेने लगे
जब राम सिंह कूका इस आन्दोलन को लीड कर रहे थे उस समय इनके शिष्य अंग्रेजो के उपर हावी होने लगे, वहीं दूसरी तरफ अंग्रेजों को यह बात समझ में आ गयी थी इनके ऊपर कुछ न कुछ कार्यवाही करना जरूरी है |
राम सिंह कूका 1862 में जेल:-
वर्ष 1862 आते-आते यह आन्दोलन अपने चरम सीमा पर पहुच गया, जगह –जगह सभायें होने लगी,गाँव- गाँव जागरूकता अभियान चलाया जाने लगा, उसी दौरान अंग्रेजों ने इस आन्दोलन को समाप्त करने के लिए विचार किया और अपनी रणनीति तैयार की जिससे यह आन्दोलन खत्म हो जाये, इसीलिए अंग्रेजों ने राम सिंह कूका1863 इनको नजरबंद कर दिया
नजरबंद का अभिप्राय यह है जब राम सिंह कूका को अंग्रेजों ने पकड़ा तो उनको ऐसी जगह ले जाकर बंद कर दिया जहाँ इनके बारे में पता चलना बहुत ही मुश्किल और एक समय एस ऐसा लगने लगा कि यह आन्दोलन समाप्त हो गया है या हम ये कहने यह आन्दोलन नेतृत्व विहीन हो गया |
राम सिंह कूका 1869 में जेल से रिहा:-
कुछ वर्षों के बाद वर्ष 1869 में राम सिंह कूका जेल से बहार आ गये उसके बाद फिर से इन्होने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत शुरू कर दी, यह शुरुआत फिरोजपुर से शुरू हुयी और यहाँ तक कि इन्होने इसका नाम कूका विद्रोह दे दिया
अंग्रेजों की कूकाओं के उपर दमनकारी प्रक्रिया:-
सबसे पहले कूकाओं ने वर्ष 1871 में मलोड के विद्रोह किया उसके बाद माले (कोटला) में कूकाओं ने आन्दोलन करने का केन्द्र बनाया इस तरह से कूका आन्दोलन बहुत तेजी से फैलने लगा था कहते है जब अंग्रेजों के द्वारा राम सिंह कूका के ऊपर आक्रमण किया जाता था इनके शिष्य भी उसी की तरह से जवाव दिया करते थे |
इसी दौरान अंग्रेजों ने कूका आन्दोलन के नेताओं को बहुत कूटिनीति के साथ दबाने का कार्य किया, जिसमें जो भी विद्रोही पकड़ा जाता था उसको या तो गोली से मार दिया जाता या फिर किसी ऐसी जगह लेकर फांसी पर लटका दिया जाता जिससे उस आन्दोलनकरी की निर्मम मौत हो जाये |
17 जनवरी 1872 की घटना:-
17 जनवरी 1872 की बहुत दुखद घटना है इस घटना में अंग्रेजों ने 50 से ज्यादा कूका विद्रोहियों को पकड़ कर तोप से बांध कर उड़ा दिया गया, इस तरह से अंग्रेजों ने आन्दोलन को दबाने के लिए हत्याएं की , जब हत्या हो जाती थी तो अंग्रेज उसको देखकर बहुत खुस हुआ करते थे | इस तारीख को कभी नहीं भुलाया जा सकता और अंग्रेजों का अत्याचार यहाँ तक नही रुका
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
18 जनवरी1872 की घटना:-
18 जनवरी1872 को फिर से अंग्रेजो ने 16 कूका आन्दोलनकारियों को गिरफ्तार किया ,उनके साथ भी यही जघन्य अपराध किया जो पहले 50 कूकाओं के साथ कर चुके थे|
इस तरह से अंग्रेजों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी कूका आदोलन को कैसे खत्म करने के लिए, उस समय के अम्बाला और लुधियाना डिविजन के कमिश्नरों ने इस तरह से कूकाओं विद्रोहियों की हत्याए की
1872 में राम सिंह कूका को गिरफ्तार कर रंगून निर्वासित कर दिया था इस तरह से कूका आन्दोलन को समाप्त हो दिया गया|
- Career Guidance
- Country
- Education
- india history
- Literature
- MCQ QUIZ
- NCERT का इतिहास
- Politics
- SSC CGL 2023-2024
- इतिहास के पन्ने
- झारखण्ड का इतिहास
- देश दुनियां
- प्राचीन भारत का इतिहास
- बुंदेलखंड का इतिहास
- भारतीय इतिहास
- भारतीय राजनीति इतिहास
- भारतीय राजनेता
- सामाजिक अध्यन
FAQ
इसकी शुरुआत 1863 से 1872 के बीच मानी जाती है यदि इतिहास को देखें तो इसकी शुरुआत 1840 में हो चुकी थी इसके संस्थापक भगत जवाहर मल थे उसके बाद बालक सिंह और राम सिंह कूका ने इस आन्दोलन को और तेज किया था
1863 में पहली वार अंग्रेजों ने नजर बंद किया था क्यों कि इसने शिष्यों ने अंग्रेजो के कानूनों का विरोध किया था|
बालक सिंह ने इस आन्दोलन को हजारा में स्थापित किया जो की उस समय के पंजाब प्रान्त का हिस्सा हुआ करता था उसके बाद राम सिंह कूका ने फिरोपुर , अम्बाला में आन्दोलन की सभायें की थी |
जब आन्दोलन शुरू हुआ उस समय यह एक धार्मिक आन्दोलन हुआ करता था बालक सिंह और राम सिंह के इसके प्रमुख नेता थे