चुनाव में निर्विरोध जीत कैसे मिलती है या कैसे घोषित किये जाते हैं जब लोक सभा या विधान सभा चुनाव में किसी सीट पर इकलौता उम्मीदवर बचे, उस दौरान उस सीट पर चुनाव नहीं करवाया जाता, बिना चुनाव के ही उस उम्मीदवार को जीता हुआ उम्मीदवार घोषित कर देते हें इसी को निर्विरोध जीत कहते हैं।
भारत में निर्विरोध जीत का इतिहास :-
जब से भारत देश में चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई है तब से लेकर वर्तमान तक 35 उम्मीदवार जीत कर संसद में जा चुके हैं। ज्यादातर निर्विरोध जीत 1965 से पहले देखने को मिली थी उसके बाद 2012 में देखने को मिली और अंत में 2024 में लोक सभा चुनाव में सूरत में देखने को मिली।
निर्विरोध चुनावों में नतीजे घोषित करने को लेकर क्या चिंतायें हैं :-
- 1- लोकतान्त्रिक मूल्यों की अवहेलना।
- 2- लोगों को अधिकारों से वंचित।
- 3- नोटा को दरकिनार करना।
चुनाव प्रावधान के लिए नामांकन भरने का कानून क्या है :-
जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 33 में बताया गया हैं कि –
नामांकन की वैधता उम्मीदवार 25 वर्ष से ऊपर हो।
भारत का नागरिक हो।
उसके समर्थन में तीन अलग -अलग गवाह के साथ तीन नामांकन कॉपी सेट जमा कर सकता है।
धारा 36 में बताया गया है कि –
RO अधिकारी नामांकन दस्तावेज चेक करेगा।
धारा 53 में बताया गया है कि –
यदि उम्मीदवार एकलौता है तो RO अधिकारी निर्विरोध जीत घोषित कर देगा।

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नोटा का इतिहास :-
- 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने मतदाताओं को नोटा का विकल्प मुहैया कराया, जिससे लोकसभा, विद्यानसभा और अन्य चुनावों में उम्मीदवारों में कोई भी पसंद ना आये तो मतदाता नोटा के बटन दबाकर अपनी असहमति दर्ज कर सकता है। लेकिन अगर नोटा को ज्यादा से ज्यादा वोट मिलते हैं तो भी जीत उस उम्मीदवार को घोषित की जाती है जो नोटा के वाद ज्यादा वोट पाया हो।
- नोटा को व्यवहारिक जीत घोषित कर चुनाव रद्द करने संबंधित याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
- महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जहाँ पर कानून यह है, यदि जितने भी उम्मीदवार खडे है, यदि सबसे ज्यादा वोट नोटा को मिलेंगे तो वहाँ चुनाव पुनः करवाया जायेगा और वह उमीदवार दोबारा चुनाव नहीं लड़ सकते हें।
आगे की राह और सलाह :-
निर्विरोध जीत से जो भी चिंताये उत्पन्न हो रही है, उनके लिए निम्नलिखित कार्य किए जाने चाहिए।
- 1- इकलौते उम्मीदवारों को न्यूनतम मत प्राप्त करने की लिमिट रखी जाये और नोटा को निर्णायक मत का अधिकार दिया जाये।
- 2-विरोधी राजनैतिक पार्टियों से सलाह लेकर निर्विरोध जीत घोषित करनी चाहिए।
- 3-या फिर ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति संबधी चुनावी सीट पर किसी व्यक्ति को नमित करे।
- 4- विरोधी पार्टियों को अतिरिक्त समय देना अपना प्रतिनिधि खड़ा करने को हमेसा के लिए चुनाव प्रक्रिया से बाहर किया जाना चाहिए।
- 5- ऐसे मुद्दों के विवादों को न्यायालय जल्द निपटाने कमेटी बनानी चाहिए ताकि चुनवा प्रक्रिया को साफ सुथरा बनाया जा सके।
FAQ
वर्ष 2013 में इसकी शुरुआत नोटा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा किया गया था।
महाराष्ट्र, यहां यदि नोटा में सबसे ज्यादा वोट मिलते है तो चुनाव दोबारा कराया जायेगा और जो उम्मीदवार चुनाव लड़हे थे उन्हें चुनाव लड़ने नहीं दिया जायेगा।
1 करोड़ से भी ज्यादा नोटा में वोट डाले जा चुके हैं।
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