सैय्यद वंश तथा लोदी वंश [ pdf]
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सैय्यद वंश तथा लोदी वंश [ pdf]

by Srijanee Mukherjee
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जब हिंदुस्तान के इतिहास की बात आती है, इसको समझने और पढ़ने के लिए वर्तमान से 2000 वर्ष पूर्व जाना आवश्यक है यह लेख उस सभी विद्यार्थियों तथा पाठकों के लिए है जो भारत के इतिहास को पढ़ने या लिखने में रूचि रखते हैं आज का यह लेख सैय्यद वंश तथा लोदी वंश से संबंधित है|

सैय्यद वंश और तुगलक वंश के सिक्के :-

इस वंश (सैय्यद वंश) का संस्थापक ख्रिज खाँ था यह 1414  ई. से 1451 ई. तक चला था  उसने “रैयत-ए-आला” की उपाधि धारण की थी लेकिन अपने सिक्कों पर तुगलक शासकों का ही नाम रहने दिया, यहाँ यह भी जानने की जरुरत है कि सैय्यद वंश से पहले तुगलक वंश था यह 1320 ई. से 1398 ई. तक रहा था इसीलिए जी सिक्के पहले से चल रहे थे उसी को सैय्यद वंश में जारी रखा गया |

इसके बाद मुबारक शाह ने “शाह” की उपाधि धारण की तथा अपने नाम से खुतबा पढ़वाया इसके साथ-साथ उसने तारीख-ए-मुबारकशाही के लेखक याहिया-बिन-सरहिन्दी को संरक्षण प्रदान किया तथा अलाउद्दीन आलम शाह इस वंश का अंतिम शासक था|

लोदी वंश (1451 ई- 1526 ई. तक):-

जब सैय्यद वंश समाप्त हो गया उसके तुरंत बाद लोदी वंश की शुरूआत मानी जाती है जिसका संस्थापक बहलोल लोदी था, यह अफगानों की एक महत्वपूर्ण साखा साहूलेख से संबंधित था तथा इसने “बहलोली” प्रकार के सिक्के चलवाए|

इसकी मुख्य सफलता जौनपुर (1484 ई.) राज्य को दिल्ली सल्तनत में सामिल करके की थी खास बात यह भी है जब बहलोल लोदी की मृत्यु हुयी उसके बाद सिकंदर लोदी (14891517 ई. तक) दिल्ली की गद्दी पर बैठा था तथा इसने “आगरा” का स्थापना की थी|

सिकंदर लोदी ने नाप के लिए एक पैमाना “गजे- सिकंदर”प्रारंभ करवाया ता जो प्रायः 30 इंच का होता था इसके साथ- साथ सिकंदर लोदी ने स्वयं के आदेश में आयुर्वेदिक ग्रन्थ का फारसी में आनुवाद करवाया जिसका नाम “फरंहंगे –सिकंदरी” रखा गया था|

वह “गुलरुखी” उपनाम से फारसी में कवितायेँ लिखवाता था तथा सिकंदर लोदी की मृत्यु के बाद इब्राहिम लोदी (1517ई.- 1526ई. तक) दिल्ली के सिंहासन पर बैठा | महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि 1517-18ई. में इब्राहिम लोधी व राणासांगा के मध्य घटोली का युद्ध हुआ था जिसमें लोदीयों की हार हुती थी, अप्रैल 1526 ई.में पानीपत के मैदान में बाबर से युद्ध हुआ जिसमें इब्राहिम लोदी मारा गया|

इब्राहिम लोदी के बाद लोदी वंश का पतन हो गया, नह्लोल लोदी अमीरों को “मनसद-ए-अली’ नाम से पुकारता था |

सल्तनत काल का प्रशासन :-

अधिकारी का नाम                                      कार्य

आरिज –ए-मुमालिक                                    सैन्य विभाग

ईशा-ए- मुमालिक                                        पत्राचार विभाग

मुशरिफ-ए-मुमालिक                                     महालेखाकार

शाहना-ए-मंडी                                   बाजार मूल्य नियंत्रण, वांट माप की जाँच करना

मुहतसिब                                          लोगों के आचरण की जाँच करना

काली-उल-कुज्जात                               न्याय विभाग का प्रमुख      

इब्राहिम लोदी दिल्ली के सिंहासन पर कब से कब तक बैठा?

1517ई.- 1526ई. तक,  दिल्ली के सिंहासन पर बैठा |

आगरा की स्थापना किसने की थी?

सिकंदर लोदी ने आगरा की स्थापना की थी|

लोदी वंश ने किस तरह के सिक्के चलवाए थे?

इसने “बहलोली” प्रकार के सिक्के चलवाए थे|

FAQ

लोदी वंश का संस्थापक कौन था?

बहलोल लोदी में, लोदी वंश की स्थापना की थी|

सैय्यद वंश का शासन कितने वर्षों तक चला?

इसका शासन 37 वर्षों तक चला था |

मुबारक शाह कौन था?

यह ख्रिज खाँ का पुत्र था|

ख्रिज खाँ की मृत्यु कब हुयी थी?

20 मई 1421 ई. को ख्रिज खाँ की मृत्यु हुयी थी |

तैमूर लंग का सेनापति कौन था ?

ख्रिज खाँ, तैमूर वंश का सेनापति था |

सैय्यद वंश का अंतिम शासक कौन था?

अलाउद्दीन आलम शाह, सैय्यद वंश का अंतिम शासक था |

सैय्यद वंश का समय कब से कब तक माना जाता है?

1414  ई. से 1451 ई. तक रहा इसके बाद लोधी वंश शुरू हो जाता है|

सैय्यद वंश किसके द्वारा स्थापित किया गया था?

यह ख्रिज खाँ के द्वारा स्थापित किया गया था |

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