किसी भी परिवार में यदि पति अपने आपको पत्नी के स्वभाव के अनुसार ढाल ले अथवा पत्नी अपने स्वभाव, अपनी चाहत और अपने जीवन के उद्देश्य को पति की चाहत के अनुरूप बना ले तो ऐसा परिवार किसी भी हाल में हो, वह अपने मन में सुख- चैन महसूस करता है।आज के इस लेख में ऐसे ही महिला क्रांतिकारियों की दांस्ता बयाँ करेंगे जिन्होंने भारत देश की आजादी में आपना सब कुछ कुर्बान कर दिया, इस लेख में सबसे पहले अमजदी बेगम के बारे में लिखंगे उसके बाद बेगम मारकाती की दांस्ता बयाँ करेंगे
रामपुर के सम्मानित परिवार की ऐसी ही एक अमजदी बेगम ने भी अपने स्वभाव, अपनी इच्छाओं और जीवन के उद्देश्य को अपने पति मौलाना मुहम्मद अली जौहर के विचारों के अनुरूप ढाल लिया था। इसी कारण उन्हें अपने पति के साथ देश की आज़ादी के आन्दोलनों में हिस्सा लेना कोई कठिन काम नहीं लगता था।
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
अमजदी बेगम और उनके पति मौलाना मुहम्मद की क्रांतिकारी सोच:-
हालांकि जब भी मौलाना मुहम्मद अली जौहर पर कोई परेशानी आती, तो उसका सीधा प्रभाव अमजदी बेगम पर भी पड़ता था। चाहे उनके गिरफ़्तार होकर जेल जाने का मामला हो या किसी आन्दोलन के लिए बाहर जा कर रहना हो। अमजदी बेगम की तनहाई और पारिवारिक कार्यों में आए दिन बाधाओं का आना ही उनके लिए परेशानी का कारण था। मौलाना मुहम्मद अली जौहर देश की आज़ादी के एक बड़े नेता होने के कारण बहुत व्यस्त रहते थे। कभी ख़िलाफ़त मूव्मेंट की गतिविधियों के कारण तो कभी किसी अन्य आन्दोलन अथवा सत्याग्रह में भाग लेने के कारण।
यहां तक कि जब अंग्रेज़ शासन उनको गिरफ़्तार करके जेल पहुंचा देता, उस समय भी अमजदी बेगम हाथ पर हाथ रखे घर में नहीं बैठती थीं। वह इस बात को मानती थीं कि देश की आज़ादी की लड़ाई में अपने पति का सहयोग करना एक अलग बात है और स्वयं उसके आन्दोलन को चलाना अलग है।उन्होंने अपने पति मौलाना मुहम्मद अली जौहर के गिरफ़्तार रहने की स्थिति में जलसों को सम्बोधित करने के लिए गांधी जी के साथ यात्रा की।
मौलाना मुहम्मद के साथ अमजदी बेगम का स्वदेशी आन्दोलन में सहयोग:-
अमजदी बेगम स्वदेशी आन्दोलन से सहमत थीं। देशी वस्तुओं को खरीदना उनको अपने उपयोग में लाना वह ज़रूरी समझती थीं। उसके महत्व को समझाने के लिए उन्होंने अपने पर्दे का लिहाज़ रखते हुए मर्दों और महिलाओं को अनेकों स्थानों पर जाकर समझाया। वह विदेशी कपड़ों और वस्तुओं को उपयोग में लाने को अच्छा नहीं समझती थीं। उन्होंने अपनी तक़रीरों में चर्खा कातने और खादी पहनने पर ज़ोर दिया। अवाम उनकी तक़रीर सुन कर प्रभावित होती और समझाने पर समझते थी।
आज़ादी के विभिन्न आन्दोलनों में मौलाना मुहम्मद अली जौहर के बगैर भी अकेले ही निडर होकर हिस्सा लेती थीं। उन्होंने ख़िलाफ़त मूमेंट के लिए जगह-जगह घूम कर करोड़ों रूपये की राशि जमा की। उन्होंने अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तरह देश सेवा करके आज़ादी के आन्दोलनों को सफल बनाने के प्रयास किए। अमजदी बेगम ने बी-अम्मा के साथ भी, जो कि उनकी सास थीं, आज़ादी की सभाओं में शिरकत की। अमजदी बेगम की आज़ादी के लिए सेवाओं को इतिहास में सदैव याद रखा जायेगा|
बेगम मारकाती का इतिहास:-
इतिहास की अलग-अलग पुस्तकों में मुसलमान पुरुषों एवं महिलाओं के जंगे आजादी में आर्थिक सहायता देने के संबंध में बहुत क़िस्से पाए जाते हैं। बेगम भारताती और उनके पति अब्दुल मुजीब मारकाती द्वारा दिये गए सहयोग पता चलता है।भारत देश की आज़ादी के लिए संघर्ष जारी था। प्रत्येक बड़ी एवं छोटी हैसियत के व्यक्ति आज़ादी के आन्दोलनों में सहयोग देने के लिए तैयार रहते थे। महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस भी आज़ाद हिन्द फ़ौज द्वारा फ़िरंगियों से निपट रहे थे।
उन्हें आज़ादी की गतिविधियां चलाने के लिए धन की ज़रूरत रहती थी। नेता जी के साथ आज़ादी की मुहिम में लगे उनके दो वफ़ादार मुसलमान साथी, आबाद खां और र मुहम्मद शाह की मदद से वह चन्दा इकट्ठा करने रंगून पहुंचे।उस समय देश से सच्ची मुहब्बत करने वाले, आज़ादी से बढ़ कर किसी भी बीज की कोई क़ीमत नहीं समझते थे। वे वर्षों की मेहनत के बाद ख़ून और पसीने की अपनी गाढ़ी कमाई को देश की ख़ातिर मिनटों में लुटाने को तैयार रहा करते थे।
बेगम मारकाती की क्रांतिकारी दास्ताँ:-
एक हिन्दुस्तानी मुसलमान व्यापारी अब्दुल मुजीब मारकाती, जो कि लम्बे समय से रंगून में ही अपना कारोबार जमाए हुए थे, वह और उनकी बेगम मारक़ाती सच्चे देश प्रेमी और आज़ादी के मतवाले थे। जब नेताजी रंगून पहुंचे और उन्होंने आज़ादी के संघर्ष में रक़म की अपील की तो बेगम मारकाती और उनके पति ने नेताजी के चन्दे की अपील को बहुत सम्मान दिया। अब्दल मुजीब मारकाती ने रंगून सिटी हाल में नेताजी को देश की आज़ादी की गतिविधियों के संचालन के लिए एक करोड़ चौंतीस लाख रूपये की बड़ी धन राशि एक मुश्त नगद दान की।
उस समय बेगम मारक़ाती भी अपने पति से पीछे नहीं रहीं। उन्होंने भी देश के लिए अपनी दरियादिली का सुबूत देते हुए अपने बदन पर पहने हुए हीरे जवाहरात के क़ीमती सभी ज़ेवर उतार कर नेता जी को भेंट कर दिये। एक अन्य मौक़े पर भी आज़ादी के संघर्ष में चन्दे के लिए नेताजी के गले में डाले गये फूलों के हारों नीलामी हुई। उस समय भी बेगम मारक़ाती ने उन फूलों के हारों को लाखों रूपयों में खरीद कर, वह पूरी राशि नेता जी को भेंट करदी | इसके अलावा भी अब्दुल मुजीब मारक़ाती एवं बेगम मारक़ाती ने अपने असर से मेमन बिरादरी से नेता जी को करोड़ों रूपयों का चन्दा दिलवाया।
बेगम मारक़ाती और उनके पति की भारत देश के प्रति मुहब्बत सुभाष चन्द्र बोस बहुत प्रभावित :-
उनके द्वारा इतनी बड़ी धन राशि के योगदान के लिए नेता जी ने ख़ुश हो कर कहा था कि-“मेरे भाई असली हिंद सेवक तो आप दोनों ही हैं। इस देश के मुसलमान पुरुष अब्दुल मुजीब मारकाती एवं मुस्लिम महिला बेगम मारक़ाती द्वारा दिये गए सहयोग एवं बलिदान उनके देश प्रेम और वफ़ादारी का ऐसा कारनामा है जो कि देशवासियों को देश पर अपना सब कुछ निछावर करने की हमेशा सीख देता रहेगा।
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
- Career Guidance
- Country
- Education
- india history
- Literature
- MCQ QUIZ
- NCERT का इतिहास
- Politics
- SSC CGL 2023-2024
- इतिहास के पन्ने
- झारखण्ड का इतिहास
- देश दुनियां
- प्राचीन भारत का इतिहास
- बुंदेलखंड का इतिहास
- भारतीय इतिहास
- भारतीय राजनीति इतिहास
- भारतीय राजनेता
- सामाजिक अध्यन