भारत छोड़ो आंदोलन [बिहार की भूमिका][PDF]
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भारत छोड़ो आंदोलन [बिहार की भूमिका][PDF]

by रवि पाल
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हिंदुस्तान के आधुनिक भारत का इतिहास समझने से पहले बिहार को समझना जरुरी है किस तरह से बिहार को बंगाल प्रान्त से अलग किया गया?उसके बाद किस तरह से बिहार के दो क्षेत्रों में टकरार होने लगी और पूर्वी बिहार/ पश्चिमी बिहार से अलग होकर झारखंड बनाने की मांग करने लगा| जब तक इन मुद्दों को नहीं समझेंगे तब आधुनिक भारत/आधुनिक बिहार को समझ पाना आसन नहीं होगा| यहां भारत छोडो आंदोलन में बिहार के किन नेताओं की भूमिका थी? तथा किन- किन महिलाओं ने महात्मा गांधी का तन-मन से साथ दिया| यह लेख भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार की भूमिका पर आधारित है|

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत:-

मुंबई के एतिहासिक ग्वालियर टैंक मैदान में वर्ष 8 अगस्त 1942 को, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने बैठक बुलाई जिसके अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आजाद थे इस बैठक में गाँधी के भारत छोड़ो आंदोलन के प्रस्ताव को पारित किया गया इसके बाद 9 अगस्त 1942 को इस आंदोलन की शुरुआत ग्वालियर टैंक मैदान से की गई|

गाँधी जी ने इसी समय कहा था” यदि संघर्ष का  उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया गया तो देश में बालू से ही कांग्रेस का बड़ा आन्दोलन खड़ा कर दूंगा”|

भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम से जाना जाता है और इसी आंदोलन के दौरान महात्मा गाँधी ने करो या मरो का नारा दिया था |

9 अगस्त 1942 को ऑपरेशन जीरो आवर के तरह कांग्रेस के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया और भारत के अलग- अलग राज्यों में रखा गया इसी दौरान महात्मागाँधी, सरोजनी नायडू, कस्तूरबाबाई, अबुल कलाम आजाद जैसे नेताओं को आगा खां पैलेस में नजरबंद किया गया था जबकि जवाहरलाल नेहरु को अल्मोड़ा जेल में रखा गया था |

भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार की भूमिका:-

बिहार में ऑपरेशन जीरो आवर तहत 9 अगस्त को इस प्रान्त के बड़- बड़े नेताओं को भी गिरफ्तार कर अलग- अलग जेलों ममें में रखा गया इसी दिन (9 अगस्त 1942) को ही, बिहार में राजेन्द्र प्रसाद पटना मके जिलाधिकारी डब्यू. जी. आर्चर द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया तथा उनको बांकीपुर जेल भेज दिया गया | उनके साथ-साथ मथुरा बाबू, अनुग्रह बाबू,श्री कृष्ण जैसे अनेक नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया |

इस आंदोलन के दौरान महाअधिवक्ता श्री बलदेव शहाय ने सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में अपने पद को त्यागपत्र दे दिया|

बिहार के जयप्रकाश नारायण की भूमिका :-

इस आंदोलन के दौरान जयप्रकाश नारायण की भूमिका बहुत अहम है :-

उन्होंने वर्तमान झारखण्ड की हजारीबाग जेल से फरार होकर नेपाल के राजविलास जंगल में आजाद दस्ते (दल) का गठन किया था इस दस्ते का उद्देश्य ब्रिटिश साम्राज्य की समाप्ति हेतु छापामार युद्ध तथा तोड़-फोड़ के माध्यम से ब्रिटिश सम्पति को नुकसान पहुचना था |

इस दस्ते में शामिल युवकों को सरदार नित्यानद सिंह के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया था एक महत्वपूर्ण घटना सामने आती है| जो भी इस दस्ते के बारे में जानता था व्ही इससे जुड़ने की कोशिस करता था इसीलिए इससे प्रेरित होकर भागलपुर तथा पूर्णियां में ऐसे कई संगठनो लो स्थापना भी की गयी थी|

नेपाल सरकार द्वारा जयप्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया तथा अन्य क्रांतिकारीयों के गिरफ़्तारी के कारण 1943 ई. के अंत तक यह आंदोलन शिथिल पड़ गया था |

पटना सचिवायल गोली कांड:-

11 अगस्त 1942 को पटना तथा आस – पास के राष्ट्रवादी  युवकों द्वारासचिवालय भवन के सामने विहार विधानसभा की ईमारत पर राष्ट्रीयध्वज फ़ैलाने का प्रयास किया गया परन्तु पटनाके कलेक्टर डब्यू. जी. आर्चर ने इन छात्रों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया| इस गोलीकांड के सात छात्रों की मृत्यु हो गयी तथा अनेक छात्र घायल हुए थे |

11 अगस्त 1942 पटना गोली कांड में मारे गये छात्रों की लिस्ट :-

यहां एक तरफ शहीद छात्र का नाम है और दूसरी तरफ वह कहां का निवासी था |

1- उमाकांत प्रसाद सिन्हा निवासी नरेंद्रपुर (सारण)
2- सतीश प्रसाद झा निवासी खड़हरा (भागलपुर)
3- जगपति कुमार निवासी खराटी (औरंगाबाद)
4- रामानन्द सिंह निवासी सहादत नगर (पटना)
5- देवीनन्द चौधरी निवासी सिलहट (जमालपुर)
6- रामगोविंद सिंह निवासी दशरथा (पटना)
7- राजेन्द्र सिंह निवासी बनवारी चक (सारण)

  1. राजेन्द्र सिंह निवासी बनवारी चक (सारण)

सरकारी दमनात्मक नीतियों के विरोध की आग सम्पूर्ण बिहार में फ़ैल गयी तथा भारत में ब्रिटिश शासन का विरोध करते हुए एक ध्रुव दल की स्थापना की गयी, जिसके प्रमुख जयप्रकाश नारायण थे |

फुलेना प्रसाद श्रीवास्तव सिवान थाने पर झंडा फैराने के दौरान पुलिस की गोलियों के सिकार हुए और शहीद हो गये |

कुलानंद तथा कर्पूरी ठाकुर द्वारा क्रमशः दरभंगा तथा सिंघवारा में संचार व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न किया गया तथा दरभंगा, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर तथा सीतामड़ी, चंपारण के आदि क्षेत्रों में क्रांतिकारियों ने सरकारों का गठन किया |

तिरहुत प्रमंडल में जनता का दो(2) माह तक शासन रहा :-

नरसिंह नरायण समाजवादी नेता, भारत छोडो आंदोलन के दौरानजेल से फरार हो गये |

काबी कैलाश सिंह :- भारत छोडो आंदोलन में शामिल, आरा कलेक्ट्रेट में व्रिटिश विरोधी नारे के दौरान पुलिस गोलीबारी में मृत्यु |

योगेन्द्र शुक्ला:– 9 नवंबर 1942 को जयप्रकाश नरायण के साथ हजारीबाग जेल से फरार हुए थे और यह विहार विधान परिषद के सदस्य भी थे तथा उन्होंने अखिल भारतीय किसान सभा केन्द्रीय कमेटी के रूप में भी कार्य किया था |

भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार की महिलाओं की भूमिका:-

जब यह आंदोलन चल रहा था और जिस तरफ से बिहार के पटना में गोली कांड से 7 क्रांतिकारियों की सहादत हो गयी उसके बाद भारत छोड़ो आंदोलन में गाँधी जी के आवाहनं पर बिहार की महिलाओं ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर ब्रिटिश विरोध में अपना योगदान दिया था कदमकुआँ (पटना) में महिला चरखा क्लब से जुडी महिलाओं ने जुलूस निकालकर सभाओं का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता श्रीमती भगवती देवी( राजेंद्र प्रसाद की बहन) ने किया था |

महिलाओं के नाम और उनके स्थान :-

  1. श्रीमती भगवती देवी स्थान पटना
  2. शांति देवी स्थान छपरा
  3. सुनीति देवी स्थान वैशाली
  4. राधिका देवी स्थान वैशाली
  5. श्रीमती माया देवी स्थान भागलपुर
  6. भवानी मल्होत्रा स्थान मुजफ्फरपुर
  7. राम स्वरूप देवी स्थान भागलपुर
  8. अकली देवी स्थान शाहाबाद
  9. धतूरी देवी स्थान मुंगेर
  10. हुकेरी देवी स्थान मुंगेर
  11. रुपंतिया देवी स्थान मुंगेर 

FAQ

1942 में ,पटना सचिवायल गोली कांड में कितने छात्रों की मृत्यु हुयी थी ?

 इस गोलीकांड के सात छात्रों की मृत्यु हो गयी तथा अनेक छात्र घायल हुए थे|

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत कब हुयी थी ?

9 अगस्त 1942 को|

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत कहां से की गयी थी?

इस आंदोलन की शुरुआत ग्वालियर टैंक मैदान 9 अगस्त 1942  से वर्ष की गई थी|

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