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[uniform civil code]समान नागरिक संहिता, महत्वपूर्ण जानकारी

by Srijanee Mukherjee
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भारतीय संविधान जब लिखा जा रहा था उस समय संविधान सभा ने, संविधान के भाग-4 के आर्टिकल-44 में, uniform civil code यानि समान नागरिक संहिता का वर्णन किया है, इसको लागू कराने में राज्य की भूमिका अधिक होगी, इस लेख में इससे संबंधित मुद्दे, संवैधानिक प्रावधान तथा समान सिविल संहिता क्यों होनी चाहिए या यह संहिता क्यों नहीं होनी चाहिए दोनों विषयों को समझेंगे |

चर्चा में क्यों :- हाल ही में,राज्य सभा में समान नागरिकता विधेयक, 2022 को प्रस्तुत किया गया, इस विधेयक को राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा द्वारा एक निजी विधेयक के रूप में प्रस्तुत किया गया |

समान नागरिक संहिता क्या है?(What is Uniform civil code) :-

यदि किसी भी देश में सभी लोगों के लिये विवाह के कानून, तलाक के कानून,संपत्ति के कानून, गोद लेने के कानून आदि, सभी धर्मों के लिए समान हो जाये तो इसे समान नागरिक संहिता कहा जायेगा |

वर्तमान में, भारत देश में हिन्दुओं के लिए हिंदू लॉ , मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ,ईसाईयों के लिए अलग से लॉ है तो समान नागरिक संहिता का मतलब “ धर्म को ध्यान में न रखकर सभी के लिए एक समान प्रकार के संपत्ति, विवाह, गोद लेने , तलाक के कानून बनाना” है |

FAQ

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-44 में क्या लिखा है ?

राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा | यहाँ राज्य का मतलव सरकार तथा उससे जुड़े हुए अंग से है |

Uniform civil code से क्या तात्पर्य है ?

समान नागरिक संहिता  (Uniform civil code) से तात्पर्य देश में सभी धर्मों एवं समुदायों के लिए एक समान कानून और नियमों की उपलब्धता से है | यदि दूसरे शब्दों में कहें, वर्गों एवं धर्मों के लिए अलग- अलग कानून न होकर पूरे देश में एक ही प्रकार का कानून लागू ही “Uniform civil code” है |

गैर- सरकारी विधेयक क्या होता है ?

गैर- सरकारी विधेयक एक ऐसा विधेयक होता है जो संसद के किसी ऐसे सदस्य द्वारा सदन में पेश किया जाता है जो मंत्रिपरिषद का सदस्य(अंग) नहीं है, अर्थात ऐसा विधेयक जो मंत्री के आलावा किसी अन्य सांसद द्वारा प्रस्तुत किया जाता है उसे गैर- सरकारी विधेयक कहते हैं|

पहली बार गैर- सरकारी विधेयक कब प्रस्तुत किया गया था ?

संविधान लागू होने के बाद्, कई बार संसद में गैर- सरकारी विधेयक प्रस्तुत किये जाते रहे हैं|  लेकिन 1952 में, सैयद मोहम्मद अहमद कासमी द्वारा पेश किया गया मुस्लिम वक्फ पर विधेयक पहला निजी सदस्य विधेयक पारित किया गया था |

वर्तमान तक कितने गैर- सरकारी विधेयक पारित हुए हैं?

अब तक संसद में 14 निजी सदस्य (गैर- सरकारी विधेयक) पारित किये गये हैं |

इलाहबाद हाई-कोर्ट ने सरकार को समान नागरिक संहिता के बारे में क्या कहा था?

नवंबर 2021 में, एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहबाद हाई-कोर्ट ने केंद्र सरकार को देश में समान नागरिक सहिंता लागू करने के लिए प्रक्रिया प्रारंभ करने का निदेश दिया था |

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