इस लेख में डॉ. लोहिया की प्रमुख रचनाएँ तथा सामाजिक विचार पर अध्यन करेंगे,पिछले कुछ वर्षों में अनेक परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्नों का समावेश है |
- The caste system 1964
- Fragments of world mind 1949
- Fundamentals of a world Mind 1987
- Guilty man of India’s Partition 1970
- India, china and northern Frontiers 1963
- Interval during politics 1965
- Marx, Gandhi and socialism 1963
- Wheels of History 1955
- Salt and satyagraha (PhD. Thesis)
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डॉ. लोहिया के सामाजिक विचार:-
इनके विचारों पर कार्ल मार्क्स एवं महात्मा गांधी दोनों के विचारों का प्रभाव परिलक्षित होता है, उन्होंने इनसे अद्भुत समन्वय स्थापित किया तथा इनके श्रेष्ठतम तत्वों को समाहित करते हुए नवीन विचारों का विकास किया| इसके सामाजिक विचार निम्नलिखित हैं |
1-इतिहास का चक्रीय सिद्धांत :-
- कहते है कि इनके इतिहास के संबंध में विचार “व्हील ऑफ़ हिस्ट्री” में प्रतिपादित है, डॉ. लोहिया के अनुसार इतिहास सरल रेखा में आगे नहीं बढ़ता है, बल्कि उसकी गति चक्र के समान आता अपरिवर्तनीय होती है |
- एक राष्ट्र उन्नति के शिखर पर पहुँच सकता है तथा चक्रीय गति में वह पतन के गर्त में भी पहुँच सकता है |
- पुनः एक समय ऐसा आ सकता है कि पतन के गर्त में पहुचा हुआ राष्ट्र उन्नति करते हुए शिक्षर पर पहुँच जाये |
- इस प्रकार राष्ट्रों का उत्त्थान तथा पतन होता रहता ह, उनका कथन था कि वर्गों एवं जातियों तथा विचार प्रेरक प्रवृत्तियों एवं सभ्यताओं के मध्य संघर्ष इतिहास में तब तक पता चलता रहेगा, जब तक कि मनुष्य में बुराई समाप्त नहीं हो जाती |
2-भौतिकवाद एवं चेतना दोनों को महत्त्व :-
इन्होने कार्ल मार्क्स के द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के सिद्वांत को स्वीकार करते थे कितु चेतना को अधिक महत्वपूर्ण माना, इसके साथ- साथ वह सामान्य उद्देश्यों तथा आर्थिक उद्देश्यों दोनों के स्वतंत्र अस्तित्व को स्वीकार करते थे तथा उन्होंने भौतिकवाद में चेतनावाद जे समावेश पर बल दिया |
3-जाति और वर्गों में संघर्ष की अवधारणा :-
डॉ. लोहिया के अनुसार इतिहास में जाति और वर्गों में संघर्ष रहता है इसी से इतिहास को गति मिलती है , जातियों का रूप सुनिश्चित होता है किन्तु, वर्गों की आन्तरिक रचना शिथिल होती है, इन दोनों के बीच घड़ी में पेंडुलम के समान आंतरिक क्रियाएं होती रहती हैं | इन्ही से इतिहास को गति मिलती है, आगे डॉ. लोहिया कहते है कि जातियों में सामान्यता गतिहीनता और निष्क्रियता पाई जाती है जबकिसामाजिक गतिशीलता की प्रचण्ड शक्तियों के प्रतिनिधि होते है |
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FAQ
वर्ष 1964 में, यह रचना राम मनोहर लोहिया के द्वारा लिखी गयी थी |
वर्ष 1949 में,यह रचना राम मनोहर लोहिया के द्वारा लिखी गयी थी |
1987 ई. में, यह रचना राम मनोहर लोहिया के द्वारा लिखी गयी थी |
1970 ई. में, यह रचना राम मनोहर लोहिया के द्वारा लिखी गयी थी |
1963 ई. में, राम मनोहर लोहिया के द्वारा लिखी गयी थी |