वर्तमान में जिस तरह राजनीति और राजनैतिक दलों के साथ-साथ, यहाँ पर रहने वाले लोगों ने भारत के इतिहास को भुला दिया, इससे ऐसा लगता कि आने वाले दिनों में मनुष्य एक मशीन की तरह काम करेगा | अब सोचने वाली बात यह है कि भारत को आजादी ऐसे ही मिल गयी? क्या संविधान का निर्माण ऐसे ही हो गया? कितने क्रांतिकारियों ने अपनी सहादत दी? बहुत से सवाल है जिनको समझना और जानना हर भारतीय के लिए अनिवार्य है, इस लेख में ऐसे एक क्रांतिकारी के बारे में चर्चा करेंगे, जिसको अंग्रेजों ने गोलियों से भून दिया था उनका नाम बुधु भगत है |
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
बुधु भगत का जन्म :-
इनका जन्म 17 फरवरी 1792 को वर्तमान के राँची जिले के चान्हो प्रखंड के सिलागाई गाँव में हुआ था यह गाँव कोयल नदी के किनारे स्थित है यह उरांव परिवार में जन्मे थे, ऐसा कहा जाता है कि उन्हें दैवीय शक्तियाँ प्राप्त थी इसी कारण सदैव अपने पास एक प्रतीक स्वरूप कुल्हाड़ी रखा करते थे | साहसी और अच्छी नेतृत्वकर्ता के कारण उन्होंने वर्ष 1832 में लरका विद्रोह शुरू किया था | उस दौर में, आदिवासी इलाकों में अंग्रेजों की बर्वरता तथा जमीदारों की क्रूरता के खिलाफ सभी उरांव एकजुट हो गए|
बुधु भगत जमीदार और अंग्रेज :-
रिसर्च बताते कि उस दौर में, जमीदार आधिवासी, किसानों की फसलों को जबरजस्ती उठा लेते थे इसी कारण से गांवों में कई दिनों तक चूल्हा नहीं जलता था इसी कारण से बुधु भगत कोयल नदी पर बैठकर अंग्रेजों और जमीदारों को भगाने की सोचा करते थे |
यह वाण, धनुष, तलवार चालने में माहिर थे इसलिए लोगों ने इनको देवदूत का भी नाम दिया था तथा गोरिल्ला युद्ध जानने के कारण इन्होने अपने सहयोगियों को कैप्टन इंपे के चंगुल से बचाया था |
झारखंड इतिहास के दुखद पन्ने :-
- झारखंड के प्रथम आंदोलनकारी बुधु भगत थे जिन्हें पकड़ने के लिए अंग्रेजी सरकार ने 1000 रुपये का इनाम रखा था |
- 14 फरवरी 1832 ई. को कैप्टन इंपे और उनके साथियों उनके और उनके परिवार , साथियों पर गोलियां चलाई इसमें वह अपने परिवार और साथियों के साथ शहीद हो गये |
- इसमें उनके दोनों पुत्र हलधर और गिरिधर भी शहीद हो गये |
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
- Career Guidance
- Country
- Education
- india history
- Literature
- MCQ QUIZ
- NCERT का इतिहास
- Politics
- SSC CGL 2023-2024
- इतिहास के पन्ने
- झारखण्ड का इतिहास
- देश दुनियां
- प्राचीन भारत का इतिहास
- बुंदेलखंड का इतिहास
- भारतीय इतिहास
- भारतीय राजनीति इतिहास
- भारतीय राजनेता
- सामाजिक अध्यन
FAQ
उनके दो पुत्र थे जिनका नाम हलधर और गिरिधर था हालाँकि जब अंग्रेजों ने इनके घर पर गोलियां चलाई थी तो यह दोनों भी शहीद हो गये थे |
लरका विद्रोह1832 ई. में झारखंड के महान क्रांतिकारी बुधु भगत ने शुरू किया था|
यह अपने पास सदैव एक कुल्हाड़ी रखा करते थे ऐसा भी कहा जाता है कि उन्हें दैवीय शक्तियाँ प्राप्त थी |
इनका जन्म 17 फरवरी 1792 को वर्तमान के राँची जिले के चान्हो प्रखंड के सिलागाई गाँव में हुआ था |
यह गाँव, वर्तमान में राँची जिले के चान्हो प्रखंड में स्थित है इस गाँव के ही क्रांतिकारी बुधु जी का जन्म हुआ था |