राजनीति विज्ञान में शक्ति के प्रकार के बारे में बताया गया है कि यह शक्तिशाली/तानाशाही होती है तथा इसके विभिन्न प्रकार होते है इसके प्रकार के संबंध में विद्वानों द्वारा भी अलग- लग विचार व्यक्त किये गये हैं|
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
शक्ति के प्रकार के बारे में गोल्ड हेमर तथा अडवर्ड शिल्स के अनुसार:-
“एक व्यक्ति शक्ति उतनी ही कही जा सकती है जितनी मात्रा में वन अपनी इच्छा के अनुसार दूसरे के व्यव्हार को परिवर्तित कर सके” | व्यव्हार में परिवर्तन की इस धारणा के अनुसार शक्ति तीन प्रकार की होती है, बल, प्रभुत्व और चतुर्थ |
शक्ति के प्रकार (बल):-
शक्तिवान व्यक्ति बल का प्रयोग करता हुआ उस समय कहा जाता है, जिस समय वन अधीनस्थ व्यक्तियों के व्यहार को भौतिक शक्ति के माध्यम से प्रभावित करता है | जबकि शक्तिवान व्यक्ति अपनी इच्छा को प्रकट कर दूसरों के व्यव्हार को प्रभावित करता है, तो वह प्रभुत्व कहलायेगा |
प्रभुत्व आदेश या आग्रह के रूप में हो सकता है, चातुर्थ दूसरे के व्यवहार को प्रभावित करने का तरीका है जिससे प्रभावित होने वाले व्यक्तियों को स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया जाता कि शक्तिमान व्यक्ति आखिर उनसे क्या चाहता है इस अंतिम प्रक्रिया में विभिन्न तरीकों और प्रतीकों का प्रयोग करते हुए प्रचार की प्रणाली को अपनाया जाता है |
मेक्स बेबर के अनुसार शक्ति का सही रूप औचित्यपूर्ण शक्ति है और उसे वह सत्ता कहता है जिसे व्यक्तियों या अधीनस्थों द्वारा स्वीकार किया जाता है या अधिकार पूर्वक माना जाता है उसे औचित्यपूर्ण शक्ति कहते है तथा जो शक्ति औचित्यपूर्ण नहीं है उसे बेबर दमन कहता है|
बेबर ने औचित्यपूर्ण शक्तियों के तीन प्रमुख रूप बताये है |
- क़ानूनी या वैधानिक
- परम्परागत
- करिश्मावादी
कानूनी या वैधानिक:-
जब अधीनस्थ लोग शक्तिवान व्यक्तियों द्वारा निर्मित कानूनों निर्देशों की वैधानिकता में विश्वास करते है तो औचित्यपूर्ण शक्ति वैधानिक कहलाती है |
परम्परागत:-
जब शक्तिवान द्वारा प्रसारित आदेशों को परम्परा के आधार पर पवित्र माना जाये अथवा परम्परा के कारण ही वह शक्ति का प्रयोग करे तो उसे औचित्यपूर्ण शक्ति का परम्परागत रूप कहा जायेगा |
करिश्मावादी:-
जब औचित्य की मानता का आधार शक्तिवान के व्यक्तिगत गुणों के प्रति शक्ति होती है तो वह करिश्मावादी औचित्यपूर्ण कही जाती है, करिश्मावादी औचित्यपूर्ण शक्ति के अंतर्गत अनुयाइयों को अपने नेता की विशेषताएं प्रायः अद्वतीय प्रतीत होती है और उसके सम्मुख वे पूर्ण समर्थन कर देते है |
- विशेष राज्य का दर्जा (विशेष श्रेणी / एससीएस) की विशेषताएं क्या है?
- सी-सेक्सन/ Caesarean Delivery डिलिवरी के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते दिख रहे है, पूरी जानकरी क्या है?
- लोक सभा में अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव तथा नियम 8 की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है
- लोकसभा उपसभापति/उपाध्यक्ष की भूमिका और इतिहास का वर्णन कीजिये
- भारतीय इतिहास में किलों की प्रथम खोज कब हुयी थी पूरी जानकरी देखिये |
- Career Guidance
- Country
- Education
- india history
- Literature
- MCQ QUIZ
- NCERT का इतिहास
- Politics
- SSC CGL 2023-2024
- इतिहास के पन्ने
- झारखण्ड का इतिहास
- देश दुनियां
- प्राचीन भारत का इतिहास
- बुंदेलखंड का इतिहास
- भारतीय इतिहास
- भारतीय राजनीति इतिहास
- भारतीय राजनेता
- सामाजिक अध्यन