भारत के इतिहास में ऐसे बहुत से नेता और समाजसेवक हुए है जिन्होंने पहले समाज सेवा की उसके बाद राजनीति में अपना कैरियर बनाया, इसी के सन्दर्भ में पं. रविशंकर शुक्ल का भी नाम आता है जिनके बारे में यह लेख है, इन्होने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसके बारे में यहाँ समझेंगे|
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पं. रविशंकर शुक्ल का प्रारंभिक जीवन :-
इनका जन्म 2 अगस्त, 1877 में मध्यप्रदेश के सागर नामक शहर में हुआ था जो बाद में जिला बनाया गया, वर्तमान में सागर जिले के नाम से जानते है| उनके पिता का नाम जगन्नाथ शुक्ल और माता का नाम श्रीमती तुसली देवी था |
शिक्षा :-
पं. रविशंकर शुक्ल का 4 साल की आयु में सागर स्थित “सुन्दरलाल पाठशाला” में दाखिला था तथा उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सागर से ही पूरी की और हाईस्कूल की पढ़ाई रायपुर से की | इसके बाद इंटर की परीक्षा के लिए जबलपुर के रॉबर्टसन कालेज से उत्तीर्ण की, इस समय इनकी आयु मात्र 17 वर्ष थी |
वर्ष 1899 में नागपुर के हिसलोप कालेज से स्नातक और नागपुर से ही इन्होने एल,एल. बी.( L.L.B) की पढ़ाई पूरी की |
विवाह :-
शिक्षा पूरी होने के बाद, यह सरायपाली पहुचकर सूखा कार्य निरीक्षण में देख- रेख करने गये तथा इनकी ईमानदारी आकर कर्तव्यनिष्ठा को देखकर उनको नायब तहसीलदार बना दिया गया| 1901 में इन्होने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर, सरकारी स्कूल में पढ़ाने का कार्य शुरु किय इसके बाद वर्ष 1902 में इनका विवाह भवानी देवी के साथ हो गया तथा 1907 में इन्होने राजनंद गाँव से वकालत का कार्य शुरू किया और कुछ ही महीने के बाद रायपुर आ गये और यहाँ रहने लगे |
राजनीति से पहले के महत्वपूर्ण कार्य :-
- वर्ष 1912 में, उनके प्रयासों से कान्यकुब्ज महासभा की स्थापना की तथा रायपुर में कान्यकुब्ज छात्रावास की स्थापना की और इसी के साथ- साथ कान्यकुब्ज पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया |
- रायपुर में राष्ट्रीय विद्यालय की स्थापना कराई|
राजनैतिक जीवन :-
- वर्ष 1921 में, अखिल भारतीय कांग्रेस महासमित के सदस्य बने तथा उन्हें रायपुर जिला परिषद के सदस्य के रूप में चुना गया, रायपुर जिला सम्मेलन में कुछ अंग्रेज अधिकारियों को प्रवेश न देने पर वर्ष 1922 में उनकी गिरफ़्तारी की गयी |
- इसके कुछ बर्षों के बाद उन्होंने स्कूलों में वंदेमातरम् का गायन और राष्ट्रीय झंडे को फैराने का भी कार्य किया |
- वर्ष 1924 में, पहली बार प्रांतीय विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और 1927 से 1936 तक रायपुर जिला परिषद् के अध्यक्ष रहे |
- पंडित रविशंकर शुक्ल जी ने गाँधी जी के नमक सत्याग्रह तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन का रायपुर से नेत्रत्व किया जिसके चलते उनको जेल भी जाना पड़ा|
- नवम्बर 1933 में गांधीजी के छतीसगढ़ प्रवास में वे रविशंकर शुक्ल जी के बूढ़ापारा स्थित निवास में ठहरे थे तथा उन्होंने बुनियादी शिक्षा सिद्धांत के अनुरूप विद्या मंदिर परियोजना की शुरुआत की तथा पहली विद्यामंदिर का शिलान्यास गांधीजी ने किया |
- राजनैतिक तथा सामाजिक चेतना जाग्रत करने के लिए 1935-36 में उन्होंने महाकौशल साप्ताहिक पत्रिका शुरू की |
- 1936 में डाक्टर खरे मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री बने लेकिन 1939 में मंत्रिमंडल से त्याग पत्र दे दिया इसके बाद वे संविधान सभा के सदस्य भी थे |
- 1940 में गांधीजी के व्यक्तिगत् सत्याग्रह में भाग लेते हुए वे पुनः गिरफ्तार किये गये और उन्हें छत्तीसगढ़ के प्रथम व्यक्तिगत् सत्याग्रही होने का गौरव प्राप्त हुआ |
- 1942 में गांधी जी के भारत छोडो आन्दोलन की घोषणा होंने पर उन्होंने इस आन्दोलन में भाग लिया परन्तु पं. रविशंकर शुक्ल जी को मलकापुर रेल्वे स्टेशन में गिरफ्तार कर लिया गया |
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FAQ
15 अगस्त 1947 को , उन्होंने सीतावर्दी किले (नागपुर) में झंडा फैराया था |
इनका जन्म 2 अगस्त, 1877 में मध्यप्रदेश के सागर नामक शहर में हुआ था
पिता का नाम जगन्नाथ शुक्ल और माता का नाम श्रीमती तुसली देवी था |