भारत में समाचार पत्र का इतिहास| History of News Paper in India
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भारत में समाचार पत्र का इतिहास|  History of News Paper in India

by Srijanee Mukherjee
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भारत में इसका इतिहास यूरोप के समय से माना जाता है यहाँ प्रिंटिग प्रेस लाने का श्रेय पुर्तागालियों को जाता है या हम ये कहें भारत देश में समाचार पत्र का इतिहास यूरोपीय लोगों द्वारा लाया गया है |

इसकी शुरुआत 16वीं शताब्दी में पुर्तागालों द्वारा मानी जाती है पुर्तगालियों ने वर्ष 1557 में प्रथम पुस्तक को प्रकाशित कर के प्रेस की स्थापना की थी जोकि गोवा में कुछ पादरियों ने भारत की पहली पुस्तक छापी थी|

समाचार पत्र 18वीं सदी:-

यदि आज भारत की पत्रकारिता या प्रेस की बात करें तो कुछ समाचार पत्र 19वीं सदी से प्रकाशित होते  आ रहे है लेकिन ज्यादातर समाचार पत्र उसी तरह की भूमिका निभाते है जिस तरफ से अंग्रेजों ने भारत की पत्रकारिता को दबा कर रखा था |

ईस्ट इण्डिया कंपनी ने 1684 इश्वी में बम्बई में अपना पहला प्रिंटिग प्रेस स्थापित किया ताकि भारत के भारत के लोगों को बता सके कि यह कंपनी भारत में व्यापर करने के लिए आई है इसलिये ईस्ट इण्डिया कंपनी ने ने भारत में सबसे पहले प्रिंटिग प्रेस पर अपना कब्ज़ा जमाया|

समाचार पत्र का पहला प्रकाशन:-

जेम्स आंगस्टक हिक्की द्वारा 1780 में प्रकाशित The Bengal gazette को भारत का प्रथम अखबार माना जाता है हलाकि यह इनका पहला प्रयास नहीं था इससे पहले कंपनी का एक अधिकारी वियियम बोल्ट्स ने अख़बार छापने की कोशिस की थी लेकिन सफल नहीं हुयी उसके बाद में इस अख़बार को छापा गया था

वियियम बोल्ट्स ने अपनी डायरी में लिखा है वि वह कंपनी के काम से संतुस्ट नही था इसलिए उसने कहा था मैं एक अखबार निकालूँगा और आपकी विचारधारा को लिखूंगा |

यह घटना 1776 की है उसके बाद एक अंग्रेज अधिकारी के द्वारा जिसका नाम जेम्स आंगस्टक हिक्की है उसने The Bengal gazette नामक अख़बार निकला और इसकी स्थापना भी थी |

ऐसा कहा जाता है भारत में स्वत्रंत तथा तटस्थ पत्रकरिता के क्षेत्र में प्रथम प्रयास हिक्की तथा वर्किघंम ने किया था जो ‘कलकत्ता जनरल’ के प्रकाशन से हुआ |

किसी भारतीय द्वारा समाचार पत्र का प्रकाशन:-

किसी भारतीय द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित पहला समाचार पत्र 1816 में बंगाल गजट था इसका पहला  प्रकाशन गंगाधर भट्टाचार्या ने किया था जोकि एक भारतीय थे इसके कुछ वर्षों के बाद ही 1818 अप्रेल में मार्शमैन द्वारा बंगाली भाषा में “दिग्दर्शन’ नमक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया गया |

जेम्स सिल्क बर्किघंम:-

इनको पत्रकारिता के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है ऐसा कहा जाता है इन्होने स्वत्रंत तथा तटस्थ पत्रकारिता को जन्म देकर पत्रकारों को पत्रकारिता अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया और इसके बाद इन्होने जनता के लिए प्रेस को प्रितिबिमं बनाया, यहाँ तक प्रेस को बर्किघंम की ही देन माना जाता है|

भारत में राष्ट्रीय प्रेस की स्थापना:-

इसका श्रेय राजा राम मोहन राय को दिया जाता है  इन्होने भारत देश में पत्रकारिता को एक नया मुकाम दिया , संवाद कौमुदी(1821बंगाली) मिरात उल अख़बार (1822 फारसी )का प्रकाशन कर भारत में प्रगतिशील राष्ट्रीय प्रवृति के समाचार पत्रों का सुभारम्भ किया यह कई  भाषाओँ के ज्ञाता थे इसीलिए इन्होने उर्दू और फारसी जैसी भाषाओँ में अख़बार निकाले , आज भी इनके विचार हमारे देश के पत्रकारों को प्रेरित करते है |

इन्होने भारत के इतिहास में भारत के लोगों की बातों , विचारों को भी छापना शुरू कर दिया इससे पहले जो भी अखवार हुआ करते थे उनमें सिर्फ ईस्ट इंडिया की कंपनी के ही विचारों को छापा जाता थे लेकिन जब से इन्होने समाचार पत्रों को छापना सुरु कर दिया तब से अंग्रेज अधिकारी और कंपनी के सबसे बड़े दुश्मनों में से एक माने जाने लगे |  

प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र:-

भारत देश में अंग्रेजों द्वारा सम्पादित समाचार पत्रों में से प्रमुख इस प्रकार है – टाइम्स ऑफ़ इण्डिया 1861, स्टेट्समैन -1870, फ्रेंड ऑफ़ इंडिया, मद्रास मेल, पायनियर इलाहबाद , सिविल एंड मिलिटरी,गजट -1876 लाहौर , इंग्लिशमैन आदि

हालाकिं ज्यादातर अख़बारों में अंग्रेज अधिकारियों और ईस्ट इण्डिया की खबरें छपा करती थी सबसे महत्व्प्पूर्ण बात यह है इस कुछ  ऐसे भी अख़बार थे जो ईस्ट इण्डिया कंपनी और अंग्रेजों की कार्यप्रणाली से पूरी तरह सहमत नहीं होते थे उनका कहना था कि कंपनी के विचार और खबरें प्रकाशित करना सही है लेकिन इसमें भारतीयों के भी विचारों को छपना चाहिए|

इसीलिए कुछ समाचार पत्रों जैसे ‘ इंग्लिशमैन और स्टेट्समैन को यह बात बिलकुल पसंद नही थी सिर्फ कंपनी के विचार और ख़बरें छपी जाएँ, इनका कहना था भारत में रहने वाले लोगों के विचारों को भी छापना चाहिए| इसलिए  इंग्लिशमैन और स्टेट्समैन कों सर्वाधिक कट्टरवादी और उदारवादी द्रष्टिकोण वाले समाचार पत्र करते है|

इंग्लिशमैन’ समाचार:-

दूसरे शब्दों में ‘इंग्लिशमैन’ समाचार पत्र सबसे ज्यादा कट्टरवादी था यह  समाचार पत्र हमेसा सरकार के विरोध में लिखता था, इसका मानना था जो समाचार पत्र अंग्रेजों के द्वारा चलाये जा रहे है वो सब अपने विचारों को फ़ैलाने के लिए है , भारत देश  के लोगों के विचार को भी छपना चाहिए लेकिन कंपनी के अखवार ऐसा नहीं करते थे इस लिए यह समाचार पर कंपनी का पूर्ण रूप से विरोध करते थे|

FAQ

 
भारत में प्रेस की स्थापना का श्रेय किसको दिया जाता है

सबसे पहले पुर्तगालियों ने वर्ष 1557 में प्रथम पुस्तक के रूप में स्थापना की थी जोकि गोवा के पादरियों ने भारत की पहली पुस्तक छापी थी लेकिन इस समय भारत में ईस्ट इण्डिया कंपनी नहीं आई थी|

भारत में आधुनिक रूप से पहला समाचार पत्र प्रकाशन किसके द्वारा माना जाता है ?

विलियम वोल्टस के द्वारा 1766 इश्वी में कंपनी के एक अधिकारी के द्वारा किया गया था हलाकि यह सफल नहीं रहा था लेकिन सबसे पहले विलियम वोल्टस ने ही इसकी शुरुआत की थी|

भारत का सर्वप्रथम अखबार कौन सा है ?

सबसे पहले समाचार पत्र ‘द बंगाल गजट’ है जिसका प्रकाशन सबसे पहले अंग्रेजी में हुआ था यह एक सप्ताहिक पत्रिका थी इसको ‘जेम्स आगस्ट हिक्की’ ने वर्ष 1780 में निकला था, यह एक कंपनी का अधिकारी था|

प्रेस को ‘जनता के प्रितिबिम्ब’ किसने प्रस्तुत किया ?

‘जेम्स बर्किन्घम’ को जनता का प्रतिबिम्ब माना गया है  जिसने प्रेस को जनता के प्रितिबिम्ब बनाने की पूरी कोशिस भी की थी, इसका कहना था प्रेस में जनता के विचार होने बहुत आवश्यक है इसलिए इसको प्रेस का प्रतिबिम्ब भी कहा जाता है |

किसी भी भारतीय द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित समाचार पत्र कौन सा था ?

‘बंगाल गजट’ (1816 में प्रकाशन ) समाचार पत्र के पहले भारतीय संपादक ‘गंगाधर भट्टाचार्य’ थे जिनको इस समाचार पत्र का पहला भारतीय संपादक बनाया गया अंग्रेजी समाचार पत्र के इतिहास में पहले भारतीय थे, इससे पहले ‘बंगाल गजट’ का प्रकाशन या तो यूरोपीय लोग संपादक रहे  या किर कोई अंग्रेज अधिकारी, लेकिन गंगाधर भट्टाचार्य पहले भारतीय संपादक थे |

राजा राम मोहन राय ने कौन – कौन से समाचार प्रकाशित किये ?

इनको भारतीय पत्रकारिता का ‘अग्रिम अग्रदूत’ भी कहा जाता है इन्होने भारत की पत्रकारिता में अपना महान योगदान दिया है इनके द्वारा प्रकाशित समाचार ‘वर्ष 1821 संवाद कौमुदी (बंगाली )’ वर्ष 1822 मिरात उल (फ़ारसी)’ और धार्मिक और सामाजिक विचारों के लिए ‘वर्ष 1822 ब्र्ह्मनिकल मैगजीन का प्रकाशन किया जोकि अंग्रेजी में प्रकाशित होती थी इस पत्रिका के माध्यम से इन्होने अपने धर्म, संस्कृति और सभ्यता को जन-मानस तक पहुचाने का कार्य किया करते थे |

रास्त गोफ्तार ( the truth teller )का प्रकाशन किसने किया था ?

‘दादा भाई नौरेजी’  ने1851 में बंबई से ‘रास्त गोफ्तार ( the truth teller )’ नामक पत्रिका का प्रकाशन किया था यह प्रकाशन गुजराती भाषा में आता था |

हिन्दू पैत्रियाट का प्रकाशन किसने किया था ?

इसका प्रकाशन ‘हरिश्चन्द्र मुखर्जी’ के द्वारा वर्ष 1853 में कोलकत्ता से किया जाता था यह अंग्रेजी के माध्यम से होता था |

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