हिन्दुतान की आजादी से पहले बहुत से आंदोलन हुए चाहे प्रान्तों की बात करें तो कूका आंदोलन, मध्य प्रान्त की बात करें तो जल, जगल, और जमीन बचाओ आंदोलनऔर यदि बिहार प्रान्त (जब बंगाल और उड़ीसा का हिस्सा था) मुंडा आंदोलन आदि, इस तरह के बहुत से आंदोलन हुए लेकिन इस आंदोलनों का कुछ न कुछ कारण था | जब बंगाल का विभाजन हुआ उस समय राष्ट्रवाद अपने चरम पर था क्योंकि एक तरफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन हो रहे थे वहीं दूसरी तरफ गरम दल के नेता आन्दोलन करने में लगे हुए थे इस लेख में बंगाल का विभाजन पर चर्चा करेंगे जो 1905 ई. में हुआ था|
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बंगाल विभाजन की पृष्टभूमि :-
भारत के इतिहास में बंगाल का विभाजन 2-2 बार हुआ है क्यों कि बंगाल एक ऐसा प्रान्त था जिसने क्रांतिकारियों से लेकर दार्शनिक, इतिहासकार पैदा किये है इसीलिए गवर्नर जनरल लार्ड कर्जन हमेसा से चाहता था कि इसका बटवारा किया जाये ताकि एक राजनीति और हिन्दू- मुस्लिम- बंगाली के भाईचारे को खत्म किया जा सके| बंगाल, बिहार रही और छतीसगढ़, उड़ीसा और असम के कुछ हिस्से बंगाल प्रेसीड़ेंसी में सामिल थे रिसर्च यह बताते है कि 78.5 मिलियन निवासियों के साथ, यह ब्रिटिश भारत का सबसे बड़ा प्रान्त था |
कई वर्षों तक, ब्रिटिश अधिकारियों ने शिकायत की, कि देश के विशाल आकर के कारण प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना मुश्किल हो गया और इसके कारण गरीब पूर्व हिस्से की उपेक्षा हुयी| विभाजन का सुझाव केवल प्रशासनिक कारणों से दिया गया था इसलिए कर्जन का इरादा उड़ीसा और बिहार को विभाजित करने और बंगाल के पंद्रह पूर्वी जिलों को असम में मिलाने को था | पूर्वी प्रान्त की राजधानी ढाका थी और इसकी आवादी 31 मिलियन थी, जिसमें से अधिकांस मुस्लिम थे| विभाजन के बाद कर्जन ने घोषणा की उनका मानना है कि नया प्रांत मुस्लिम है लेकिन लार्ड कर्जन हिन्दुओं और मुसलमानों को अलग करने के बजाय बंगालियों को बाँटना चाहते थे |
वहीं दूसरा प्रान्त उड़ीसा, बिहार और पश्चिमी जिलों से बना था| पश्चिमी बंगाल के उड़ीसा और बिहार में विलय के परिणाम स्वरूप बंगाली भाषी अब अल्पसंख्यक हो गये है विभाजन का मुसलमानों ने समर्थन किया तथा उस समर्थन का उनका नेतृत्व ढाका के नवाब सल्लिमुल्लाह ने किया था जबकि हिंदुओं ने इसका विरोध किया |
बंगाल विभाजन के कारण:-
उस समय भारत में ब्रिटिश औपनिवेशक प्रशासन लॉर्ड कर्जन द्वारा 15 अक्तूबर, 1905 बंगाल का विभाजन किया गया, बंगाल को प्रशासनिक क्षेत्रों में विभाजित किया गया था इसका आकर फ़्रांस जितना ही था लेकिन जनसंख्या अधिक थी|
ऐसा माना जाता था कि पूर्वी क्षेत्र की कम सराहना की जाती थी और उसका प्रशासन बहुत बुरा था | प्रान्त को विभाजित करके, पूर्व में एक मजबूत सरकार बनाई जा सकती है जिसे स्थानीय रोजगार और शैक्षिक अवसरों में वृद्धि होगी|
कर्जन द्वारा बंगाल के विभाजन की घोषणा के बाद क्षेत्र में काफी राजनैतिक उथल-पुथल मच गयी, इसमें कई बंगालियों का मानना था कि यह अलगाव हमारे राष्ट्र पर एक भद्दा प्रहार मात्र था| परिणामस्वरूप, बंगाल के संघ के लिए शोर मच गया इसी दौरान रवीन्द्रनाथ टैगोर का यह प्रसिद्ध गीत “आमार सोनार बांग्ला” बंग्लादेश के राष्ट्रगान और ध्वज के रूप में कार्य करता है|
प्रांत को नस्लीय आधार पर विभाजित करने के इस प्रयास की भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने निंदा की थी थी , वहीँ बहुसंख्यक बंगालियों ने इस प्रकार का विरोध किया क्योंकि इससे उनकी भाषा उनके प्रांत में अल्पसंख्या थी और उनका उनका मानना था कि यदि वे नये प्रान्त में बहुसंख्यक बन गये तो इससे उनके शैक्षिणक, आर्थिक तथा नैतिक हितों में सुधार होगा|
बंगाल विभाजन के प्रभाव :-
कर्जन की विभाजन की घोषणा के बाद क्षेत्र में तीव्र राजनीति उथल- पुथल मच गयी कई बंगालियों ने विभाजन को मातृभूमिके अपमान के रूप में देखा| बंगाल की एकता के लिए भारी मात्रा में समर्थन दिखाया गया| रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखित प्रसिद्ध गीत “ आमार सोनार बंग्ला” वाद में बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रूप में काम आया|
इस तरह के विभाजन का मूल उद्देश्य दो समुदायों के बीच तोडना और राष्ट्र की राष्ट्रीयता और एकता को कमजोर करना था, विभाजन के दिन से पहले बहुत आंदोलन हुआ था तथा विभाजन की बरसी पर लोगों ने शोक जताया| टैगोर ने हिन्दुओं से वरोध स्वरूप एक-दुसरे को रखी बांधने का आग्रह किया|
इसके बाद से मुस्लिम लीग की स्थापना होती है उसके बाद स्वदेशी आन्दोलन शुरू होता है, फिर महात्मा गाँधीजी भारत, दक्षिण अफ्रीका से वापस आते हैं और लखनऊ का समझौता होता है यह सब के सब बहुत महत्वपूर्ण इतिहास के पन्ने है जिसे वर्तमान के विद्यार्थियों तथा पाठकों को पढ़ना अति आवश्यक है|
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FAQ
लॉर्ड कर्जन द्वारा 15 अक्तूबर, 1905 बंगाल का विभाजन किया गया था