इस लेख में सैडलर आयोग की सिफारिशें के बारे में समझेंगे जिसमें माध्यमिक शिक्षा, कलकत्ता विश्वविद्यालय तथा भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हुयी |
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
माध्यमिक शिक्षा के लिए आयोग की सिफारिशें :-
सैडलर आयोग ने माध्यमिक शिक्षा को उच्च शिक्षा का मुख्य आधार मानकर, उसके संबंध में निम्न सुझाव दिए |
- विश्वविद्यालयों में केवल इंटरमीडिएट परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले प्रवेश दिया जाना चाहिए |
- स्नातकों का पाठ्यक्रम 3 वर्ष का कर दिया जाना चाहिए |
- इंटरमीडिएट कक्षाओं को विश्वविद्यालयों से पृथक कर दिया जाना चाहिये |
- इंटरमीडिएट की शिक्षा के लिए पृथक इंटरमीडिएट कॉलेजों की स्थापना की जानी चाहिए |
- इंटरमीडिएट कॉलेजों में शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषाएँ होनी चाहिए |
- प्रत्येक प्रान्त में माध्यमिक और इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड का निर्माण किया जाना चाहिए|
- माध्यमिक स्कूलों और इंटरमीडिएट कॉलेजों के नियंत्रण और निरीक्षण का कार्य उक्त बोर्डों को सौंप दिया जाना चाहिए |
कलकत्ता विश्वविद्यालय के लिए आयोग की सिफारिशें :-
सैडलर आयोग ने “कलकत्ता विश्वविद्यालय” की विशाल छात्र संख्या को ध्यान में रखकर निम्नलिखित सिफारिशें की |
- डाका में “आवासीय शिक्षण” विश्वविद्यालय की शीघ्रातिशीध्र स्थापना की जानी चाहिए|
- कलकत्ता नगर के समवर्ती कॉलेजों का संगठन इस द्रष्टि से किया जाये कि उपयुक्त स्थान पर नवीन विश्वविद्यालय की स्थापना हो जाये |
- कलकत्ता नगर के सभी कॉलेजों को इस प्रकार संगठित किया जाये कि एक शिक्षण-विश्वविद्यालय का निर्माण हो जाये |
भारतीय विश्वविद्यालयों के लिए आयोग की सिफारिशें :-
विश्वविद्यालयों के संगठन, शासनन कार्यों आदि के संबंध में सैडलर आयोग ने निम्नलिखित सिफारिशें की|
- विश्वविद्यालयों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त होकर, अधिक स्वतंत्रता का उपयोग करना चाहिए |
- विश्वविद्यालयों में “पास कोर्स” के आलावा “आनर्स कोर्स” का भी प्रचलन कर दिया जाना चाहिए और स्नातकों का पाठ्यक्रम 3 वर्ष का कर दिया जाना चाहिए |
- विश्वविद्यालयों में कृषि, क़ानूनी, डाक्टरी, अध्यापन, इंजीनियरिंग आदि की शिक्षा की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए |
- विश्वविद्यालयों में अरबी , फारसी, और संस्कृत के अध्यन की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए |
- छात्रों के स्वास्थ्य की देख देखभाल करने के लिए प्रत्येक विश्वविद्यालय में “शारीरिक प्रशिक्षण-संचालक” की नियुक्ति की जानी चाहिए|
- विश्वविद्यालयों के प्रोफ़ेसरों तथा रीडरों की नियुक्ति एव विशिष्टि चुनाव समिति द्वारा की जाये तथा इस समिति में शिक्षा के वाध्य विशेषज्ञों को भी सम्मानित किया जाये |
- मुसलमानों को उनकी शिक्षा पिछड़ी होने के कारण उन्हें विशेष सुविधाएँ देकर उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जाये |
- विश्वविद्यालयों में आन्तरिक प्रशासन के लिए “सीनेट” के स्थान पर “प्रतिनिधि सभा” और “सिंडिकेट” के स्थान पर “ कार्यकरिणी परिषद्” का गठन किया जाये |
- शैक्षिक कार्यों जैसे परीक्षा, शोध, तथा पाठ्यक्रम आदि के लिए “एकेडिमिक काउन्सिल” का गठन किया जाये |
स्त्री- शिक्षा के संबंध में आयोग आयोग ने सफ़ारिश की कि जो बालिकाएं 15-16 अवस्था तक बालकों से पृथक शिक्षा प्राप्त करना चाहती है और अंत में कलकत्ता विश्वविद्यालय में “ स्पेशल बोर्ड ऑफ़ विमेन्स एजूकेशन” की स्थापना की जाये | इस बोर्ड का कार्य स्त्रियों के लिए उपयुक्त पाठ्यक्रम तैयार करना, महिला कॉलेजों के अध्यापन की व्यवस्था करना तथा अध्यापिका -प्रशिक्षण एवं चिकित्सा शिक्षा की उपयुक्त व्यवस्था करनी चाहिए |
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
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FAQ
“पास कोर्स” और “आनर्स कोर्स” का सुझाव सैडलर आयोग (1917 ई.-1919 ई.) के द्वारा दिया गया था |
यह कलकत्ता विश्वविद्यालय के लिए आयोग की सिफारिशें के दौरान आवासीय शिक्षण की बात कही गयी थी जोकि सैडलर आयोग (1917 ई.-1919 ई.) में बताया गया है |