इस विधानसभा का गठन वर्ष 1951 में हुआ था जिस तरह से शुरुआत के लगातार 4 विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने जीते उससे यह यह साबित हो गया था कि यहाँ कांग्रेस पार्टी (INC) की अच्छी पकड़ हैं। वर्ष 1952, 1957, 1962, 1967 का दौर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का था। लेकिन जिस तरह से बांका जिले से लोगों के रुझान आ रहे हैं उससे लगता हैं धोरैया विधानसभा में परिवर्तन होने की संभावना है। क्या मनीष कुमार फिर विधायक बन सकते हैं |
मनीष कुमार का पहला चुनाव
- जब इन्होंने अपना पहला चुनाव लड़ा उस समय धोरैया (Dhoraiya) विधानसभा में कुल 225893 मतदाता थे जिसमें से 121160 (including 102 Survice) पुरुष, 10773 (including 40 Service) महिला मतदाता थे।
- चुनाव के दौरान 112742 मतदाताओं ने अपने मत का उपयोग किया जिसमें से 59810 पुरुष, 52932 महिला मतदाता थे।
- मनीष कुमार ने अपना पहला 5 बार के पूर्व विधायक नरेस दास (RJD) को 8342 मतो से हराया।
- इसके बाद से नरेस दास कभी चुनाव नहीं लड़े, 90 वर्ष की उम्र में उनका स्वर्गवास हो गया लेकिन जिस तरह से जनता दल यूनाइटेड को समर्थन मिला उससे धोरैया विधानसभा में साफ बदलाव दिखा।
मनीष कुमार का दूसरा चुनाव
2015 के विधानसभा चुनाव में इन्होंने भूदेव चौधरी (BLSP) को 24145 मतों से हराया, इस विधानसभा चुनाव में मनीष कुमार को 68588 मत मिले वहीं भूदेव चौधरी 44704 पर सिमट गये थे। इस तरह से धोरैया विधानसभा में जनता दल यूनाइटेड ने अपनी पकड़ को और मजबूत किया। हालांकि वर्ष 2020 के चुनाव में भूदेव चौधरी को जीत मिली लेकिन वर्तमान में जिस तरह से लोगों का रुझान हैं वह महागठबंधन के लिए चिंता का सबब बन सकता हैं।

journalismology टीम की जाँच-पड़ताल
हमारी टीम में धोरैया के अलग-अलग क्षेत्रों, ग्राम पंचायतों में लोगों से बात चर्चा की जिसका विवरण इस प्रकार हैं..
a- क्या आप भूदेव चौधरी को जानते हैं?
हमारे एरिया के विधायक हैं एक बार देखा था जब वोट मांगने आये थे और यहाँ जनसभा की थी, उसके बाद से कभी नहीं आये। उनकी कार यहाँ से निकल जाती हैं लेकिन कभी गाँव में नहीं आये। हसते-हसते हमें क्या लेना-देना, हम लोग तो कमाते हैं और खाते हैं।
b-आपके गाँव में भूदेव चौधरी कितनी बार आये?
मैंने इस गांव में कभी नहीं देखा, ना कभी आये। आगे बताते हुये.. सर “चुनाव जीतने के कोई नेता आता है क्या, सब भूल जाते हैं फिर भूदेव जी कैसे आएंगे”।
c- आपको लगता है भूदेव चौधरी फिर से विधायक बन सकते हैं?
कभी नहीं, वैसे भी इस चुनाव में 2-3 हजार वोटों से ही जीते थे। लेकिन यदि फिर से टिकट मिलता है तो कभी नहीं जीतेंगे। भूदेव से अच्छा तो मनीष कुमार थे जो आज भी आते रहते हैं, मैं अपने क्षेत्र की बात नहीं कर रहा हूं, सर आप किसी और क्षेत्र में जाकर पता कर सकते हैं मनीष कुमार भूदेव चौधरी से बहुत अच्छे नेता हैं और मिलनसार भी।
d- आपके यहाँ से 2 बार मनीष कुमार विधायक बन चुके हैं वह किस तरह के नेता हैं?
सर, मनीष जी बहुत अच्छे नेता हैं हालांकि वह अभी सत्ता में नहीं हैं फिर भी नल, घर, गली बनने के समय आ जाते हैं, पिछले महीने भी आये थे। जब भी उनकी गाड़ी निकलती है हमेसा इस गांव में आते है, भूदेव चौधरी से बहुत अच्छे हैं।
e- लोगों ने भूदेव चौधरी को वोट क्यों दिया था?
वोट दोनों नेताओं को लगभग बराबर मिले थे लेकिन कुछ मुस्लिम क्षेत्र है उनकी वजह से भूदेव जी जीत गये और कुछ लोगों ने महागठबंधन को देखकर वोट किया था मुझे लगता है यदि फिर से मनीष कुमार को टिकट मिला तो भूदेव की तरफ लोग नहीं जाएंगे। क्योंकि भूदेव चौधरी मनीष कुमार की तुलना में अच्छे नेता नहीं हैं।
मनीष चौधरी Vs भूदेव चौधरी
हमारे रिपोर्टर ने अलग-अलग लोगों से बात को जिसमें कुछ कुशवाहा, कुछ मुस्लिम तथा बुजुर्ग लोग थे ज्यादातर लोगों का झुकाव मनीष कुमार की तरफ है कुछ लोगों ने जानकारी दी, भूदेव से मनीष कुमार अच्छे नेता हैं मिलनसार है।इसलिए ऐसा माना जा सकता है धोरैया विधानसभा में मनीष कुमार की जीत हो सकती है। हालांकि यह आंकड़ों के आधारित रिपोर्ट है।
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