हाल ही के दिनों जिस तरह आये दिन अध्यादेश को लेकर समाचार पत्रों में खबरे तथा न्यूज चैनलों में डिबेट को देखते हुए, प्रत्येक भारतवाषी का यह कर्तव्य है कि इसके बारे में जानकारी की जाये ताकि देश में क्या चल रहा है उसके बारे में पता चल सके इसीलिए इस लेख में अध्यादेश और विधेयक के बारे में जानेंगे जिसको अंग्रेजी में Ordinance Bill कहा जाता है इसके साथ- साथ यह भी जानेगे कि इस में क्या अंतर होता है |
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अध्यादेश चर्चा में क्यों रहता है :-
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) के प्रमुख कार्यकाल को बढ़ाने के लिए अध्यादेश जारी किये गये है| पहले इन पदों की नियुक्त 2 वषों के लिए की जाती थी लेकिन नये अध्यादेश के मुताबिक 2 वर्षो के बाद अधिकारीयों को 1-1 वर्ष करके कुल 3 बार एक्सटेंशन दिया जा सकता है |इस तरह का कोई भी सरकार कानून लाना चाहती है तो वह अध्यादेश का कानून बनाकर लाती है |
अध्यादेश क्या होता है :-
संविधान के अनुच्छेद -123 के मुताबिक राष्ट्रपति और 213 के तहत राज्यपाल इसे जारी कर सकते है तथा संसद और विधानमंडल के विश्रांतिकाल में ही आदेश जारी हो सकते है | अध्यादेश का प्रभाव व शक्तियाँ संसद से बने कानूनों की तरह ही होती है हालाकि इनकी प्रकृति अल्पकालीन होती है, इसको आसान भाषा में इस तरह समझते है |
भारतीय संसद के द्वारा कानूनों को बनाया भी जाता है तथा पुराने कानूनों में संसोधन भी किया जाता है लेकिन जब संसद का सत्र नहीं चलता लेकिन भारत सरकार किसी जरुरी कानून लागू करना चाहती है ऐसी स्थित में राष्ट्रपति को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिस पर कानून लागू करने का अधिकार प्राप्त है यही कानून अध्यादेश कहलाता है |
अतः हम कह सकते है वे कानून जिसे राष्ट्रपति, मंत्रिमंडल की सिफारिस पर लागू करता है अध्यादेश कहलाता है |
राष्ट्रपति को Ordinance Bill जारी करने की शक्ति :-
देश का प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्वारा जारी करने की शक्ति एक महत्वपूर्ण विधायी शक्ति है | यदि संसद के दोनों या किसी किसी एक सदम में सत्र नही चल रहा और राष्ट्रपति को समाधान हो जाये कि तुरंत कार्यवाही जरुरी है तो वह अध्यादेश जरी कर सकता है |
लेकिन राष्ट्रपति की संतुष्टि को असदभाव के आधार पर चिनौती दी जा सकती है यानी यह न्यायिक समीक्षा के अधीन है तथा राष्ट्रपति किसी भी अध्यादेश को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद् की सलाह पर ही जारी अथवा वापस ले सकते है |
Ordinance Bill की अवधि/ सीमा :-
सत्रावसान की अवधि में जारी संसद की पुनः वैठक होने पर दोनों सदनों के सामने रखा जायेगा | अगर संसद उन कानूनों को पारित कर देती है तो वह कानून बन जाता है इसके साथ- साथ यदि संसद कोई कारवाही नहीं करती तो संसद की दोबारा बैठक के 6 हफ्ते बाद यह निरस्त हो जायेगा/ किया जायेगा |
- इसको लागू करने के बाद न्यूनतम 6 सप्ताह, और अधिकतम 6 माह, तक प्रभावी रहता है |
- यदि संसद इसे अनुमति नही देती है तो 6 हफ्ते के पहले समाप्ति संभव है |
- राष्ट्रपति किसी भी समय अध्यादेश को वापस ले सकता है |
- अध्यादेश पूर्व वत भी हो सकता सकता है यानी पिछली तिथि से भी प्रभावित किया जा सकता है |
- इसके जरिये किसी भी पूर्व कानून को संसोधित या खत्म किया जा सकता है |
- इसके जरिये किसी कर विधि को भी बदला या संसोधित किया जा सकता है |
- संविधान संसोधन के लिए अध्यादेश जारी नहीं किया जा सकता है |
- सामान्य स्थित में राष्ट्रपति संघ और समवर्ती सूची के विषयों पर इस तरह का कानून जारी कर सकते है |
राज्यपाल को भी जारी करने की शक्ति:-
राष्ट्रपति के ही समान राज्यों के संबंध में राज्यपाल को भी अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्राप्त है लेकिन वह राष्ट्रपति के अनुदेशों के बिना निम्न 3 मामलों में अध्यादेश जारी नहीं कर सकता जोकि निम्नलिखित है :-
- ऐसा विधेयक जिसे राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत करने के लिए करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी जरुरी हो |
- यदि वह समान उपबंधो को समान विधेयक को राष्ट्रपति के विचार हेतु रखना आवश्यक समझता हो|
- यदि कोई ऐसा अधिनियम हो जो राष्ट्रपति की स्वीकृति के बिना अवैध हो जाये |
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संविधान के अनुच्छेद -123 के मुताबिक राष्ट्रपति और 213 के तहत राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकते है|