इसका मुख्य उदेश्य यदि भारत के वर्तमान को जानना और समझना है तो इसके लिए भारत के निवासियों को वहां की संस्कृति और सभ्यता को जानना बहुत महत्वपूर्ण है यह भी जाना जाता है यदि कोई समस्या उत्त्पन्न हुयी है तो वह किस लिए उत्त्पन्न हुयी ,उसका निवारण किस तरह से किया जा सकता है, इन सबके अध्यन के लिए भारत का इतिहास पड़ना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है इसीलिए भारत का प्राचीन इतिहास बहुत महत्त्वपूर्ण है |
उदाहरण के लिए यदि आपको दिल्ली में बसे लाल किले के बारे में जानना है तो सबसे पहले उसका इतिहास जानना जरुरी है , इसीलिए उपरोक्त सन्दर्भ में बताया गया है यदि भारत के वर्तमान को समझना है तो भारत के भूतकाल को समझना बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए भी प्राचीन भारत का इतिहास बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है |
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प्राचीन भारत का महत्त्व:-
इसका उद्देश्य मानव समुदाय से है हम जानते है मानव समुदायों ने हमारे देश में प्राचीन संस्कृतियों का विकास कब और कैसे और कहाँ पर किया, इसके साथ- साथ यह भी बतलाता है उन्होंने कृषि की शुरुआत कैसे की, जिससे मानव जीवन सुरक्षित और सुस्थिर हुआ इस तरह से प्राचीन भारत के इतिहास के महत्त्व को समझा जा सकता है|
सभ्य समाज की उत्पत्ति:-
मानव समाज के लिए कृषि की शुरुआत एक क्रांतिकारी कदम हुआ करता था जब तक इसकी शुरुआत नहीं हुयी थी तब तक मानव समाज जंगल में रहने के साथ- साथ, दूसरी वस्तुएं खाया करता था
यहाँ तक कि जब से कृषि की शुरुआत हुयी तब से मानव जाति एक जगह स्थिर हो गया तभी से उसने खेती में अपना इंटरेस्ट जाहिर किया, कोई समुदाय तब तक सभी नहीं समझा जाता जब तक वह लिखना न जनता हो
आज भारत में विभिन्न प्रकार की लिपियाँ प्रचालन में है उन सबका विकास प्राचीन लिपियों से हुआ है वर्तमान की लिपियों को या उनकी भाषाओँ या उनकी संस्कृति को समझना चाहते है तो इसके लिए भी आपको इतिहास समझना और पड़ना पड़ेगा|
प्राचीन भारत में अनेकता में एकता का महत्त्व:-
भारत वर्ष अपनी भौगोलिक,धार्मिक, भाषाई संस्कृति आदि विभिन्ताओं के होते हुए भी एकता के सूत्रमें बंधा गया है इसका उत्तर कहाँ मिलेगा? यदि आप इसको भी समझना चाहते है तो इसका उत्तर भी प्राचीन भारत के इतिहास के क्रमिक अध्यन से मिलेगा |
भौगोलिक,धार्मिक, भाषाई संस्कृति:-
भारत में और भी सभ्यताएं थी लेकिन वो सभ्यताएं वक्त के साथ समाप्त हो गयी लेकिन भारत देश की सभ्यताएं आज भी हमे दिखाई देती है इसीलिए भारत देश की सभ्यता को इतना महत्त्व दिया जाता है
अलग-अलग प्रकार की संस्कृतियाँ, अलग अलग प्रकार भी भाषाएँ तथा अलग-अलग प्रकार के धर्म होने के बाद भी भारत देश एक सूत्र में बंधा हुआ है क्यो कि इस देश में प्राचीन भारत के इतिहास को बहुत महत्त्व दिया जाता है|
प्राचीन भारत दक्षिण की द्रविड़ और तमिल भाषाओँ के शब्द 1500-500 ईसा पूर्व के वैदिक ग्रंधो से मिलते है कहा जाता है, संस्कृति सभी भाषाओँ की जननी है लेकिन बहुत से शब्दों का चलन द्रविड़ और तमिल भाषाओँ में अध्यन किया जाता है
इसी प्रकार पाली भाषा और संस्कृति के बहुत से शव्द लगभग 300 ईसा पूर्व से 500 इश्वी के ‘सगम’ नाम से प्रसिद्ध प्राचीनतम तमिल ग्रंथों से मिलते है
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FAQ
भारत में विभिन्न धर्म हिन्दू , जैन और बौध आदि का उदय हुआ और एक आर्य, भारतीय आर्य, शक, हूण, कुषाण, तुर्क आदि प्रजातियों ने इसे अपना घर बनाया और इनका उदय भी भारत देश में माना जाता है इनमे से बहुत सी प्रातियाँ भारत में आई और उन्होंने यहाँ पर सबसे सुरक्षित मसूस किया
इस समय भारत के लोग इसकी एकता के लिए प्रयत्नशील रहे तथा राजाओं ने हिमालय से कल्याकुमारी तक तथा पूर्व में ब्रहमपुत्र घाटी से पश्चिम में सिंघ तक अपना राज्य फैलाकर इसको एकता के सूत्र में बांधा जिनमे से कई ऐसे राजा हए है उनमें से सबसे प्रमुख राजा चक्रवर्तिन एक थे |
ईसा पूर्ण तीसरी शताब्दी में ‘महान सम्राट अशोक’ ईसा की चौथी शताब्दी में ‘समुद्रगुप्त’ और सातवीं शताब्दी में ‘पुलकेशिन’ व ‘हर्षवर्धन’ आदि राजाओं ने अपने साम्राज्यों का उल्लेखीय विस्तार किया इसके शासन काल में भारत की विभिन्नता में एकता को विशेष बल मिला
भारत देश में वैसे तो बहुत से राजा हुए लेकिन महान सम्राट अशोक की अपनी अलग सी गाथा है जिसने सारे देश के प्रमुख भागों में अपनी शिलालेख प्राकृतिक भाषा और ब्राहीलिपि में प्रस्तुत किये थे |
कहा जाता है विश्व में प्रमुख प्राचीन लिखित संविधान अमेरिका जैसे देश ने लिखा था लेकिन यह बहुत बिलकुल सही नहीं है देश और दुनिया में सबसे पहला संविधान सम्राट अशोक में लिखा था जिसको हम शिला लेख भी कह सकते है|