यदि हम मध्य प्रदेश के इतिहास का रिसर्च करेंगे तो इस प्रदेश में आजादी से पहले और आजादी के बाद बहुत से नेता और समाज सुधारक हुए है उसमें से चाहे अब्दुल गनी की बात हो या पंडित रविशंकर शुक्ल हिंदुस्तान की बहुत ही प्रसिद्ध नेता व स्वतन्त्रता सेनानी थे उन्होंने हिंदुस्तान की आजादी से पहले और आजादी के बाद बहुत योगदान दिए आज का लेख मध्य प्रदेश के प्रथम मुख्यमन्त्री और समाज सुधारक पंडित रविशंकर शुक्ल [निबंध PDF] [MPPCS] के ऊपर है|
जब भारत देश आजाद नहीं हुआ था उस समय भारत छोडो आन्दोलन में बड़-चड़कर योगदान दिया था उनके इस योगदान को याद करते हुए भारत सरकार व राज्य सरकार ने उनके सम्मान में पुरुस्कार व उनकी मूर्ति स्थापित की थी |
इसके साथ- साथ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित विश्व विद्यालय का नाम पंडित रवि शंकर शुक्ल के नाम पर है जिसकी स्थापना 1964 में उच्चशिक्षा विभाग द्वारा किया गयी थी छतीसगढ़ शासन ने पंडित रविशंकर शुक्ल जी स्मृति में सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षिक क्षेत्र में अभिनव प्रत्नों के लिए इनका सम्मान स्थापित किया जोकि वर्ष 2001 में प्रारंभ किया गया था जिसको सामान्य प्रशासन द्वारा दिया जाता है |
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पंडित रविशंकर शुक्ल का प्रारंभिक जीवन :-
इनका जन्म 2 अगस्त 1877 में मध्य प्रदेश (मध्य प्रान्त) के सागर नामक शहर( वर्तमान सागर जिला) में हुआ था इनके पिता का नाम पंडित जगन्नाथ शुक्ल और माता का नाम श्रीमती तुलसी देवी था कहते है इनके पिता शिक्षा के लिए बहुत शक्त हुआ करते थे इसीलिए रविशंकर शुक्ल का चार कर्ष की आयु में सागर स्थित “सुन्दरलाल पाठशाला” में दाखिला कराया था इस पाठशाला में आठ वर्ष की आयु प्रारभिक शिक्षा ग्रहण की|
पंडित रविशंकर शुक्ल की शिक्षा:-
रवि शंकर शुक्ल ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद माध्यमिक शिक्षा के लिए सागर जिले के लिए उच्च शिक्षा संस्थान में दाखिला लिया इनके पिता के भाई गजाधर शुक्ल के साथ राजनन्द गाँव आ गये जहाँ उन दोनों भाइयों ने बंगाल नागपुर कॉटन मिल (Bangal Nagpur Cotton Mill) में काम करने लगे | कुछ समय मिल में काम करने के बाद इनके पिता रायपुर चले गये जहाँ रविशंकर ने अपनी हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद इन्होने इंटर की परीक्षा जबलपुर के रॉबर्टसन कालेज से उत्तीर्ण की, इस समय इनकी उम्र मात्र 17 वर्ष थी नागपुर में पढ़ाई के दौरान शुक्ल का राष्ट्रीय आन्दोलनों से लगाव हो गया |
1989 में आयोजित 13th कालेज अधिवेशन में भाग लेने के लिए अपने शिक्षक के साथ अमरावती गये तथा 1899 में नागपुर के “हिसलोप कालेज” से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और नागपुर से ही इन्होने एल. एल. बी (LLB) की परीक्षा भी दी थी | शिक्षा पूरी होने के बाद रविशंकर शुक्ल सरायपाली चले गये और सुखा राहत कार्य का निरीक्षण कार्य करने लगे, उनकी ईमानदारी और कर्तब्य के लिए उनकी सराहना भी की गयी|
रविशंकर शुक्ल का समाज सेवा के प्रति झुकाव :-
इसके साथ- साथ इनको पदोन्नत कर नायाब तहसीलदार बना दिया गया | 1901 में उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर जबलपुर के “ हितकारिणी स्कूल (Hitkarini School) में अध्यापन का कार्य शुरू कर दिया इसके एक वर्ष के बाद 1902 में भवानी देवी से इनका विवाह करा दिया गया, विवाह के बाद वे खैरागढ़ आ गये और इनकी नियुक्ति एक हाई स्कूल में प्राचार्य के पद पर हो गयी |
1907 में रविशंकर शुक्ल ने राजनांदगांव में वकालत शुरू की और कुछ ही महींनो बाद वे रायपुर आकर वकालत करने लगे तथा इसके कुछ वर्षों बाद, 1910 में प्रयाग कांग्रेस अधिवेशन में में भाग लिया, वर्ष 1912 में इनके प्रयासों से कान्यकुब्ज महासभा की स्थापना हुयी, रायपुर में कान्यकुब्ज छात्रावास की स्थापना की तथा कान्य कुब्ज मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया |
वर्ष1919 में जलियांवाला बाग़ हत्याकांड से आहत होकर उन्होंने अपना सम्पूर्ण समय देश को आजाद कराने के लिए लगाने का संकल्प किया इसके साथ- साथ महात्मा गाँधी के द्वारा चलाया गया स्वदेशी आन्दोलन में सागर जिले के साथ-साथ जबलपुर अहम भूमिका निभाई| जब महात्मा गाँधी ने बुंदेलखंड का दौरा किया तो इन्होने उसको अपनी पत्रिका में अच्छे से प्रकाशित किया ,इन्होने अंग्रेजी शिक्षा का बहिष्कार एवं राष्ट्रीय शिक्षा के प्रचार- प्रसार के लिए वर्ष 1921 जनवरी रायपुर में राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना करवाई|
रविशंकर शुक्ल का राजनैतिक सफ़र :-
वर्ष 1921 में अखिल भारतीय कांग्रेस महासमिति के सदस्य बने और रायपुर जिला परिसद के सदस्य के रूप में 1921 में ही चुने गये, कुछ महीनों के बाद रायपुर जिला सम्मेलन में कुछ अंग्रेज अधिकारियों को प्रवेश न देने के लिए 1922 में गिरफ़्तारी के बाद जेल भी जाना पड़ा था| ऐसा भी कहा जाता है इन्होने अपने स्कूल में वंदेमातरम् का गायन और राष्ट्रीय झण्डे को फहराना अनिवार्य कर दिया था
वर्ष 1924 में रविशंकर शुक्ल पहली वार प्रांतीय विधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए इसके बाद 1927 से 1936 तक रायपुर जिला के अध्यक्ष रहे, इसी दौरान गांधी जी द्वारा चलाया जा रहा नमक सत्याग्रह तथा सविनय अवज्ञा आन्दोँलन का रायपुर में नेतृत्व किया जिसके चलते इनको दूसरी बार जेल भी जाना पड़ा था |
वर्ष 1935 –36 में बुनियादी शिक्षा सिद्धान्त के अनुरूप विद्यामंदिर योजना शुरू की तथा इसका पहला शिलान्यास महात्मा गाँधी के द्वारा कराया गया था इसके साथ- साथ राजनैतिक व सामाजिक चेतना जागृत करने के लिए महाकौशल सप्ताहिक पत्रिका की शुरुआत की |
15 अगस्त 1947 में रविशंकर शुक्ल को मलकापुर रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया इसके बाद इन्होने सीताबर्दी किले (नागपुर) में झंडा पहराया |1956- 47 में विधान सभा में मध्यप्रान्त ( वर्तमान का मध्य प्रदेश) में कांग्रेस को भारी बहुमत से जीत मिली और पंडित रविशंकर शुल्क जी को सीपी बरार (मध्य प्रदेश व आस पास का क्षेत्र) के प्रधानमत्री बने उस समय मध्य प्रान्त के प्रधानमंत्री को वर्तमान का मुख्यमंत्री के रूप में देखा जाता था |
जब भारत देश आजाद हो गया उसके बाद 1956 तक मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्री रहे तथा नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश के पुनर्गठन के बाद (नये राज्य बनने के बाद), पंडित रविशंकर शुक्ल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे |
31 दिसंबर 1956 को दिल का दौरा करने से इनका देहांत हो गया |
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