वैवाहिक बलात्कार [ Marital Rape] [निबंध PDF] तर्क तथा वितर्क
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वैवाहिक बलात्कार [ Marital Rape] [निबंध PDF] तर्क तथा वितर्क

by रवि पाल
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भारत एक ऐसा देश है जहाँ अनेकों विशेषताए, जातियाँ, धर्म, समाज और सिद्धांतों  की पाठशाला का केंद्र है यदि साऊथ भारत की तरफ जायेंगे तो वहां की अलग विशेषताएँ  देखने को मिलेगी और यदि नॉर्थ भारत की तरफ जायेंगे तो वहां की अलग विशेषताएँ देखने को मिलगी लेकिन आज का लेख इससे बिलकुल अलग है जोकि वर्तमान के वैवाहिक जीवन से जुड़ा हुआ है यहां वैवाहिक बलात्कार [ Marital Rape] के बारे में समझेंगे |

वर्तमान में  वैवाहिक बलात्कार [ Marital Rape] की घटनाएँ क्यों बढ़ती जा रही है इसका क्या कारण है? क्या महिलाएं इस तरह की घटनाओं के लिए जिम्मेदार है या फिर पुरुष या आज का पढ़ा- लिखा समाज|

वैवाहिक बलात्कार [ Marital Rape] रिसर्च :-

दुनियां भर में लगभग 150 से ज्यादा देश हैं जहाँ पर वैवाहिक बलात्कार को अपराध माना गया है वर्ष 2015, भारत देश में पहली बार दिल्ली हाईकोर्ट ने एक पिटीशन जरी किया उसके कस्य वर्षों के बाद 2021-22 में दिल्ली सरकार से जबाब मांगा है कि वैवाहिक बलात्कार पर क्या निष्कर्ष निकाला है |

सबसे बड़ा सवाल वैवाहिक बलात्कार [ Marital Rape] किया जाना चाहिए या नहीं:-

वैवाहिक बलात्कार का तात्पर्य यह है कि एक पति के द्वारा अपनी पत्नी के साथ उसकी बिना इच्छा और सहमति के यौन संबंध स्थापित करने को  वैवाहिक बलात्कार कहते है |

भारत देश में IPC धारा 357 (SEC-2) के अनुसार – यदि कोई पति अपनी पत्नी के साथ उसकी इच्छा एवं सहमति के  विरुद्ध भी यौन संबंध स्थापित करता है तो उसे बलात्कार की श्रेणी के अंतर्गत नहीं माना जायेगा इस तरह का IPC की धारा 357 में लिखा हुआ है लेकिन इसके बाद कई सारे महिला संगठन / समाज संगठन तथा राज नैतिक दलों को यह बिलकुल सह नही लगा और इसके लिए आवाज उठाई है |

21वीं सदी के भारत में नवीन विचारों को ध्यान में रखते हुए / मानव की गरिमामय जीवन को ध्यान में रखते हुए / महिला सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए /इस वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी में रखा जाये|

वैवाहिक बलात्कार [ Marital Rape]के आपराधीकारण के पक्ष में तर्क :

1- महिला की गरिमा एवं स्वतंत्रता के विरुद्ध :-

एक महिला की बिना इच्छा के उसके साथ सेक्स ( सेक्सुअल रिलेशनशिप) नहीं बना सकते / इस प्रकार के संबंध स्थापित नहीं कर सकते चाहे वह आपकी पत्नि क्यों न हो, क्योंकि वह महिला उस इन्सान की पत्नि है न कि उस इन्सान की कोई वस्तु, जिसे विवाह में खरीदा गया है |

2- महिला सशक्तिकरण एवं 21वीं सदी की वैज्ञानिक सोच के विरुद्ध :-

एक तरफ भारत सरकार और सुप्रीमकोर्ट महिलाओं को पुरुषों की बराबरी का दर्जा देना चाहते है वहीं दूसरी तरफ यह भी तर्क दिया जाता है कि क्या सिर्फ पुरुषों की ही इच्छा सब कुछ होगी? लेकिन ऐसा नहीं है भारतीय संविधान का आर्टिकल 14&15 विधि की समता को स्थापित करता है तो क्या यह संविधान के आर्टिकल 14&15 का उल्लघन नहीं है|

3- पितृसत्तात्मक मानसिकता पर आधारित :-

वर्तमान में हमारे समाज के किसी भी वर्ग में महिला सशक्तिकरण तथा वैवाहिक बलात्कार पर चर्चाये होती है तो पुरुष को लगता है कियह क्या बकबास हो रही है, महिलाओं की इच्छा का कोई बर्चस्व नहीं है इस तरह से वहां पितृसत्तात्मक की मानसिकता झलकने लगती है|

2013 में गठित जे. एस. मूर्ति द्वारा भी वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक श्रेणी में सम्मिलित करने की सिफारिस की गयी थी |

पिछले कुछ वर्षों में महिला की गरिमा एवं स्वतंत्रता, महिला सशक्तिकरण तथा पितृसत्तात्मक मानसिकता पर जित्न्ने भी डिबेट और रिसर्च हुए उन सभी में पाया गया कि महिला की अपनी स्वमित्ता है और वह कोई वस्तु नहीं है|

वैवाहिक बलात्कार [ Marital Rape]के आपराधीकारण के विपक्ष में तर्क:-

1- भारतीय समाज की “विवाह” जैसी संस्था का विघटन :-

जब वैवाहिक बलात्कार पर डिबेट हो रहा था तब सबसे पहले सरकर ने तर्क दिया कि यदि इसको अपराध की श्रेणी में रख दिया तो विवाह जैसे सामाजिक रिश्ते/ गठबंधन का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा तथा तलाककी संख्याएं बड़ जाएँगी और देश की सामाजिक शांति भांड होने का खतरा हो जायेगा |

2- महिलाओं द्वारा दुरूपयोग की सम्भावना :-

सरकार ने दूसरा तर्क दिया यदि इस तरह का कानून आ गया तो महिलाएं इसका दुरूपयोग करना शुरू कर देंगी , उहाहरण के लिए महिलाओं को घरेलू हिंसा के संरक्षण संबंधी 2005 के कानून के दुरूपयोग के मामले बढ़ने लगेंगे |

3- दाम्पत्य जीवन एक निजी एवं पति- पत्नी से सम्बंधित मामला :-

सरकार का तीसरा तर्क यह था भारतीय समाज में वैवाहिक जीवन एक दाम्पत्य जीवन का निजी मामला है अतः साक्ष्यों तथा गवाहों और आरोपियों के आने जाने की प्रबल सम्भावना हो जाएगी|

4- न्यायालय पर अतरिक्त बोझ :-

सरकार का एक और तर्क था की यदि यह कानून बन जाता है तो आये दिन पति- पत्नी के झगड़े सामने आयेंगे और इससे न्यायालयों  पर अतरिक्त बोझ आएगा |  

यदि आपको इसी तारह के किसी भी विषय पर निबंध की PDF चाहिए तो आप हमारी इमेल पर संपर्क कर सकते है|

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